Chapter 7: टिल्लू जी

2nd StandardHindi

टिल्लू जी - Chapter Summary

## अवलोकन
यह पाठ दो भागों में विभक्त है:
1. **खेल गीत** – स्कूल आने पर बच्चे की खुशी पर आधारित कविता
2. **चमिकर पचिए** – नटखट दिवाकर और मीना की संख्याओं के साथ खेल व स्वादिष्ट कुल्ली बनाने की कहानी

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## 1. खेल गीत (Poem)

- **विषय**: स्कूल पहुँचने पर बच्चे की प्रसन्नता और घर-स्कूल की यादें
- **मुख्य भाव**:
- सुबह-सुबह डरते-डरते स्कूल पहुँचने का उत्साह
- माँ की बाहों में झुककर गले मिलने की तसल्ली
- छुट्टी की सूचना सुनकर खुशी की लहरें
- **उद्देश्य**: पढ़ने में रस जगाना, कविता के माध्यम से भाषा-और भाव-संवर्धन

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## 2. गतिविधि: “मैं खुश होता/होती हूँ”

- **निर्देश**:
- मित्रों, माँ, शिक्षकों आदि के संदर्भ में अपनी खुशी के कारण लिखें
- भावों की अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत अनुभव साझा करना सीखें

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## 3. चमिकर पचिए (Story)

- **मुख्य पात्र**:
- दिवाकर – पाँच वर्ष का चंचल लड़का, गणित में रुचि
- मीना – बड़ी बहन, संख्याएँ जोड़ना सिखाती
- दादाजी– समय बताते और कुल्ली (मिठाई) बनवाने की तैयारी करते

- **कहानी सार**:
1. दिवाकर को गणित सीखने की उत्सुकता है; मीना एक-एक करके संख्याएँ जोड़कर 1+2=3, 3+4=7 सिखाती है।
2. दादाजी ने घर में कुल्ली (दकूि) बनाने के लिए सुबह से ही सामग्री इकट्ठा कर रखी।
3. जमाने के अनुसार दादी, माँ और चाचाजी मिलकर दकूि उबालते, चाशनी में केसर-बादाम मिलाते और शाम 5 बजे तैयार कुल्ली की प्रतीक्षा करते हैं।
4. समय के दौरान दिवाकर बार-बार दादाजी से “अब क्या बजे हैं?” पूछता है।
5. गणित का ज्ञान देखकर दिवाकर मासूमियत से सोचता है: “2 बजें + 3 बजें = 5 बजें, तो कुल्ली अब बनेगी!”
6. दादाजी दिवाकर की चतुराई पर हँसकर प्रसन्न होते हैं और पाठ का मुख्य संदेश – गणित सीखने में मज़ा और आत्मविश्वास – स्थापित होता है।

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## नए शब्द और सरल परिभाषाएँ

| शब्द | अर्थ (सरल हिंदी में) |
|------------|--------------------------------------------|
| झुकूल गए | खुशी से झुककर गले मिलने की मुद्रा |
| कुल्ली | मीठी चाशनी में पकाई जाने वाली पारंपरिक मिठाई |
| चतुर | होशियार, समझदार |
| उत्सुकता | किसी काम को लेकर तेज़ इच्छा या रुचि |
| प्रसन्न | खुश, आनंदित |

अवलोकन

यह पाठ दो भागों में विभक्त है:

  1. खेल गीत – स्कूल आने पर बच्चे की खुशी पर आधारित कविता
  2. चमिकर पचिए – नटखट दिवाकर और मीना की संख्याओं के साथ खेल व स्वादिष्ट कुल्ली बनाने की कहानी

1. खेल गीत (Poem)

  • विषय: स्कूल पहुँचने पर बच्चे की प्रसन्नता और घर-स्कूल की यादें
  • मुख्य भाव:
    • सुबह-सुबह डरते-डरते स्कूल पहुँचने का उत्साह
    • माँ की बाहों में झुककर गले मिलने की तसल्ली
    • छुट्टी की सूचना सुनकर खुशी की लहरें
  • उद्देश्य: पढ़ने में रस जगाना, कविता के माध्यम से भाषा-और भाव-संवर्धन

2. गतिविधि: “मैं खुश होता/होती हूँ”

  • निर्देश:
    • मित्रों, माँ, शिक्षकों आदि के संदर्भ में अपनी खुशी के कारण लिखें
    • भावों की अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत अनुभव साझा करना सीखें

3. चमिकर पचिए (Story)

  • मुख्य पात्र:

    • दिवाकर – पाँच वर्ष का चंचल लड़का, गणित में रुचि
    • मीना – बड़ी बहन, संख्याएँ जोड़ना सिखाती
    • दादाजी– समय बताते और कुल्ली (मिठाई) बनवाने की तैयारी करते
  • कहानी सार:

    1. दिवाकर को गणित सीखने की उत्सुकता है; मीना एक-एक करके संख्याएँ जोड़कर 1+2=3, 3+4=7 सिखाती है।
    2. दादाजी ने घर में कुल्ली (दकूि) बनाने के लिए सुबह से ही सामग्री इकट्ठा कर रखी।
    3. जमाने के अनुसार दादी, माँ और चाचाजी मिलकर दकूि उबालते, चाशनी में केसर-बादाम मिलाते और शाम 5 बजे तैयार कुल्ली की प्रतीक्षा करते हैं।
    4. समय के दौरान दिवाकर बार-बार दादाजी से “अब क्या बजे हैं?” पूछता है।
    5. गणित का ज्ञान देखकर दिवाकर मासूमियत से सोचता है: “2 बजें + 3 बजें = 5 बजें, तो कुल्ली अब बनेगी!”
    6. दादाजी दिवाकर की चतुराई पर हँसकर प्रसन्न होते हैं और पाठ का मुख्य संदेश – गणित सीखने में मज़ा और आत्मविश्वास – स्थापित होता है।

नए शब्द और सरल परिभाषाएँ

शब्दअर्थ (सरल हिंदी में)
झुकूल गएखुशी से झुककर गले मिलने की मुद्रा
कुल्लीमीठी चाशनी में पकाई जाने वाली पारंपरिक मिठाई
चतुरहोशियार, समझदार
उत्सुकताकिसी काम को लेकर तेज़ इच्छा या रुचि
प्रसन्नखुश, आनंदित