Chapter 9: प्प्रकृति पर्व — फूलदेई
प्प्रकृति पर्व — फूलदेई - Chapter Summary
## पाठ का सारांश
यह पाठ उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्व **फूलदेई** पर आधारित है, जिसे बच्चों द्वारा बड़े उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है। इसे *बाल पर्व* भी कहा जाता है क्योंकि इसमें बच्चों की मुख्य भागीदारी होती है।
### पर्व की तैयारी और प्रकृति से जुड़ाव
जानकी नाम की बच्ची अपने मित्रों के साथ इस पर्व को मनाने के लिए फूल चुनने जाती है। सब छोटे-छोटे डलियों में विभिन्न प्रकार के फूल जैसे बरुांस और फ्योंली इकट्ठे करते हैं। यह गतिविधि बच्चों को **प्रकृति से जोड़ती है** और उनके मन में इसके प्रति प्रेम जगाती है।
### 'फुलारी' की टोली और परंपरा
बच्चों की यह टोली 'फुलारी' कहलाती है। वे घर-घर जाकर दरवाज़ों की देहरी पर फूल बिछाते हैं और पारंपरिक मंगल गीत गाते हैं:
> “फूल देई, छम्मा देई,
> द्वार-द्वार, भर भकार...”
इस गीत के माध्यम से वे घर-परिवार की मंगलकामना करते हैं।
### पारंपरिक आदान-प्रदान
हर घर में 'फुलारी' के स्वागत की विशेष तैयारी होती है – देहरी को साफ कर गोबर और मिट्टी से लीपा जाता है। फूल अर्पित करने के बाद बच्चों को चावल, गुड़, पैसे आदि भेंट स्वरूप दिए जाते हैं।
### सामूहिकता और सामाजिक सद्भाव
बच्चे उन सामग्री से स्थानीय व्यंजन जैसे हलुवा, पापड़ी आदि बनाते हैं और मिलजुलकर खाते हैं। यह पर्व बच्चों को **सामाजिक समरसता**, **लोकगीतों**, **परंपराओं** और **संस्कृति से जोड़ने** का सशक्त माध्यम है।
## मुख्य विषय
- फूलदेई पर्व की सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्ता
- बच्चों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार
- लोकगीतों, परंपराओं और सामाजिक एकता का चित्रण
- प्रकृति के प्रति प्रेम और संरक्षण की भावना
## नए शब्द और सरल अर्थ
| शब्द | सरल अर्थ |
|-------------|----------------------------------------|
| फूलदेई | उत्तराखंड में मनाया जाने वाला पर्व |
| देहरी | दरवाज़े के नीचे की चौखट |
| इजा | माँ (स्थानीय भाषा में) |
| फुलारी | फूल लेकर घर-घर जाने वाली बच्चों की टोली |
| बरुांस | एक लाल फूल वाला पौधा |
| फ्योंली | पीले रंग का फूल जो वसंत का संकेत देता है |
| मंगलकामना | शुभ और अच्छे भविष्य की कामना |
| बाल पर्व | बच्चों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार |
## अभ्यास प्रश्न
### सरल (Easy)
1. फूलदेई पर्व किस राज्य में मनाया जाता है?
- उत्तराखंड
2. जानकी किसके साथ फूल चुनने गई थी?
- अपने मित्रों के साथ
3. ‘फुलारी’ क्या होती है?
- फूल लेकर जाने वाली बच्चों की टोली
### मध्यम (Medium)
4. ‘फूल देई, छम्मा देई’ गीत किस समय गाया जाता है?
- जब बच्चे दरवाज़े पर फूल डालते हैं
5. ‘फुलारी’ को क्या-क्या भेंट में दिया जाता है?
- चावल, गुड़ और पैसे
### कठिन (Difficult)
6. फ्योंली और बरुांस किस ऋतु में खिलते हैं और क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
- वसंत ऋतु में; ये ऋतु परिवर्तन और सुंदरता के प्रतीक हैं।
7. फूलदेई पर्व बच्चों में किन गुणों को विकसित करता है?
- प्रकृति प्रेम, सामाजिकता, सहयोग, लोक परंपराओं से जुड़ाव
8. त्योहारों में घर की देहरी को क्यों सजाया जाता है?
- शुभता, स्वच्छता और स्वागत के प्रतीक रूप में
### अति कठिन (Very Difficult)
9. फूलदेई पर्व किस प्रकार उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को जीवित रखता है?
- यह लोकगीतों, रीति-रिवाजों और बच्चों की भागीदारी से संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुँचाता है।
10. फूलदेई को 'बाल पर्व' क्यों कहा जाता है? इस पर्व के सामाजिक प्रभावों पर चर्चा करें।
- बच्चों की प्रमुख भागीदारी के कारण; यह पर्व सामाजिक समरसता, सहयोग और सांस्कृतिक चेतना को बढ़ावा देता है।
---
फूलदेई
पाठ का सारांश
यह पाठ उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्व फूलदेई पर आधारित है, जिसे बच्चों द्वारा बड़े उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है। इसे बाल पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इसमें बच्चों की मुख्य भागीदारी होती है।
पर्व की तैयारी और प्रकृति से जुड़ाव
जानकी नाम की बच्ची अपने मित्रों के साथ इस पर्व को मनाने के लिए फूल चुनने जाती है। सब छोटे-छोटे डलियों में विभिन्न प्रकार के फूल जैसे बरुांस और फ्योंली इकट्ठे करते हैं। यह गतिविधि बच्चों को प्रकृति से जोड़ती है और उनके मन में इसके प्रति प्रेम जगाती है।
'फुलारी' की टोली और परंपरा
बच्चों की यह टोली 'फुलारी' कहलाती है। वे घर-घर जाकर दरवाज़ों की देहरी पर फूल बिछाते हैं और पारंपरिक मंगल गीत गाते हैं:
“फूल देई, छम्मा देई,
द्वार-द्वार, भर भकार...”
इस गीत के माध्यम से वे घर-परिवार की मंगलकामना करते हैं।
पारंपरिक आदान-प्रदान
हर घर में 'फुलारी' के स्वागत की विशेष तैयारी होती है – देहरी को साफ कर गोबर और मिट्टी से लीपा जाता है। फूल अर्पित करने के बाद बच्चों को चावल, गुड़, पैसे आदि भेंट स्वरूप दिए जाते हैं।
सामूहिकता और सामाजिक सद्भाव
बच्चे उन सामग्री से स्थानीय व्यंजन जैसे हलुवा, पापड़ी आदि बनाते हैं और मिलजुलकर खाते हैं। यह पर्व बच्चों को सामाजिक समरसता, लोकगीतों, परंपराओं और संस्कृति से जोड़ने का सशक्त माध्यम है।
मुख्य विषय
- फूलदेई पर्व की सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्ता
- बच्चों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार
- लोकगीतों, परंपराओं और सामाजिक एकता का चित्रण
- प्रकृति के प्रति प्रेम और संरक्षण की भावना
नए शब्द और सरल अर्थ
शब्द | सरल अर्थ |
---|---|
फूलदेई | उत्तराखंड में मनाया जाने वाला पर्व |
देहरी | दरवाज़े के नीचे की चौखट |
इजा | माँ (स्थानीय भाषा में) |
फुलारी | फूल लेकर घर-घर जाने वाली बच्चों की टोली |
बरुांस | एक लाल फूल वाला पौधा |
फ्योंली | पीले रंग का फूल जो वसंत का संकेत देता है |
मंगलकामना | शुभ और अच्छे भविष्य की कामना |
बाल पर्व | बच्चों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार |
अभ्यास प्रश्न
सरल (Easy)
- फूलदेई पर्व किस राज्य में मनाया जाता है?
- उत्तराखंड
- जानकी किसके साथ फूल चुनने गई थी?
- अपने मित्रों के साथ
- ‘फुलारी’ क्या होती है?
- फूल लेकर जाने वाली बच्चों की टोली
मध्यम (Medium)
- ‘फूल देई, छम्मा देई’ गीत किस समय गाया जाता है?
- जब बच्चे दरवाज़े पर फूल डालते हैं
- ‘फुलारी’ को क्या-क्या भेंट में दिया जाता है?
- चावल, गुड़ और पैसे
कठिन (Difficult)
- फ्योंली और बरुांस किस ऋतु में खिलते हैं और क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
- वसंत ऋतु में; ये ऋतु परिवर्तन और सुंदरता के प्रतीक हैं।
- फूलदेई पर्व बच्चों में किन गुणों को विकसित करता है?
- प्रकृति प्रेम, सामाजिकता, सहयोग, लोक परंपराओं से जुड़ाव
- त्योहारों में घर की देहरी को क्यों सजाया जाता है?
- शुभता, स्वच्छता और स्वागत के प्रतीक रूप में
अति कठिन (Very Difficult)
- फूलदेई पर्व किस प्रकार उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को जीवित रखता है?
- यह लोकगीतों, रीति-रिवाजों और बच्चों की भागीदारी से संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुँचाता है।
- फूलदेई को 'बाल पर्व' क्यों कहा जाता है? इस पर्व के सामाजिक प्रभावों पर चर्चा करें।
- बच्चों की प्रमुख भागीदारी के कारण; यह पर्व सामाजिक समरसता, सहयोग और सांस्कृतिक चेतना को बढ़ावा देता है।