Chapter 12: अपना-अपना काम
Chapter Summary
अपना-अपना काम - Chapter Summary
## कहानी का मुख्य सारांश
### प्रारंभिक स्थिति
सिमरन बाग में बैठकर स्कूल का काम कर रही थी। वह लिखने-पढ़ने के काम से थक गई थी और सोच रही थी कि कितना अच्छा होता अगर उसे पढ़ना न पड़ता। उसने चारों ओर देखा और मधुमक्खियों को आनंदपूर्वक एक फूल से दूसरे फूल तक उड़ते हुए देखा।
### मधुमक्खी के साथ बातचीत
सिमरन ने कहा कि वह भी मधुमक्खी बनना चाहती है। मधुमक्खियाँ रुक गईं और अचंभित होकर बोलीं कि वह तो इतनी सुखी है, फिर क्यों नन्हा कीड़ा बनना चाहती है।
सिमरन ने जवाब दिया कि उसे क्या सुख है - इतना पढ़ना पड़ता है। वह मधुमक्खियों की तरह डाल-डाल, फूल-फूल उड़ना चाहती है।
मधुमक्खी ने समझाया कि इधर से उधर उड़ना उनका काम है। सारे दिन उड़-उड़कर रस इकट्ठा करते-करते उनके पंख थक जाते हैं।
सिमरन ने कान बंद कर लिए और कहा कि सारे दिन पंख फैलाकर उड़ना पड़े तो वह बहुत थक जाएगी।
### पेड़ के साथ संवाद
फिर सिमरन ने ऊपर देखा और फलों से लदे पेड़ को देखकर सोचा कि अगर वह पेड़ होती तो अच्छा था - आराम से एक जगह खड़े-खड़े सब कुछ मिल जाता।
पेड़ हँसने लगा और कहा कि वह समझ गया कि सिमरन सोचती है कि वह आराम से खड़ा रहता है। पेड़ ने समझाया:
- उसके शरीर का हर अंग दिन-रात काम करता है
- जड़ें मिट्टी से पानी खींचती हैं
- पत्ते दिनभर खाना बनाते हैं
- इतने परिश्रम के बाद जो फल उगते हैं, वे भी लोगों को दे देते हैं
सिमरन ने आँखें झुका लीं और कहा कि सच में पेड़ बहुत परिश्रम करते हैं और फल तो लोग ही खा लेते हैं।
### पेड़ का और विस्तार से समझाना
पेड़ ने आगे बताया:
- इधर से उधर उड़ना उनका काम है
- सारे दिन उड़-उड़कर रस इकट्ठा करते-करते उनके पंख थक जाते हैं
- उनके शरीर का हर अंग दिन-रात काम करता है
- जड़ें मिट्टी से पानी खींचती हैं
- पत्ते दिनभर खाना बनाते हैं
- इतने परिश्रम के बाद जो फल उगते हैं, वे भी लोगों को दे देते हैं
सिमरन को समझ आया कि पेड़ बहुत परिश्रम करते हैं।
### चिड़िया के साथ बातचीत
सिमरन ने सोचा कि चिड़ियों की मौज है और उसने कहा कि वह चिड़िया बन जाती तो ठीक था।
एक चिड़िया बोली कि यह क्या सोच रही है। उसने बताया:
- एक-एक दाना ढूँढ़ते-ढूँढ़ते सारे दिन उड़ती है
- घोंसला बनाने के लिए भी बहुत परिश्रम करना पड़ता है
### सिमरन की समझ और निष्कर्ष
सिमरन बोली "बस, बस! मैं समझ गई।" वह सोचने लगी कि परिश्रम से ही सब जीते हैं। उसे भी परिश्रम करना चाहिए और मन लगाकर पढ़ना चाहिए।
अंत में उसने अपनी पुस्तकें उठाईं और उत्साह से स्कूल का काम करने बैठ गई।
## कहानी की शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि:
- हर जीव का अपना महत्वपूर्ण काम होता है
- कोई भी काम आसान नहीं होता
- सभी में परिश्रम की आवश्यकता होती है
- अपने काम से भागना समाधान नहीं है
- मन लगाकर अपना काम करना चाहिए
## नए शब्दों की सूची
| शब्द | अर्थ (Simple English) |
|------|---------------------|
| आनंदपूर्वक | Joyfully, with happiness |
| अचंभित | Surprised, amazed |
| परिश्रम | Hard work, effort |
| उत्साह | Enthusiasm, excitement |
| इकट्ठा | To collect, gather |
| घोंसला | Nest (bird's home) |
| दाना | Grain, seed |
| जड़ें | Roots (of plants) |
| मिट्टी | Soil, earth |
| अंग | Part, organ |
अपना-अपना काम
कहानी का मुख्य सारांश
प्रारंभिक स्थिति
सिमरन बाग में बैठकर स्कूल का काम कर रही थी। वह लिखने-पढ़ने के काम से थक गई थी और सोच रही थी कि कितना अच्छा होता अगर उसे पढ़ना न पड़ता। उसने चारों ओर देखा और मधुमक्खियों को आनंदपूर्वक एक फूल से दूसरे फूल तक उड़ते हुए देखा।
मधुमक्खी के साथ बातचीत
सिमरन ने कहा कि वह भी मधुमक्खी बनना चाहती है। मधुमक्खियाँ रुक गईं और अचंभित होकर बोलीं कि वह तो इतनी सुखी है, फिर क्यों नन्हा कीड़ा बनना चाहती है।
सिमरन ने जवाब दिया कि उसे क्या सुख है - इतना पढ़ना पड़ता है। वह मधुमक्खियों की तरह डाल-डाल, फूल-फूल उड़ना चाहती है।
मधुमक्खी ने समझाया कि इधर से उधर उड़ना उनका काम है। सारे दिन उड़-उड़कर रस इकट्ठा करते-करते उनके पंख थक जाते हैं।
सिमरन ने कान बंद कर लिए और कहा कि सारे दिन पंख फैलाकर उड़ना पड़े तो वह बहुत थक जाएगी।
पेड़ के साथ संवाद
फिर सिमरन ने ऊपर देखा और फलों से लदे पेड़ को देखकर सोचा कि अगर वह पेड़ होती तो अच्छा था - आराम से एक जगह खड़े-खड़े सब कुछ मिल जाता।
पेड़ हँसने लगा और कहा कि वह समझ गया कि सिमरन सोचती है कि वह आराम से खड़ा रहता है। पेड़ ने समझाया:
- उसके शरीर का हर अंग दिन-रात काम करता है
- जड़ें मिट्टी से पानी खींचती हैं
- पत्ते दिनभर खाना बनाते हैं
- इतने परिश्रम के बाद जो फल उगते हैं, वे भी लोगों को दे देते हैं
सिमरन ने आँखें झुका लीं और कहा कि सच में पेड़ बहुत परिश्रम करते हैं और फल तो लोग ही खा लेते हैं।
पेड़ का और विस्तार से समझाना
पेड़ ने आगे बताया:
- इधर से उधर उड़ना उनका काम है
- सारे दिन उड़-उड़कर रस इकट्ठा करते-करते उनके पंख थक जाते हैं
- उनके शरीर का हर अंग दिन-रात काम करता है
- जड़ें मिट्टी से पानी खींचती हैं
- पत्ते दिनभर खाना बनाते हैं
- इतने परिश्रम के बाद जो फल उगते हैं, वे भी लोगों को दे देते हैं
सिमरन को समझ आया कि पेड़ बहुत परिश्रम करते हैं।
चिड़िया के साथ बातचीत
सिमरन ने सोचा कि चिड़ियों की मौज है और उसने कहा कि वह चिड़िया बन जाती तो ठीक था।
एक चिड़िया बोली कि यह क्या सोच रही है। उसने बताया:
- एक-एक दाना ढूँढ़ते-ढूँढ़ते सारे दिन उड़ती है
- घोंसला बनाने के लिए भी बहुत परिश्रम करना पड़ता है
सिमरन की समझ और निष्कर्ष
सिमरन बोली "बस, बस! मैं समझ गई।" वह सोचने लगी कि परिश्रम से ही सब जीते हैं। उसे भी परिश्रम करना चाहिए और मन लगाकर पढ़ना चाहिए।
अंत में उसने अपनी पुस्तकें उठाईं और उत्साह से स्कूल का काम करने बैठ गई।
कहानी की शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि:
- हर जीव का अपना महत्वपूर्ण काम होता है
- कोई भी काम आसान नहीं होता
- सभी में परिश्रम की आवश्यकता होती है
- अपने काम से भागना समाधान नहीं है
- मन लगाकर अपना काम करना चाहिए
नए शब्दों की सूची
शब्द | अर्थ (Simple English) |
---|---|
आनंदपूर्वक | Joyfully, with happiness |
अचंभित | Surprised, amazed |
परिश्रम | Hard work, effort |
उत्साह | Enthusiasm, excitement |
इकट्ठा | To collect, gather |
घोंसला | Nest (bird's home) |
दाना | Grain, seed |
जड़ें | Roots (of plants) |
मिट्टी | Soil, earth |
अंग | Part, organ |