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Chapter 17: बोलने वाली माँद

3rd StandardHindi

Chapter Summary

बोलने वाली माँद - Chapter Summary

# बोलने वाली माँद

## कहानी का परिचय
यह पंचतंत्र की एक प्रसिद्ध कहानी है जो बुद्धि और चतुराई के महत्व को दर्शाती है। इस कहानी में दो मुख्य पात्र हैं - खरनखर नाम का एक सिंह और दधिपुच्छ नाम का एक सियार।

## कहानी का सारांश

### सिंह की भूख और माँद की खोज
एक दिन खरनखर सिंह को बहुत तेज भूख लगी। वह पूरे जंगल में भोजन की तलाश में घूमता रहा, लेकिन उसे एक चूहा तक नहीं मिला। दिन भर की खोज के बाद शाम हो गई और अंधेरा होने लगा। इसी समय उसे एक माँद (गुफा) दिखाई दी। रात बिताने के लिए वह उसी माँद में घुस गया।

माँद में घुसकर सिंह ने सोचा कि इसमें कोई न कोई जानवर रहता होगा। जब वह विश्राम करने के लिए वापस आएगा, तो मैं उसे पकड़ लूंगा। यह सोचकर वह माँद में एक कोने में छिप कर बैठ गया।

### सियार की चतुराई
उस माँद में दधिपुच्छ नाम का एक चतुर सियार रहता था। जब वह अपनी माँद की ओर लौट रहा था, तो माँद के द्वार पर उसने सिंह के पैरों के निशान देखे। ये निशान माँद की ओर जाने के लिए तो थे, परंतु वापस लौटने के नहीं थे।

सियार ने सोचा - "हे भगवान! आज तो मेरी जान पर ही संकट आ गया है। इसके भीतर अवश्य कोई सिंह घुसा बैठा है।" उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह यह पता करना चाहता था कि सिंह अभी भी माँद के भीतर है या बाहर निकल गया है।

### बुद्धिमत्ता का प्रयोग
सोचते-सोचते सियार को एक उपाय सूझ गया। माँद के द्वार पर जाकर उसने पुकारा - "ऐ मेरी माँद, ऐ मेरी माँद।" पुकारकर वह चुप हो गया।

कुछ देर बाद उसने कहा - "अरे, तुझे क्या हो गया है! आज बोलती क्यों नहीं? पहले तो जब मैं तुझे पुकारता था, तू तुरंत बोल पड़ती थी। क्या तू यह भूल गई कि मैंने तुझसे कहा था कि मैं जब भी बाहर से आऊंगा, तब तुझे पुकारूंगा और जब तू उत्तर देगी, उसके बाद ही मैं माँद के भीतर आऊंगा! यदि तूने इस बार भी उत्तर न दिया तो मैं तुझे छोड़कर किसी दूसरी माँद में चला जाऊंगा।"

### सिंह का भ्रम
सिंह को विश्वास हो गया कि सियार के पुकारने पर यह माँद सचमुच उत्तर दिया करती है। उसने सोचा कि आज मैं आ गया हूं, इसलिए डर के मारे इसके मुंह से आवाज नहीं निकल रही है।

सिंह ने सोचा - "यह माँद नहीं बोलती है तो कोई बात नहीं। इसके स्थान पर मैं ही उत्तर दे देता हूं। यदि चुप रहा तो हाथ आया हुआ शिकार भी चला जाएगा।" यह सोचकर सिंह ने उसका उत्तर दे दिया। उसकी दहाड़ से वह माँद तो गूंज ही उठी, आस-पास के पशु भी चौकन्ने हो गए।

### सियार की विजय
सियार वहां से यही कहते हुए तुरंत भाग गया - "इस वन में रहते हुए मैं बूढ़ा हो गया, पर आज तक कभी किसी माँद को बोलते हुए नहीं सुना।"

इस प्रकार अपनी बुद्धि और चतुराई से सियार ने अपनी जान बचाई और सिंह को मूर्ख बनाया।

## कहानी की शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में बुद्धि और चतुराई का प्रयोग करके हम बड़े से बड़े संकट से बच सकते हैं। शारीरिक शक्ति से कहीं अधिक महत्वपूर्ण मानसिक शक्ति होती है।

## नए शब्द और उनके अर्थ

| शब्द | अर्थ (Simple English) |
|------|---------------------|
| माँद | Cave or den where animals live |
| दधिपुच्छ | Name meaning "one with a curd-colored tail" |
| खरनखर | Name of the lion in the story |
| चिह्न | Footprints or marks |
| उपाय | Plan or solution |
| पुकारना | To call out loudly |
| दहाड़ | Roar of a lion |
| चौकन्ना | Alert and watchful |
| बुद्धि | Intelligence or wisdom |
| चतुराई | Cleverness or wit |
| संकट | Danger or crisis |
| गुफा | Cave |
| शिकार | Prey or hunt |
| विश्राम | Rest |

बोलने वाली माँद

कहानी का परिचय

यह पंचतंत्र की एक प्रसिद्ध कहानी है जो बुद्धि और चतुराई के महत्व को दर्शाती है। इस कहानी में दो मुख्य पात्र हैं - खरनखर नाम का एक सिंह और दधिपुच्छ नाम का एक सियार।

कहानी का सारांश

सिंह की भूख और माँद की खोज

एक दिन खरनखर सिंह को बहुत तेज भूख लगी। वह पूरे जंगल में भोजन की तलाश में घूमता रहा, लेकिन उसे एक चूहा तक नहीं मिला। दिन भर की खोज के बाद शाम हो गई और अंधेरा होने लगा। इसी समय उसे एक माँद (गुफा) दिखाई दी। रात बिताने के लिए वह उसी माँद में घुस गया।

माँद में घुसकर सिंह ने सोचा कि इसमें कोई न कोई जानवर रहता होगा। जब वह विश्राम करने के लिए वापस आएगा, तो मैं उसे पकड़ लूंगा। यह सोचकर वह माँद में एक कोने में छिप कर बैठ गया।

सियार की चतुराई

उस माँद में दधिपुच्छ नाम का एक चतुर सियार रहता था। जब वह अपनी माँद की ओर लौट रहा था, तो माँद के द्वार पर उसने सिंह के पैरों के निशान देखे। ये निशान माँद की ओर जाने के लिए तो थे, परंतु वापस लौटने के नहीं थे।

सियार ने सोचा - "हे भगवान! आज तो मेरी जान पर ही संकट आ गया है। इसके भीतर अवश्य कोई सिंह घुसा बैठा है।" उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह यह पता करना चाहता था कि सिंह अभी भी माँद के भीतर है या बाहर निकल गया है।

बुद्धिमत्ता का प्रयोग

सोचते-सोचते सियार को एक उपाय सूझ गया। माँद के द्वार पर जाकर उसने पुकारा - "ऐ मेरी माँद, ऐ मेरी माँद।" पुकारकर वह चुप हो गया।

कुछ देर बाद उसने कहा - "अरे, तुझे क्या हो गया है! आज बोलती क्यों नहीं? पहले तो जब मैं तुझे पुकारता था, तू तुरंत बोल पड़ती थी। क्या तू यह भूल गई कि मैंने तुझसे कहा था कि मैं जब भी बाहर से आऊंगा, तब तुझे पुकारूंगा और जब तू उत्तर देगी, उसके बाद ही मैं माँद के भीतर आऊंगा! यदि तूने इस बार भी उत्तर न दिया तो मैं तुझे छोड़कर किसी दूसरी माँद में चला जाऊंगा।"

सिंह का भ्रम

सिंह को विश्वास हो गया कि सियार के पुकारने पर यह माँद सचमुच उत्तर दिया करती है। उसने सोचा कि आज मैं आ गया हूं, इसलिए डर के मारे इसके मुंह से आवाज नहीं निकल रही है।

सिंह ने सोचा - "यह माँद नहीं बोलती है तो कोई बात नहीं। इसके स्थान पर मैं ही उत्तर दे देता हूं। यदि चुप रहा तो हाथ आया हुआ शिकार भी चला जाएगा।" यह सोचकर सिंह ने उसका उत्तर दे दिया। उसकी दहाड़ से वह माँद तो गूंज ही उठी, आस-पास के पशु भी चौकन्ने हो गए।

सियार की विजय

सियार वहां से यही कहते हुए तुरंत भाग गया - "इस वन में रहते हुए मैं बूढ़ा हो गया, पर आज तक कभी किसी माँद को बोलते हुए नहीं सुना।"

इस प्रकार अपनी बुद्धि और चतुराई से सियार ने अपनी जान बचाई और सिंह को मूर्ख बनाया।

कहानी की शिक्षा

यह कहानी हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में बुद्धि और चतुराई का प्रयोग करके हम बड़े से बड़े संकट से बच सकते हैं। शारीरिक शक्ति से कहीं अधिक महत्वपूर्ण मानसिक शक्ति होती है।

नए शब्द और उनके अर्थ

शब्दअर्थ (Simple English)
माँदCave or den where animals live
दधिपुच्छName meaning "one with a curd-colored tail"
खरनखरName of the lion in the story
चिह्नFootprints or marks
उपायPlan or solution
पुकारनाTo call out loudly
दहाड़Roar of a lion
चौकन्नाAlert and watchful
बुद्धिIntelligence or wisdom
चतुराईCleverness or wit
संकटDanger or crisis
गुफाCave
शिकारPrey or hunt
विश्रामRest