Chapter 8: ओणम के रंग
Chapter Summary
ओणम के रंग - Chapter Summary
## प्रस्तावना
केरल राज्य का प्रसिद्ध त्योहार ओणम एक अत्यंत रंगबिरंगा और आनंदमय उत्सव है। आरन्मुला में आयोजित होने वाली नौका-दौड़ इस त्योहार का मुख्य आकर्षण है, जो हजारों लोगों को एकत्रित करती है। ओणम के अनेक रंग-बिरंगे आकर्षण इसे केरल का सबसे महत्वपूर्ण पर्व बनाते हैं।
## ओणम की शुरुआत और प्राकृतिक सुंदरता
### फूलों का उत्सव
सुबह-सुबह बच्चे नहा-धोकर हाथ में टोकरी लेकर लाल, पीले और सफेद फूल तोड़ने के लिए बाग-बगीचों में निकल पड़ते हैं। सूर्योदय होते ही वे अपने घर के आंगन को गोबर से लीपकर पूक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाते हैं। इसी के साथ केरल में ओणम का त्योहार आरंभ हो जाता है।
### प्राकृतिक वातावरण
वर्षा के बादल छंटने के बाद केरल का प्राकृतिक सौंदर्य निखर उठता है। पूर्व दिशा में सह्य पर्वत के पीछे से सूर्योदय होने पर पश्चिमी तट पर समुद्र की लहरें चमकने लगती हैं। समुद्र-तट की रेत के कण दमकते हैं, नारियल के पेड़ों के पत्ते हवा में लहलहाते हैं। नदी का निर्मल जल, चहचहाते पक्षी, रंग-बिरंगी तितलियां और खिले फूल - सब मिलकर ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने ओणम के स्वागत की पूरी तैयारी कर ली है।
### कृषि और उत्पादन
इस समय तक किसान अपनी उपज काट चुके होते हैं और खलिहानों में धान भरा होता है, जो इस त्योहार की समृद्धि को दर्शाता है।
## ओणम की पौराणिक कथा
### महाबली राजा की कहानी
ओणम का त्योहार एक पौराणिक कथा पर आधारित है। प्राचीन काल में महाबली नाम के एक न्यायप्रिय राजा केरल पर शासन करते थे। उनका राज्य पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल लोक तक फैला हुआ था। महाबली के राज में प्रजा पूरी तरह प्रसन्न और संपन्न थी।
### वामन अवतार की कथा
एक दिन महाविष्णु वामन का रूप धारण करके राजा महाबली के पास पहुंचे और तीन पग भूमि की याचना की। महाबली ने इस तुच्छ लगने वाले दान को तुरंत स्वीकार कर दिया। महाविष्णु ने तत्काल अपना वामन रूप त्यागकर त्रिविक्रम बनकर ब्रह्मांड तक फैल गए। उन्होंने दो पगों से स्वर्ग, भूमि और पाताल को नाप लिया। तीसरा पग रखने के लिए कोई जगह शेष नहीं बची। महाबली ने महाविष्णु का तीसरा पग रखने के लिए अपना सिर झुका दिया।
### वरदान और पुनर्मिलन
महाबली के इस उदार व्यवहार से प्रसन्न होकर महाविष्णु ने उन्हें पाताल लोक का राज्य सौंप दिया। महाबली की याचना पर उन्हें वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आने की अनुमति दी गई। तब से महाबली अपनी प्रजा को देखने के लिए वर्ष में एक बार केरल आते हैं, और उनके स्वागत के लिए केरल के लोग ओणम का त्योहार मनाते हैं।
## ओणम के उत्सव और परंपराएं
### लोकगीत और सांस्कृतिक स्मृति
महाबली के न्यायपूर्ण शासन से संबंधित एक सुंदर लोकगीत आज भी लोगों के होठों पर जीवित है:
*"महाबली के राज में,
सब जन एक समान।
दुख-दरिद्रता का नाम नहीं,
डाका नहीं, धोखा नहीं,
झूठे वचन कोई नहीं,
जाली तराजू नहीं, नाप में कमती नहीं,
छल-कपट का प्रपंच नहीं,
हर कहीं प्रेम-प्रसन्नता छा रही।"*
### तिरुवोणम के दिन की परंपराएं
तिरुवोणम के दिन सुबह-सुबह सभी लोग महाबली के स्वागत की तैयारी करते हैं। परिवार के मुखिया के हाथों से नए कपड़े लेकर सभी सदस्य पहनते हैं। फिर सभी लोग ओणम मनाने की तैयारियों में जुट जाते हैं।
### पूजा और सजावट
महाबली की मूर्तियों को सजाने के लिए ऊंचे-ऊंचे दीपदान जलाए जाते हैं। चावल के आटे और छोटे सफेद द्रोण-पुष्पों से मूर्तियों को सजाया जाता है।
### ओणम का भोज
ओणम के भोज में चावल, सब्जियां, खीर, पापड़ और कई प्रकार के स्वादिष्ट फल शामिल होते हैं। विशेष प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है।
## खेल और मनोरंजन
### पुरुषों के खेल
प्रीतिभोज के बाद लोग अपनी रुचि के अनुसार विभिन्न गतिविधियों में भाग लेते हैं:
- **तलपंतुकली**: केरल का विशेष खेल
- **किलिंतट्टुकली**: एक अन्य लोकप्रिय खेल
- ताश-शतरंज आदि
### महिलाओं के नृत्य और खेल
महिलाओं और लड़कियों के अपने विशेष नृत्य और खेल होते हैं:
- **तुम्बितल्लल**: महिलाओं का नृत्य
- **कैकोिट्टकलि**: हाथों से ताली बजाकर किया जाने वाला नृत्य
- **झूला झूलना**: मनोरंजन की गतिविधि
### नौका विहार और कथकली
ओणम का एक प्रमुख आकर्षण नौका विहार है। आरन्मुला नामक स्थान पर नावों की प्रतियोगिता देखने के लिए हजारों लोग इकट्ठे होते हैं। केरल में कई जगह प्रसिद्ध नृत्य 'कथकली' का भी आयोजन होता है।
## समापन और भविष्य की प्रतीक्षा
माना जाता है कि तिरुवोणम के तीसरे दिन महाबली पाताल लोक लौट जाते हैं। इसलिए तिरुवोणम के दिन आंगन में बनाई गई कलाकृतियां महाबली के चले जाने के बाद ही हटाई जाती हैं। केरलवासी बीते हुए ओणम की मधुर यादों और अगले ओणम की प्रतीक्षा के साथ अपने-अपने कार्यों में लग जाते हैं।
---
## नए शब्दों की परिभाषाएं
| शब्द | अर्थ (सरल अंग्रेजी में) |
|------|---------------------|
| पूक्कलम | Floral rangoli made with flower petals |
| आरन्मुला | A famous place in Kerala known for boat races |
| तिरुवोणम | The main day of Onam festival |
| श्रावण नक्षत्र | A specific star constellation period |
| द्रोण-पुष्प | Small white flowers used for decoration |
| तलपंतुकली | A traditional game of Kerala |
| किलिंतट्टुकली | A traditional outdoor game |
| कथकली | Classical dance form of Kerala |
| त्रिविक्रम | Giant form of Lord Vishnu |
| सह्य पर्वत | Western Ghats mountain range |
| प्रीतिभोज | Community feast or banquet |
| खलिहान | Granary or place to store harvested grain |
| मलयालम | Official language of Kerala |
| वामन | Dwarf form/incarnation of Lord Vishnu |
| पाताल लोक | Underworld in Hindu mythology |
ओणम के रंग
प्रस्तावना
केरल राज्य का प्रसिद्ध त्योहार ओणम एक अत्यंत रंगबिरंगा और आनंदमय उत्सव है। आरन्मुला में आयोजित होने वाली नौका-दौड़ इस त्योहार का मुख्य आकर्षण है, जो हजारों लोगों को एकत्रित करती है। ओणम के अनेक रंग-बिरंगे आकर्षण इसे केरल का सबसे महत्वपूर्ण पर्व बनाते हैं।
ओणम की शुरुआत और प्राकृतिक सुंदरता
फूलों का उत्सव
सुबह-सुबह बच्चे नहा-धोकर हाथ में टोकरी लेकर लाल, पीले और सफेद फूल तोड़ने के लिए बाग-बगीचों में निकल पड़ते हैं। सूर्योदय होते ही वे अपने घर के आंगन को गोबर से लीपकर पूक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाते हैं। इसी के साथ केरल में ओणम का त्योहार आरंभ हो जाता है।
प्राकृतिक वातावरण
वर्षा के बादल छंटने के बाद केरल का प्राकृतिक सौंदर्य निखर उठता है। पूर्व दिशा में सह्य पर्वत के पीछे से सूर्योदय होने पर पश्चिमी तट पर समुद्र की लहरें चमकने लगती हैं। समुद्र-तट की रेत के कण दमकते हैं, नारियल के पेड़ों के पत्ते हवा में लहलहाते हैं। नदी का निर्मल जल, चहचहाते पक्षी, रंग-बिरंगी तितलियां और खिले फूल - सब मिलकर ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने ओणम के स्वागत की पूरी तैयारी कर ली है।
कृषि और उत्पादन
इस समय तक किसान अपनी उपज काट चुके होते हैं और खलिहानों में धान भरा होता है, जो इस त्योहार की समृद्धि को दर्शाता है।
ओणम की पौराणिक कथा
महाबली राजा की कहानी
ओणम का त्योहार एक पौराणिक कथा पर आधारित है। प्राचीन काल में महाबली नाम के एक न्यायप्रिय राजा केरल पर शासन करते थे। उनका राज्य पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल लोक तक फैला हुआ था। महाबली के राज में प्रजा पूरी तरह प्रसन्न और संपन्न थी।
वामन अवतार की कथा
एक दिन महाविष्णु वामन का रूप धारण करके राजा महाबली के पास पहुंचे और तीन पग भूमि की याचना की। महाबली ने इस तुच्छ लगने वाले दान को तुरंत स्वीकार कर दिया। महाविष्णु ने तत्काल अपना वामन रूप त्यागकर त्रिविक्रम बनकर ब्रह्मांड तक फैल गए। उन्होंने दो पगों से स्वर्ग, भूमि और पाताल को नाप लिया। तीसरा पग रखने के लिए कोई जगह शेष नहीं बची। महाबली ने महाविष्णु का तीसरा पग रखने के लिए अपना सिर झुका दिया।
वरदान और पुनर्मिलन
महाबली के इस उदार व्यवहार से प्रसन्न होकर महाविष्णु ने उन्हें पाताल लोक का राज्य सौंप दिया। महाबली की याचना पर उन्हें वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आने की अनुमति दी गई। तब से महाबली अपनी प्रजा को देखने के लिए वर्ष में एक बार केरल आते हैं, और उनके स्वागत के लिए केरल के लोग ओणम का त्योहार मनाते हैं।
ओणम के उत्सव और परंपराएं
लोकगीत और सांस्कृतिक स्मृति
महाबली के न्यायपूर्ण शासन से संबंधित एक सुंदर लोकगीत आज भी लोगों के होठों पर जीवित है:
"महाबली के राज में,
सब जन एक समान।
दुख-दरिद्रता का नाम नहीं,
डाका नहीं, धोखा नहीं,
झूठे वचन कोई नहीं,
जाली तराजू नहीं, नाप में कमती नहीं,
छल-कपट का प्रपंच नहीं,
हर कहीं प्रेम-प्रसन्नता छा रही।"
तिरुवोणम के दिन की परंपराएं
तिरुवोणम के दिन सुबह-सुबह सभी लोग महाबली के स्वागत की तैयारी करते हैं। परिवार के मुखिया के हाथों से नए कपड़े लेकर सभी सदस्य पहनते हैं। फिर सभी लोग ओणम मनाने की तैयारियों में जुट जाते हैं।
पूजा और सजावट
महाबली की मूर्तियों को सजाने के लिए ऊंचे-ऊंचे दीपदान जलाए जाते हैं। चावल के आटे और छोटे सफेद द्रोण-पुष्पों से मूर्तियों को सजाया जाता है।
ओणम का भोज
ओणम के भोज में चावल, सब्जियां, खीर, पापड़ और कई प्रकार के स्वादिष्ट फल शामिल होते हैं। विशेष प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है।
खेल और मनोरंजन
पुरुषों के खेल
प्रीतिभोज के बाद लोग अपनी रुचि के अनुसार विभिन्न गतिविधियों में भाग लेते हैं:
- तलपंतुकली: केरल का विशेष खेल
- किलिंतट्टुकली: एक अन्य लोकप्रिय खेल
- ताश-शतरंज आदि
महिलाओं के नृत्य और खेल
महिलाओं और लड़कियों के अपने विशेष नृत्य और खेल होते हैं:
- तुम्बितल्लल: महिलाओं का नृत्य
- कैकोिट्टकलि: हाथों से ताली बजाकर किया जाने वाला नृत्य
- झूला झूलना: मनोरंजन की गतिविधि
नौका विहार और कथकली
ओणम का एक प्रमुख आकर्षण नौका विहार है। आरन्मुला नामक स्थान पर नावों की प्रतियोगिता देखने के लिए हजारों लोग इकट्ठे होते हैं। केरल में कई जगह प्रसिद्ध नृत्य 'कथकली' का भी आयोजन होता है।
समापन और भविष्य की प्रतीक्षा
माना जाता है कि तिरुवोणम के तीसरे दिन महाबली पाताल लोक लौट जाते हैं। इसलिए तिरुवोणम के दिन आंगन में बनाई गई कलाकृतियां महाबली के चले जाने के बाद ही हटाई जाती हैं। केरलवासी बीते हुए ओणम की मधुर यादों और अगले ओणम की प्रतीक्षा के साथ अपने-अपने कार्यों में लग जाते हैं।
नए शब्दों की परिभाषाएं
शब्द | अर्थ (सरल अंग्रेजी में) |
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पूक्कलम | Floral rangoli made with flower petals |
आरन्मुला | A famous place in Kerala known for boat races |
तिरुवोणम | The main day of Onam festival |
श्रावण नक्षत्र | A specific star constellation period |
द्रोण-पुष्प | Small white flowers used for decoration |
तलपंतुकली | A traditional game of Kerala |
किलिंतट्टुकली | A traditional outdoor game |
कथकली | Classical dance form of Kerala |
त्रिविक्रम | Giant form of Lord Vishnu |
सह्य पर्वत | Western Ghats mountain range |
प्रीतिभोज | Community feast or banquet |
खलिहान | Granary or place to store harvested grain |
मलयालम | Official language of Kerala |
वामन | Dwarf form/incarnation of Lord Vishnu |
पाताल लोक | Underworld in Hindu mythology |