Chapter 12: शतरंज में मात
Chapter Summary
शतरंज में मात - Chapter Summary
## परिचय
यह नाटक तेनालीरामन की चतुराई और बुद्धिमत्ता की कहानी है। तेनाली रामकृष्ण विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में विदूषक एवं राज परामर्शदाता के रूप में जाने जाते थे। वे अपनी कुशाग्र बुद्धि और हास्य भरे वृत्तांतों के लिए प्रसिद्ध हैं।
## पहला दृश्य - दरबारियों की चाल
राजा के दरबार में दरबारी तेनालीरामन से ईर्ष्या करते हैं क्योंकि राजा उन्हें बहुत महत्व देते हैं। दरबारी हमेशा तेनाली की प्रशंसा सुनते रहते हैं - "हाँ तेनाली! वाह तेनाली! क्या पते की बात कही तेनाली ने।" इससे उनके कान पक गए हैं।
दरबारियों ने तेनाली को नीचा दिखाने के लिए एक योजना बनाई। जब राजा तेनालीरामन के बारे में पूछते हैं, तो दरबारी बताते हैं कि तेनाली शतरंज का शौकीन है और अद्भुत खिलाड़ी है। वे राजा को बताते हैं कि तेनाली ने कई बड़े-बड़े खिलाड़ियों को मात दी है।
राजा इस बात से प्रसन्न होकर तेनाली के साथ शतरंज खेलने का निर्णय लेते हैं। दरबारी चाहते हैं कि राजा और तेनाली के बीच मुकाबला हो ताकि तेनाली को हराया जा सके।
## तेनाली का आगमन और समस्या
जब तेनाली दरबार में आते हैं, तो राजा उनसे शतरंज के बारे में पूछते हैं। तेनाली चकित होकर कहते हैं कि उन्हें शतरंज के विषय में कुछ नहीं पता। वे बार-बार कहते हैं कि वास्तव में उन्हें शतरंज का ज्ञान नहीं है और वे अनाड़ी हैं।
लेकिन राजा को दरबारियों की बात पर भरोसा है। वे क्रोधित होकर कहते हैं कि अब बात छिप नहीं सकती और कोई बहाना नहीं चलेगा। तेनाली को मजबूरन शतरंज खेलना पड़ता है।
## दूसरा दृश्य - शतरंज का खेल
दरबार भवन में बीच में चौकी पर गद्दी बिछाई गई है। राजा और तेनाली के बीच शतरंज की चादर बिछी है। चारों ओर दरबारी और अन्य लोग बैठे हैं।
खेल शुरू होता है। राजा पहली चाल चलते हैं, और दरबारी उनकी तारीफ करते हैं। तेनाली सोच में पड़ जाते हैं कि क्या चलें। वे बार-बार कहते हैं कि उन्हें शतरंज नहीं आता।
तेनाली अनजाने में ऐसी चालें चलते हैं जो शतरंज के नियमों के अनुसार गलत हैं। राजा को लगता है कि तेनाली जानबूझकर हार रहे हैं। राजा क्रोधित होकर कहते हैं कि तेनाली मन से खेलें और सही रंग दिखाएं।
खेल के दौरान तेनाली के मोहरे एक-एक करके कट जाते हैं। राजा समझते हैं कि तेनाली चतुराई या मूर्खता - दोनों में से कुछ तो कर रहे हैं। अंततः तेनाली का राजा कट जाता है और वे हार जाते हैं।
राजा बहुत क्रोधित होकर शतरंज उलट देते हैं और मोहरें फेंक देते हैं। वे तेनाली को कल दरबार में नाई बुलाकर मुंडन कराने की सजा देते हैं।
## तीसरा दृश्य - तेनाली की चतुराई
अगले दिन दरबार में नाई को बुलाया जाता है। नाई डरा हुआ आता है लेकिन जब पता चलता है कि उसे मुंडन करना है तो वह खुश हो जाता है क्योंकि उसे इनाम मिलेगा।
जब नाई मुंडन करने लगता है, तो तेनाली पहली चाल चलते हैं। वे कहते हैं कि इन बालों पर उन्होंने पांच हजार अशर्फियां उधार ली हैं। जब तक ऋण न चुकाएं, केश कटवाने का कोई अधिकार नहीं है।
राजा यह सुनकर तुरंत पांच हजार अशर्फियां भिजवा देते हैं और नाई को काम पूरा करने को कहते हैं।
तब तेनाली दूसरी चाल चलते हैं। वे आसन लगाकर मंच पर बैठ जाते हैं और आंखें मूंदकर मंत्र जाप करने लगते हैं - "ओम् नमो शिवाय"।
जब राजा पूछते हैं कि यह क्या है, तो तेनाली समझाते हैं कि वे राजा की भलाई के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
## तेनाली की अंतिम चाल
तेनाली अपनी सबसे चतुर चाल चलते हैं। वे कहते हैं कि हमारे यहां माता-पिता के स्वर्ग सिधारने पर ही मुंडन होता है। उनके माता-पिता तो स्वर्ग सिधार चुके हैं, लेकिन अब राजा ही उनके माता-पिता हैं।
तेनाली कहते हैं कि राजा सामने विराजमान हैं, तो मुंडन कैसे कराएं? यदि मुंडन हो तो कहीं राजा को कुछ हो न जाए। इसलिए वे प्रभु को याद कर रहे हैं।
यह सुनकर राजा घबरा जाते हैं। वे सोचते हैं कि कहीं मुंडन से पहले सच में मृत्यु आ गई तो? राजा तुरंत दंड वापस ले लेते हैं और नाई का हाथ रोक देते हैं।
## अंत - तेनाली की विजय
राजा समझ जाते हैं कि तेनाली ने फिर से अपनी चतुराई दिखाई है। वे कहते हैं कि तेनाली से कौन जीत सकता है? उन्होंने अशर्फियां भी लीं और दंड-अपमान से भी बचे।
राजा तेनाली की चतुराई से एक बार फिर प्रसन्न हो जाते हैं और कहते हैं कि चलो बाग में चलें।
दरबारी फिर से हार जाते हैं। वे सिर ठोकते हुए कहते हैं कि तेनाली फिर छूट गया और उसकी बुद्धि ने उन्हें फिर मात दी।
इस प्रकार तेनाली अपनी बुद्धिमत्ता से कठिन परिस्थिति से निकल जाते हैं और दरबारियों की चाल को विफल कर देते हैं।
---
## नए शब्दों के अर्थ
| शब्द | अर्थ (Simple English) |
|------|---------------------|
| दरबार | Royal court |
| विदूषक | Court jester/comedian |
| प्रशंसा | Praise |
| चतुराई | Cleverness |
| ईर्ष्या | Jealousy |
| मुकाबला | Competition |
| अनाड़ी | Inexperienced |
| मूर्खता | Foolishness |
| मुंडन | Head shaving |
| अशर्फी | Gold coin |
| ऋण | Debt |
| मंत्र | Chant/prayer |
| स्वर्ग सिधारना | To die/pass away |
| घाघ | Cunning person |
| उस्तरा | Razor |
| निवेदन | Request |
| विपत्ति | Trouble/calamity |
| कुशाग्र बुद्धि | Sharp intelligence |
| परामर्शदाता | Advisor |
| तमाशा | Entertainment/show |
शतरंज में मात
परिचय
यह नाटक तेनालीरामन की चतुराई और बुद्धिमत्ता की कहानी है। तेनाली रामकृष्ण विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में विदूषक एवं राज परामर्शदाता के रूप में जाने जाते थे। वे अपनी कुशाग्र बुद्धि और हास्य भरे वृत्तांतों के लिए प्रसिद्ध हैं।
पहला दृश्य - दरबारियों की चाल
राजा के दरबार में दरबारी तेनालीरामन से ईर्ष्या करते हैं क्योंकि राजा उन्हें बहुत महत्व देते हैं। दरबारी हमेशा तेनाली की प्रशंसा सुनते रहते हैं - "हाँ तेनाली! वाह तेनाली! क्या पते की बात कही तेनाली ने।" इससे उनके कान पक गए हैं।
दरबारियों ने तेनाली को नीचा दिखाने के लिए एक योजना बनाई। जब राजा तेनालीरामन के बारे में पूछते हैं, तो दरबारी बताते हैं कि तेनाली शतरंज का शौकीन है और अद्भुत खिलाड़ी है। वे राजा को बताते हैं कि तेनाली ने कई बड़े-बड़े खिलाड़ियों को मात दी है।
राजा इस बात से प्रसन्न होकर तेनाली के साथ शतरंज खेलने का निर्णय लेते हैं। दरबारी चाहते हैं कि राजा और तेनाली के बीच मुकाबला हो ताकि तेनाली को हराया जा सके।
तेनाली का आगमन और समस्या
जब तेनाली दरबार में आते हैं, तो राजा उनसे शतरंज के बारे में पूछते हैं। तेनाली चकित होकर कहते हैं कि उन्हें शतरंज के विषय में कुछ नहीं पता। वे बार-बार कहते हैं कि वास्तव में उन्हें शतरंज का ज्ञान नहीं है और वे अनाड़ी हैं।
लेकिन राजा को दरबारियों की बात पर भरोसा है। वे क्रोधित होकर कहते हैं कि अब बात छिप नहीं सकती और कोई बहाना नहीं चलेगा। तेनाली को मजबूरन शतरंज खेलना पड़ता है।
दूसरा दृश्य - शतरंज का खेल
दरबार भवन में बीच में चौकी पर गद्दी बिछाई गई है। राजा और तेनाली के बीच शतरंज की चादर बिछी है। चारों ओर दरबारी और अन्य लोग बैठे हैं।
खेल शुरू होता है। राजा पहली चाल चलते हैं, और दरबारी उनकी तारीफ करते हैं। तेनाली सोच में पड़ जाते हैं कि क्या चलें। वे बार-बार कहते हैं कि उन्हें शतरंज नहीं आता।
तेनाली अनजाने में ऐसी चालें चलते हैं जो शतरंज के नियमों के अनुसार गलत हैं। राजा को लगता है कि तेनाली जानबूझकर हार रहे हैं। राजा क्रोधित होकर कहते हैं कि तेनाली मन से खेलें और सही रंग दिखाएं।
खेल के दौरान तेनाली के मोहरे एक-एक करके कट जाते हैं। राजा समझते हैं कि तेनाली चतुराई या मूर्खता - दोनों में से कुछ तो कर रहे हैं। अंततः तेनाली का राजा कट जाता है और वे हार जाते हैं।
राजा बहुत क्रोधित होकर शतरंज उलट देते हैं और मोहरें फेंक देते हैं। वे तेनाली को कल दरबार में नाई बुलाकर मुंडन कराने की सजा देते हैं।
तीसरा दृश्य - तेनाली की चतुराई
अगले दिन दरबार में नाई को बुलाया जाता है। नाई डरा हुआ आता है लेकिन जब पता चलता है कि उसे मुंडन करना है तो वह खुश हो जाता है क्योंकि उसे इनाम मिलेगा।
जब नाई मुंडन करने लगता है, तो तेनाली पहली चाल चलते हैं। वे कहते हैं कि इन बालों पर उन्होंने पांच हजार अशर्फियां उधार ली हैं। जब तक ऋण न चुकाएं, केश कटवाने का कोई अधिकार नहीं है।
राजा यह सुनकर तुरंत पांच हजार अशर्फियां भिजवा देते हैं और नाई को काम पूरा करने को कहते हैं।
तब तेनाली दूसरी चाल चलते हैं। वे आसन लगाकर मंच पर बैठ जाते हैं और आंखें मूंदकर मंत्र जाप करने लगते हैं - "ओम् नमो शिवाय"।
जब राजा पूछते हैं कि यह क्या है, तो तेनाली समझाते हैं कि वे राजा की भलाई के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
तेनाली की अंतिम चाल
तेनाली अपनी सबसे चतुर चाल चलते हैं। वे कहते हैं कि हमारे यहां माता-पिता के स्वर्ग सिधारने पर ही मुंडन होता है। उनके माता-पिता तो स्वर्ग सिधार चुके हैं, लेकिन अब राजा ही उनके माता-पिता हैं।
तेनाली कहते हैं कि राजा सामने विराजमान हैं, तो मुंडन कैसे कराएं? यदि मुंडन हो तो कहीं राजा को कुछ हो न जाए। इसलिए वे प्रभु को याद कर रहे हैं।
यह सुनकर राजा घबरा जाते हैं। वे सोचते हैं कि कहीं मुंडन से पहले सच में मृत्यु आ गई तो? राजा तुरंत दंड वापस ले लेते हैं और नाई का हाथ रोक देते हैं।
अंत - तेनाली की विजय
राजा समझ जाते हैं कि तेनाली ने फिर से अपनी चतुराई दिखाई है। वे कहते हैं कि तेनाली से कौन जीत सकता है? उन्होंने अशर्फियां भी लीं और दंड-अपमान से भी बचे।
राजा तेनाली की चतुराई से एक बार फिर प्रसन्न हो जाते हैं और कहते हैं कि चलो बाग में चलें।
दरबारी फिर से हार जाते हैं। वे सिर ठोकते हुए कहते हैं कि तेनाली फिर छूट गया और उसकी बुद्धि ने उन्हें फिर मात दी।
इस प्रकार तेनाली अपनी बुद्धिमत्ता से कठिन परिस्थिति से निकल जाते हैं और दरबारियों की चाल को विफल कर देते हैं।
नए शब्दों के अर्थ
शब्द | अर्थ (Simple English) |
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दरबार | Royal court |
विदूषक | Court jester/comedian |
प्रशंसा | Praise |
चतुराई | Cleverness |
ईर्ष्या | Jealousy |
मुकाबला | Competition |
अनाड़ी | Inexperienced |
मूर्खता | Foolishness |
मुंडन | Head shaving |
अशर्फी | Gold coin |
ऋण | Debt |
मंत्र | Chant/prayer |
स्वर्ग सिधारना | To die/pass away |
घाघ | Cunning person |
उस्तरा | Razor |
निवेदन | Request |
विपत्ति | Trouble/calamity |
कुशाग्र बुद्धि | Sharp intelligence |
परामर्शदाता | Advisor |
तमाशा | Entertainment/show |