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Chapter 2: फसलों के त्योहार

5th StandardHindi

Chapter Summary

फसलों के त्योहार - Chapter Summary

## सर्दी की सुबह और खिचड़ी का त्योहार

**सर्दी की सुबह:** लेखक वर्णन करता है कि जनवरी के ठंडे दिनों में सुबह उठना कितना मुश्किल होता है। खिचड़ी के समय धूप में गर्माहट शुरू होनी चाहिए, लेकिन दस दिन से सूरज गायब है। घर में चहल-पहल से पता चलता है कि सुबह हो गई है।

**खिचड़ी की तैयारी:** परिवार के सभी सदस्य एक कमरे में इकट्ठा होते हैं। दादा और चाचा ने सफेद धोती-कुर्ता पहना है। दादी ने खादी की सफेद साड़ी पहनी है और उनके बाल बिल्कुल सफेद दिख रहे हैं। केले के पत्तों पर तिल, मिट्टी (गुड़), चावल आदि के छोटे ढेर रखे गए हैं।

**पूजा की रस्म:** सबको बारी-बारी से इन सभी चीजों को छूकर प्रणाम करना होता है। फिर इन्हें एक जगह इकट्ठा करके दान दे दिया जाता है। खिचड़ी खाने के बाद सभी ने 'गया' से आए तिल, गुड़ और चीनी के तिलकुट को बड़े चाव से खाया।

## फसलों के त्योहार - राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

**व्यापक मनाने का तरीका:** जनवरी माह के मध्य में भारत के लगभग सभी प्रांतों में फसलों से जुड़ा कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। कोई फसलों के तैयार होने की खुशी मनाता है, तो कुछ लोग उम्मीद में खुश होते हैं कि अब पाला कम होगा।

**विभिन्न प्रांतों के त्योहार:**
- **उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश:** मकर संक्रांति या तिल संक्रांत
- **असम:** बिहू
- **केरल:** ओणम
- **तमिलनाडु:** पोंगल
- **पंजाब:** लोहड़ी
- **झारखंड:** सरहुल
- **गुजरात:** पतंग का पर्व

## विभिन्न राज्यों के त्योहारों का विस्तृत विवरण

### झारखंड का सरहुल त्योहार

**समय और अवधि:** सरहुल को बड़े जोश-खरोश के साथ मनाया जाता है। चार दिनों तक इसका जश्न चलता रहता है। अलग-अलग जनजातियां इसे अलग-अलग समय में मनाती हैं:
- **संथाल लोग:** फरवरी-मार्च में
- **ओराव लोग:** मार्च-अप्रैल में

**मुख्य विशेषताएं:**
- आदिवासी आमतौर पर प्रकृति की पूजा करते हैं
- 'साल' के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है
- यह समय होता है जब साल के पेड़ों में फूल आने लगते हैं
- स्त्री-पुरुष दोनों ढोल-मांजीरे लेकर रात भर नाचते-गाते हैं

**उत्सव की परंपराएं:**
- लोग एक पंक्ति में कमर में बांहें डालकर नृत्य करते हैं
- अगले दिन नृत्य करते हुए घर-घर जाते हैं और फूलों के पौधे लगाते हैं
- घर-घर से चंदा मांगने की परंपरा है (मुर्गा, चावल और मिश्री)
- तीसरे दिन पूजा होती है जिसके बाद लोग अपने कानों में सरई का फूल पहनते हैं

### तमिलनाडु का पोंगल त्योहार

**फसल का महत्व:** पोंगल के रूप में मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन खरीफ की फसलें (चावल, अरहर आदि) कटकर घरों में पहुंचती हैं।

**पूजा की विधि:**
- लोग नए धान कूटकर चावल निकालते हैं
- हर घर में मिट्टी का नया मटका लाया जाता है
- नए चावल, दूध और गुड़ डालकर उसे धूप में पकाने के लिए रखते हैं
- हल्दी को शुभ माना जाता है, इसलिए साबुत हल्दी को मटके के मुंह के चारों ओर बांध देते हैं

**उत्सव की परंपरा:**
- मटका दिन में साढ़े दस-बारह बजे तक धूप में रखा जाता है
- जैसे ही दूध में उफान आता है, "पोंगला-पोंगल" के स्वर सुनाई देते हैं
- यह खुशी का इजहार है कि खिचड़ी में उफान आ गया

### गुजरात का पतंग पर्व

**पतंगबाजी का जुनून:** गुजरात में पतंगों के बिना मकर संक्रांति का जश्न अधूरा माना जाता है। आसमान की ओर देखें तो हर आकार और रंग-रूप की पतंगें लहराती हुई मिलती हैं।

**सामाजिक एकता:** प्रत्येक गुजराती चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या आयु का हो, पतंग उड़ाता है। हजारों-लाखों पतंगों से सूर्य भी ढक जाता है।

**उत्सव की गतिविधियां:**
- लेकर रात भर नाचते-गाते हैं
- चारों ओर फैली छोटी-छोटी घाटियां और लंबे-लंबे साल के वृक्षों का जंगल
- लिपे-पुते, कड़ीने से बुहारे और सजाए गए घरों के सामने लोग एक पंक्ति में नृत्य करते हैं

### अन्य राज्यों के त्योहार

**कुमाऊं में घुघुतिया:** आटे और गुड़ को गूंधकर पकवान बनाए जाते हैं। इन्हें तरह-तरह के आकार दिए जाते हैं जैसे डमरू, तलवार, दाड़िम का फूल आदि।

**विशेष गीत:** बच्चे एक माला में पिरोए गए पकवान लेकर पहाड़ों से आए पक्षियों को बुलाते हैं:
```
कौवा आवो
घुघुत आवो
ले कौवा बड़ो
म कै दे जा सोने का घड़ो
खा लै पूरी
म कै दे जा सोने की छुरी
```

**तमिलनाडु में पोंगल:** मकर संक्रांति का त्योहार 'पोंगल' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खरीफ की फसलें (चावल, अरहर आदि) कटकर घरों में पहुंचती हैं।

**नई फसल का उत्सव:** हर घर में मिट्टी का नया मटका लाया जाता है जिसमें नए चावल, दूध और गुड़ डालकर उसे पकाने के लिए धूप में रख देते हैं।

## तिल का महत्व और परंपराएं

**धार्मिक महत्व:** मकर संक्रांति के दिन तिल का विशेष महत्व होता है:
- पानी में तिल डालकर स्नान करना
- तिल दान करना
- आग में तिल डालना
- तिल के पकवान बनाना

**सामाजिक एकता:** अलग-अलग जनजातियां इसे अलग-अलग समय में मनाती हैं, लेकिन सभी में प्रकृति की पूजा और फसलों के लिए कृतज्ञता का भाव समान है।

## निष्कर्ष

यह त्योहार हमारी कृषि संस्कृति का प्रतीक है। विविधता में एकता का यह त्योहार दिखाता है कि कैसे पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से एक ही भावना - फसलों के लिए कृतज्ञता और प्रकृति की पूजा - को व्यक्त किया जाता है।

---

## नए शब्दों की व्याख्या (Simple English Definitions)

**मकर संक्रांति** - A Hindu festival marking the transition of the sun into Capricorn zodiac sign
**तिलकुट** - Sweet made from sesame seeds and jaggery
**चांवल** - Rice
**गुड़** - Jaggery (unrefined sugar)
**खरीफ** - Monsoon season crops
**रबी** - Winter season crops
**आदिवासी** - Indigenous tribal people
**पोंगल** - Tamil harvest festival
**बिहू** - Assamese New Year and harvest festival
**लोहड़ी** - Punjabi harvest festival
**सरहुल** - Tribal festival of Jharkhand
**साल** - Sal tree (Shorea robusta)
**सरई** - A type of flower
**घुघुतिया** - Festival celebrated in Kumaon region

सर्दी की सुबह और खिचड़ी का त्योहार

सर्दी की सुबह: लेखक वर्णन करता है कि जनवरी के ठंडे दिनों में सुबह उठना कितना मुश्किल होता है। खिचड़ी के समय धूप में गर्माहट शुरू होनी चाहिए, लेकिन दस दिन से सूरज गायब है। घर में चहल-पहल से पता चलता है कि सुबह हो गई है।

खिचड़ी की तैयारी: परिवार के सभी सदस्य एक कमरे में इकट्ठा होते हैं। दादा और चाचा ने सफेद धोती-कुर्ता पहना है। दादी ने खादी की सफेद साड़ी पहनी है और उनके बाल बिल्कुल सफेद दिख रहे हैं। केले के पत्तों पर तिल, मिट्टी (गुड़), चावल आदि के छोटे ढेर रखे गए हैं।

पूजा की रस्म: सबको बारी-बारी से इन सभी चीजों को छूकर प्रणाम करना होता है। फिर इन्हें एक जगह इकट्ठा करके दान दे दिया जाता है। खिचड़ी खाने के बाद सभी ने 'गया' से आए तिल, गुड़ और चीनी के तिलकुट को बड़े चाव से खाया।

फसलों के त्योहार - राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

व्यापक मनाने का तरीका: जनवरी माह के मध्य में भारत के लगभग सभी प्रांतों में फसलों से जुड़ा कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। कोई फसलों के तैयार होने की खुशी मनाता है, तो कुछ लोग उम्मीद में खुश होते हैं कि अब पाला कम होगा।

विभिन्न प्रांतों के त्योहार:

  • उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश: मकर संक्रांति या तिल संक्रांत
  • असम: बिहू
  • केरल: ओणम
  • तमिलनाडु: पोंगल
  • पंजाब: लोहड़ी
  • झारखंड: सरहुल
  • गुजरात: पतंग का पर्व

विभिन्न राज्यों के त्योहारों का विस्तृत विवरण

झारखंड का सरहुल त्योहार

समय और अवधि: सरहुल को बड़े जोश-खरोश के साथ मनाया जाता है। चार दिनों तक इसका जश्न चलता रहता है। अलग-अलग जनजातियां इसे अलग-अलग समय में मनाती हैं:

  • संथाल लोग: फरवरी-मार्च में
  • ओराव लोग: मार्च-अप्रैल में

मुख्य विशेषताएं:

  • आदिवासी आमतौर पर प्रकृति की पूजा करते हैं
  • 'साल' के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है
  • यह समय होता है जब साल के पेड़ों में फूल आने लगते हैं
  • स्त्री-पुरुष दोनों ढोल-मांजीरे लेकर रात भर नाचते-गाते हैं

उत्सव की परंपराएं:

  • लोग एक पंक्ति में कमर में बांहें डालकर नृत्य करते हैं
  • अगले दिन नृत्य करते हुए घर-घर जाते हैं और फूलों के पौधे लगाते हैं
  • घर-घर से चंदा मांगने की परंपरा है (मुर्गा, चावल और मिश्री)
  • तीसरे दिन पूजा होती है जिसके बाद लोग अपने कानों में सरई का फूल पहनते हैं

तमिलनाडु का पोंगल त्योहार

फसल का महत्व: पोंगल के रूप में मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन खरीफ की फसलें (चावल, अरहर आदि) कटकर घरों में पहुंचती हैं।

पूजा की विधि:

  • लोग नए धान कूटकर चावल निकालते हैं
  • हर घर में मिट्टी का नया मटका लाया जाता है
  • नए चावल, दूध और गुड़ डालकर उसे धूप में पकाने के लिए रखते हैं
  • हल्दी को शुभ माना जाता है, इसलिए साबुत हल्दी को मटके के मुंह के चारों ओर बांध देते हैं

उत्सव की परंपरा:

  • मटका दिन में साढ़े दस-बारह बजे तक धूप में रखा जाता है
  • जैसे ही दूध में उफान आता है, "पोंगला-पोंगल" के स्वर सुनाई देते हैं
  • यह खुशी का इजहार है कि खिचड़ी में उफान आ गया

गुजरात का पतंग पर्व

पतंगबाजी का जुनून: गुजरात में पतंगों के बिना मकर संक्रांति का जश्न अधूरा माना जाता है। आसमान की ओर देखें तो हर आकार और रंग-रूप की पतंगें लहराती हुई मिलती हैं।

सामाजिक एकता: प्रत्येक गुजराती चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या आयु का हो, पतंग उड़ाता है। हजारों-लाखों पतंगों से सूर्य भी ढक जाता है।

उत्सव की गतिविधियां:

  • लेकर रात भर नाचते-गाते हैं
  • चारों ओर फैली छोटी-छोटी घाटियां और लंबे-लंबे साल के वृक्षों का जंगल
  • लिपे-पुते, कड़ीने से बुहारे और सजाए गए घरों के सामने लोग एक पंक्ति में नृत्य करते हैं

अन्य राज्यों के त्योहार

कुमाऊं में घुघुतिया: आटे और गुड़ को गूंधकर पकवान बनाए जाते हैं। इन्हें तरह-तरह के आकार दिए जाते हैं जैसे डमरू, तलवार, दाड़िम का फूल आदि।

विशेष गीत: बच्चे एक माला में पिरोए गए पकवान लेकर पहाड़ों से आए पक्षियों को बुलाते हैं:

कौवा आवो
घुघुत आवो
ले कौवा बड़ो
म कै दे जा सोने का घड़ो
खा लै पूरी
म कै दे जा सोने की छुरी

तमिलनाडु में पोंगल: मकर संक्रांति का त्योहार 'पोंगल' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खरीफ की फसलें (चावल, अरहर आदि) कटकर घरों में पहुंचती हैं।

नई फसल का उत्सव: हर घर में मिट्टी का नया मटका लाया जाता है जिसमें नए चावल, दूध और गुड़ डालकर उसे पकाने के लिए धूप में रख देते हैं।

तिल का महत्व और परंपराएं

धार्मिक महत्व: मकर संक्रांति के दिन तिल का विशेष महत्व होता है:

  • पानी में तिल डालकर स्नान करना
  • तिल दान करना
  • आग में तिल डालना
  • तिल के पकवान बनाना

सामाजिक एकता: अलग-अलग जनजातियां इसे अलग-अलग समय में मनाती हैं, लेकिन सभी में प्रकृति की पूजा और फसलों के लिए कृतज्ञता का भाव समान है।

निष्कर्ष

यह त्योहार हमारी कृषि संस्कृति का प्रतीक है। विविधता में एकता का यह त्योहार दिखाता है कि कैसे पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से एक ही भावना - फसलों के लिए कृतज्ञता और प्रकृति की पूजा - को व्यक्त किया जाता है।


नए शब्दों की व्याख्या (Simple English Definitions)

मकर संक्रांति - A Hindu festival marking the transition of the sun into Capricorn zodiac sign
तिलकुट - Sweet made from sesame seeds and jaggery
चांवल - Rice
गुड़ - Jaggery (unrefined sugar)
खरीफ - Monsoon season crops
रबी - Winter season crops
आदिवासी - Indigenous tribal people
पोंगल - Tamil harvest festival
बिहू - Assamese New Year and harvest festival
लोहड़ी - Punjabi harvest festival
सरहुल - Tribal festival of Jharkhand
साल - Sal tree (Shorea robusta)
सरई - A type of flower
घुघुतिया - Festival celebrated in Kumaon region