Chapter 8: वे दिन भी क्या दिन थे
Chapter Summary
वे दिन भी क्या दिन थे - Chapter Summary
यह कहानी सन् 2155 में घटने वाली एक भविष्यकालीन घटना है। इसमें दो मुख्य पात्र हैं - कुम्मी और रोहित। कुम्मी एक ग्यारह साल की लड़की है जो अपनी डायरी में अपने दैनिक अनुभव लिखती है।
## पुस्तक की खोज
17 मई सन् 2155 की रात को कुम्मी ने अपनी डायरी में लिखा कि रोहित को सचमुच की एक पुस्तक मिली है। यह पुस्तक बहुत पुरानी थी। रोहित ने बताया कि उसे यह पुस्तक अपने घर में एक पुराने डिब्बे से मिली थी।
## भविष्य की शिक्षा प्रणाली
कुम्मी के दादा ने बताया था कि उनके जमाने में सारी कहानियां कागज पर छपती थीं। पुस्तकों में पृष्ठ होते थे जिन पर कहानियां छपी होती थीं। हर पृष्ठ पढ़ने के बाद दूसरा पृष्ठ पलटकर आगे पढ़ना होता था। सारे शब्द स्थिर रहते थे, चलते नहीं थे जैसे आजकल पर्दे पर चलते हैं।
## भविष्य के स्कूल की व्यवस्था
भविष्य में हर विद्यार्थी के घर पर एक मशीन होती है जिसमें टेलीविजन की तरह का एक पर्दा होता है। रोज नियमित रूप से उसके सामने बैठकर बच्चों को वह सब याद करना होता है जो मशीन उन्हें बताती है। सारा गृहकार्य करके दूसरे दिन उसी मशीन में डाल देना होता है।
## मशीनी अध्यापक की समस्याएं
कुम्मी को याद आया कि एक बार जब उससे भूगोल में रोज वही गलतियां होने लगी थीं, तो उसकी मां ने मुहल्ले के अध्यक्ष को बताया था। एक आदमी आया था और उसने मशीन के पुर्जे-पुर्जे अलग कर दिए थे। मशीन के भूगोल की चक्की कुछ तेज रफ्तार पर थी, इसलिए कुम्मी के लिए उसे समझना कठिन हो गया था।
## पुराने स्कूल की जानकारी
पुस्तक में स्कूलों के बारे में लिखा था। रोहित ने बताया कि पुराने जमाने में अध्यापक मशीन नहीं, बल्कि स्त्रियां और पुरुष होते थे। वे बच्चों को सारे विषय समझाते थे, गृहकार्य देते थे और प्रश्न पूछते थे। अध्यापक बच्चों के घर नहीं जाते थे बल्कि बच्चे एक विशेष भवन में जाते थे जिसे स्कूल कहते थे।
## कुम्मी की जिज्ञासा
कुम्मी ने पूछा कि क्या सब बच्चे एक समय में एक जैसी ही चीजें सीखते थे। रोहित ने जवाब दिया कि हां, एक आयु के बच्चे एक साथ बैठते थे। कुम्मी को यह बात अजीब लगी क्योंकि उसकी मां कहती थी कि मशीनी अध्यापक हर बच्चे की समझ के अनुसार पढ़ाता है।
## भूगोल के अध्यापक की घटना
कुम्मी को भूगोल की मशीन की समस्या के बारे में याद आया। जब मशीन में खराबी आई थी, तो एक आदमी आया था और उसने मशीन को ठीक कर दिया था। उसने बताया था कि मशीन की गति कुछ तेज थी इसलिए कुम्मी के लिए समझना कठिन हो गया था।
## पुराने स्कूल का आकर्षण
जब रोहित ने बताया कि पुराने जमाने में अध्यापक इंसान होते थे, तो कुम्मी ने पूछा कि क्या कोई स्त्री या पुरुष इतने सारे विषय सिखा सकता है। रोहित ने समझाया कि वे बच्चों को सारे विषय समझाते थे और एक विशेष भवन में पढ़ाते थे।
## स्कूल के बारे में कुम्मी की सोच
कुम्मी के मन में उत्सुकता जगी। उसे लगा कि पुराने स्कूल में जाना कितना आनंददायक होता होगा। वह सोच रही थी कि कितने अच्छे होते होंगे वे पुराने स्कूल जहां एक ही आयु के सारे बच्चे हंसते, खेलते-कूदते स्कूल जाते होंगे।
## कहानी का अंत
कहानी के अंत में कुम्मी अपनी मशीन के सामने बैठकर गणित का सबक लेने लगी। मशीन से आवाज आने लगी और पर्दे पर चलते हुए अक्षर और अंक आने शुरू हो गए। लेकिन कुम्मी सोच रही थी कि तब स्कूल जाने में कितना आनंद आता होगा, कितने खुश रहते होंगे सारे बच्चे!
## मुख्य संदेश
यह कहानी दिखाती है कि तकनीकी प्रगति के बावजूद भी मानवीय संपर्क और सामाजिक शिक्षा की महत्ता कम नहीं होती। कुम्मी का मशीनी शिक्षा से ऊबना और पुराने स्कूल के लिए उत्सुकता दिखाना इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि व्यक्तित्व का विकास भी है।
---
## नए शब्दों के अर्थ
**विज्ञान कथा (Science Fiction)**: भविष्य की तकनीक और समाज के बारे में कल्पनाशील कहानी
**भविष्यकालीन**: भविष्य में घटने वाला
**मशीनी अध्यापक**: मशीन जो शिक्षा देती है
**गृहकार्य**: घर पर करने का काम, होमवर्क
**उत्सुकता**: जानने की इच्छा, curiosity
**अध्यक्ष**: किसी संस्था का मुखिया
**पुर्जे**: मशीन के छोटे हिस्से, parts
**रफ्तार**: गति, speed
**जिज्ञासा**: जानने की इच्छा
**आनंददायक**: खुशी देने वाला
कहानी का परिचय
यह कहानी सन् 2155 में घटने वाली एक भविष्यकालीन घटना है। इसमें दो मुख्य पात्र हैं - कुम्मी और रोहित। कुम्मी एक ग्यारह साल की लड़की है जो अपनी डायरी में अपने दैनिक अनुभव लिखती है।
पुस्तक की खोज
17 मई सन् 2155 की रात को कुम्मी ने अपनी डायरी में लिखा कि रोहित को सचमुच की एक पुस्तक मिली है। यह पुस्तक बहुत पुरानी थी। रोहित ने बताया कि उसे यह पुस्तक अपने घर में एक पुराने डिब्बे से मिली थी।
भविष्य की शिक्षा प्रणाली
कुम्मी के दादा ने बताया था कि उनके जमाने में सारी कहानियां कागज पर छपती थीं। पुस्तकों में पृष्ठ होते थे जिन पर कहानियां छपी होती थीं। हर पृष्ठ पढ़ने के बाद दूसरा पृष्ठ पलटकर आगे पढ़ना होता था। सारे शब्द स्थिर रहते थे, चलते नहीं थे जैसे आजकल पर्दे पर चलते हैं।
भविष्य के स्कूल की व्यवस्था
भविष्य में हर विद्यार्थी के घर पर एक मशीन होती है जिसमें टेलीविजन की तरह का एक पर्दा होता है। रोज नियमित रूप से उसके सामने बैठकर बच्चों को वह सब याद करना होता है जो मशीन उन्हें बताती है। सारा गृहकार्य करके दूसरे दिन उसी मशीन में डाल देना होता है।
मशीनी अध्यापक की समस्याएं
कुम्मी को याद आया कि एक बार जब उससे भूगोल में रोज वही गलतियां होने लगी थीं, तो उसकी मां ने मुहल्ले के अध्यक्ष को बताया था। एक आदमी आया था और उसने मशीन के पुर्जे-पुर्जे अलग कर दिए थे। मशीन के भूगोल की चक्की कुछ तेज रफ्तार पर थी, इसलिए कुम्मी के लिए उसे समझना कठिन हो गया था।
पुराने स्कूल की जानकारी
पुस्तक में स्कूलों के बारे में लिखा था। रोहित ने बताया कि पुराने जमाने में अध्यापक मशीन नहीं, बल्कि स्त्रियां और पुरुष होते थे। वे बच्चों को सारे विषय समझाते थे, गृहकार्य देते थे और प्रश्न पूछते थे। अध्यापक बच्चों के घर नहीं जाते थे बल्कि बच्चे एक विशेष भवन में जाते थे जिसे स्कूल कहते थे।
कुम्मी की जिज्ञासा
कुम्मी ने पूछा कि क्या सब बच्चे एक समय में एक जैसी ही चीजें सीखते थे। रोहित ने जवाब दिया कि हां, एक आयु के बच्चे एक साथ बैठते थे। कुम्मी को यह बात अजीब लगी क्योंकि उसकी मां कहती थी कि मशीनी अध्यापक हर बच्चे की समझ के अनुसार पढ़ाता है।
भूगोल के अध्यापक की घटना
कुम्मी को भूगोल की मशीन की समस्या के बारे में याद आया। जब मशीन में खराबी आई थी, तो एक आदमी आया था और उसने मशीन को ठीक कर दिया था। उसने बताया था कि मशीन की गति कुछ तेज थी इसलिए कुम्मी के लिए समझना कठिन हो गया था।
पुराने स्कूल का आकर्षण
जब रोहित ने बताया कि पुराने जमाने में अध्यापक इंसान होते थे, तो कुम्मी ने पूछा कि क्या कोई स्त्री या पुरुष इतने सारे विषय सिखा सकता है। रोहित ने समझाया कि वे बच्चों को सारे विषय समझाते थे और एक विशेष भवन में पढ़ाते थे।
स्कूल के बारे में कुम्मी की सोच
कुम्मी के मन में उत्सुकता जगी। उसे लगा कि पुराने स्कूल में जाना कितना आनंददायक होता होगा। वह सोच रही थी कि कितने अच्छे होते होंगे वे पुराने स्कूल जहां एक ही आयु के सारे बच्चे हंसते, खेलते-कूदते स्कूल जाते होंगे।
कहानी का अंत
कहानी के अंत में कुम्मी अपनी मशीन के सामने बैठकर गणित का सबक लेने लगी। मशीन से आवाज आने लगी और पर्दे पर चलते हुए अक्षर और अंक आने शुरू हो गए। लेकिन कुम्मी सोच रही थी कि तब स्कूल जाने में कितना आनंद आता होगा, कितने खुश रहते होंगे सारे बच्चे!
मुख्य संदेश
यह कहानी दिखाती है कि तकनीकी प्रगति के बावजूद भी मानवीय संपर्क और सामाजिक शिक्षा की महत्ता कम नहीं होती। कुम्मी का मशीनी शिक्षा से ऊबना और पुराने स्कूल के लिए उत्सुकता दिखाना इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि व्यक्तित्व का विकास भी है।
नए शब्दों के अर्थ
विज्ञान कथा (Science Fiction): भविष्य की तकनीक और समाज के बारे में कल्पनाशील कहानी
भविष्यकालीन: भविष्य में घटने वाला
मशीनी अध्यापक: मशीन जो शिक्षा देती है
गृहकार्य: घर पर करने का काम, होमवर्क
उत्सुकता: जानने की इच्छा, curiosity
अध्यक्ष: किसी संस्था का मुखिया
पुर्जे: मशीन के छोटे हिस्से, parts
रफ्तार: गति, speed
जिज्ञासा: जानने की इच्छा
आनंददायक: खुशी देने वाला