Chapter 10: एक दिन की बादशाहत
Chapter Summary
एक दिन की बादशाहत - Chapter Summary
### पात्र परिचय
यह कहानी आरिफ़ और सलीम नामक दो भाइयों की है। इनके अतिरिक्त अम्मी (माँ), अब्बा (पिता), दादी, आपा (बहन), भाई जान और खानसामा भी मुख्य पात्र हैं।
### मुख्य कथानक
#### समस्या की शुरुआत
आरिफ़ और सलीम दोनों भाइयों को घर में हमेशा पाबंदियों का सामना करना पड़ता था। हर समय उन्हें डाँट-फटकार सुननी पड़ती थी:
- अम्मी कहती थीं: "आरिफ़... सलीम... चलो, फ़ौरन सो जाओ"
- भाई जान डाँटते: "चुप होता है या नहीं! हर वक़्त में ढक की तरह टर्राए जाता है!"
- दादी चिल्लाती: "हाय, मेरा दिमाग़ फटा जा रहा है शोर के मारे!"
#### योजना बनाना
दोनों भाइयों ने मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने अब्बा के सामने दरख्वास्त पेश की कि उन्हें एक दिन के लिए बड़ों के सारे अधिकार दे दिए जाएं और सभी बड़े छोटे बन जाएं।
#### अब्बा की सहमति
अब्बा ने किसी अजीब मूड में होकर न सिर्फ़ मान लिया बल्कि यह इकरार भी कर दिया कि कल दोनों को हर किस्म के अधिकार मिल जाएंगे।
### बादशाहत का दिन
#### सुबह की शुरुआत
- आरिफ़ ने अम्मी को झिंझोड़कर जगाया: "अम्मी, जल्दी उठिए, नाश्ता तैयार कीजिए!"
- अम्मी ने एक झापड़ रसीद करके सोने की चाह की, लेकिन याद आया कि आज तो उनके सारे अधिकार छिन चुके हैं।
#### दादी के साथ व्यवहार
- आरिफ़ ने दादी को रोका: "तौबा है, दादी! कितना हरीरा पिएंगी आप - पेट फट जाएगा!"
- दादी ने हाथ उठाया मारने के लिए, लेकिन रह गईं।
#### नाश्ते की मेज़ पर
- आरिफ़ ने खानसामा से कहा: "अंडे और मक्खन वग़ैरह हमारे सामने रखो, दलिया और दूध-बिस्कुट इन सबको दे दो!"
- आपा ने गुस्से भरी नज़रों से देखा, लेकिन बेबस थीं।
#### सलीम की नकल
- सलीम ने अम्मी को टोका: "अम्मी, ज़रा अपने दांत देखिए, पान खाने से कितने गंदे हो रहे हैं!"
- अम्मी को जबरदस्ती कंधा पकड़कर उठा दिया।
#### अब्बा की गत
- आरिफ़ ने अब्बा को डाँटा: "बाल बढ़े हुए, शेव नहीं की, कल कपड़े पहने थे और आज इतने मैले कर डाले!"
- अब्बा का हंसते-हंसते बुरा हाल हो गया।
#### गज़ल के समय
- जब अब्बा दोस्तों के बीच गज़ल सुना रहे थे, तो आरिफ़ ने चिल्लाकर कहा: "बस कीजिए, अब्बा! फ़ौरन ऑफ़िस जाइए, दस बज गए!"
- अब्बा को मजबूरन गज़ल की अधूरी पंक्ति दांतों में दबाकर आरिफ़ के साथ हो लेना पड़ा।
#### पैसे की मांग
- अब्बा ने पांच रुपए मांगे, तो आरिफ़ ने तुनककर कहा: "पांच रुपए का क्या होगा? कार में पेट्रोल तो है।"
- अब्बा को जेब-खर्च के लिए मना कर दिया गया।
#### खाने की व्यवस्था
- सलीम ने अम्मी की नकल उतारकर कहा: "आज गुलाब-जामुन, गाजर का हलवा और मीठे चावल पकाओ!"
- अम्मी ने कहा: "लेकिन मिठाइयों से रोटी कैसे खाई जाएगी?"
- दोनों ने एक साथ कहा: "जैसे हम रोज़ सिर्फ़ मिर्चों के सालन से खाते हैं!"
#### दादी का हाल
- दादी किसी से तू-तू मैं-मैं किए जा रही थीं।
- आरिफ़ ने दादी की नकल करते हुए कहा: "ओफ़्फ़ो! दादी तो शोर के मारे दिमाग़ पिघलाए दे रही हैं!"
#### भाई जान का मामला
- भाई जान ने फ़िल्म देखने जाने की इजाज़त मांगी।
- आरिफ़ ने आंखें निकालकर धमकाया: "ख़बरदार! कोई ज़रूरत नहीं फ़िल्म देखने की!"
#### आपा की स्थिति
- सलीम ने आपा की भारी साड़ी पर टिप्पणी की: "इतनी भारी साड़ी क्यों पहनी?"
- आपा को मजबूरन वो सफ़ेद वॉयल की साड़ी पहननी पड़ी जो सलीम ने कही थी।
#### दिन का अंत
- शाम तक दोनों भाइयों की हरकतों से सभी परेशान हो गए।
- अब्बा ने अपने दोस्तों से कहा: "स्कूल जाते वक़्त एक चवन्नी जेब में डाल लिया करो - क्या हर्ज़ है!"
### कहानी का संदेश
यह कहानी दिखाती है कि:
- बच्चे कभी-कभी बड़ों की पाबंदियों से परेशान हो जाते हैं
- जब उन्हें वास्तविक अधिकार मिल जाते हैं, तो वे भी वैसा ही व्यवहार करते हैं
- घर में हर किसी की अपनी ज़िम्मेदारियां और सीमाएं होती हैं
- बड़े और छोटे दोनों के अपने-अपने कर्तव्य होते हैं
### लेखक की जानकारी
- **मूल लेखक:** जीलानी बानो
- **अनुवाद:** उर्दू से हिंदी में लक्ष्मीचंद्र गुप्त द्वारा अनुवादित
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## नए शब्द और पारिभाषिक शब्द
### सरल अर्थ:
**आरिफ़** - एक लड़के का नाम (A boy's name)
**सलीम** - एक लड़के का नाम (A boy's name)
**बादशाहत** - राज्य, शासन (Kingdom, rule)
**दरख्वास्त** - विनती, अर्जी (Request, application)
**इकरार** - वादा, समझौता (Promise, agreement)
**पाबंदी** - रोक-टोक, मनाही (Restriction, prohibition)
**हरीरा** - एक प्रकार का पेय (A type of drink)
**खानसामा** - रसोइया (Cook)
**गज़ल** - उर्दू काव्य की एक विधा (A form of Urdu poetry)
**इजाज़त** - अनुमति (Permission)
**जेब-खर्च** - छोटे-मोटे खर्च के लिए दिया जाने वाला पैसा (Pocket money)
**तुनकना** - गुस्सा होना (To get angry)
**झिंझोड़ना** - हिला-हिलाकर जगाना (To shake someone awake)
**मजबूरन** - विवशता से (Helplessly, by force)
**वॉयल** - एक प्रकार का कपड़ा (A type of fabric)
**चवन्नी** - पुराने ज़माने का सिक्का (Old coin worth four annas)
कहानी का सारांश
पात्र परिचय
यह कहानी आरिफ़ और सलीम नामक दो भाइयों की है। इनके अतिरिक्त अम्मी (माँ), अब्बा (पिता), दादी, आपा (बहन), भाई जान और खानसामा भी मुख्य पात्र हैं।
मुख्य कथानक
समस्या की शुरुआत
आरिफ़ और सलीम दोनों भाइयों को घर में हमेशा पाबंदियों का सामना करना पड़ता था। हर समय उन्हें डाँट-फटकार सुननी पड़ती थी:
- अम्मी कहती थीं: "आरिफ़... सलीम... चलो, फ़ौरन सो जाओ"
- भाई जान डाँटते: "चुप होता है या नहीं! हर वक़्त में ढक की तरह टर्राए जाता है!"
- दादी चिल्लाती: "हाय, मेरा दिमाग़ फटा जा रहा है शोर के मारे!"
योजना बनाना
दोनों भाइयों ने मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने अब्बा के सामने दरख्वास्त पेश की कि उन्हें एक दिन के लिए बड़ों के सारे अधिकार दे दिए जाएं और सभी बड़े छोटे बन जाएं।
अब्बा की सहमति
अब्बा ने किसी अजीब मूड में होकर न सिर्फ़ मान लिया बल्कि यह इकरार भी कर दिया कि कल दोनों को हर किस्म के अधिकार मिल जाएंगे।
बादशाहत का दिन
सुबह की शुरुआत
- आरिफ़ ने अम्मी को झिंझोड़कर जगाया: "अम्मी, जल्दी उठिए, नाश्ता तैयार कीजिए!"
- अम्मी ने एक झापड़ रसीद करके सोने की चाह की, लेकिन याद आया कि आज तो उनके सारे अधिकार छिन चुके हैं।
दादी के साथ व्यवहार
- आरिफ़ ने दादी को रोका: "तौबा है, दादी! कितना हरीरा पिएंगी आप - पेट फट जाएगा!"
- दादी ने हाथ उठाया मारने के लिए, लेकिन रह गईं।
नाश्ते की मेज़ पर
- आरिफ़ ने खानसामा से कहा: "अंडे और मक्खन वग़ैरह हमारे सामने रखो, दलिया और दूध-बिस्कुट इन सबको दे दो!"
- आपा ने गुस्से भरी नज़रों से देखा, लेकिन बेबस थीं।
सलीम की नकल
- सलीम ने अम्मी को टोका: "अम्मी, ज़रा अपने दांत देखिए, पान खाने से कितने गंदे हो रहे हैं!"
- अम्मी को जबरदस्ती कंधा पकड़कर उठा दिया।
अब्बा की गत
- आरिफ़ ने अब्बा को डाँटा: "बाल बढ़े हुए, शेव नहीं की, कल कपड़े पहने थे और आज इतने मैले कर डाले!"
- अब्बा का हंसते-हंसते बुरा हाल हो गया।
गज़ल के समय
- जब अब्बा दोस्तों के बीच गज़ल सुना रहे थे, तो आरिफ़ ने चिल्लाकर कहा: "बस कीजिए, अब्बा! फ़ौरन ऑफ़िस जाइए, दस बज गए!"
- अब्बा को मजबूरन गज़ल की अधूरी पंक्ति दांतों में दबाकर आरिफ़ के साथ हो लेना पड़ा।
पैसे की मांग
- अब्बा ने पांच रुपए मांगे, तो आरिफ़ ने तुनककर कहा: "पांच रुपए का क्या होगा? कार में पेट्रोल तो है।"
- अब्बा को जेब-खर्च के लिए मना कर दिया गया।
खाने की व्यवस्था
- सलीम ने अम्मी की नकल उतारकर कहा: "आज गुलाब-जामुन, गाजर का हलवा और मीठे चावल पकाओ!"
- अम्मी ने कहा: "लेकिन मिठाइयों से रोटी कैसे खाई जाएगी?"
- दोनों ने एक साथ कहा: "जैसे हम रोज़ सिर्फ़ मिर्चों के सालन से खाते हैं!"
दादी का हाल
- दादी किसी से तू-तू मैं-मैं किए जा रही थीं।
- आरिफ़ ने दादी की नकल करते हुए कहा: "ओफ़्फ़ो! दादी तो शोर के मारे दिमाग़ पिघलाए दे रही हैं!"
भाई जान का मामला
- भाई जान ने फ़िल्म देखने जाने की इजाज़त मांगी।
- आरिफ़ ने आंखें निकालकर धमकाया: "ख़बरदार! कोई ज़रूरत नहीं फ़िल्म देखने की!"
आपा की स्थिति
- सलीम ने आपा की भारी साड़ी पर टिप्पणी की: "इतनी भारी साड़ी क्यों पहनी?"
- आपा को मजबूरन वो सफ़ेद वॉयल की साड़ी पहननी पड़ी जो सलीम ने कही थी।
दिन का अंत
- शाम तक दोनों भाइयों की हरकतों से सभी परेशान हो गए।
- अब्बा ने अपने दोस्तों से कहा: "स्कूल जाते वक़्त एक चवन्नी जेब में डाल लिया करो - क्या हर्ज़ है!"
कहानी का संदेश
यह कहानी दिखाती है कि:
- बच्चे कभी-कभी बड़ों की पाबंदियों से परेशान हो जाते हैं
- जब उन्हें वास्तविक अधिकार मिल जाते हैं, तो वे भी वैसा ही व्यवहार करते हैं
- घर में हर किसी की अपनी ज़िम्मेदारियां और सीमाएं होती हैं
- बड़े और छोटे दोनों के अपने-अपने कर्तव्य होते हैं
लेखक की जानकारी
- मूल लेखक: जीलानी बानो
- अनुवाद: उर्दू से हिंदी में लक्ष्मीचंद्र गुप्त द्वारा अनुवादित
नए शब्द और पारिभाषिक शब्द
सरल अर्थ:
आरिफ़ - एक लड़के का नाम (A boy's name)
सलीम - एक लड़के का नाम (A boy's name)
बादशाहत - राज्य, शासन (Kingdom, rule)
दरख्वास्त - विनती, अर्जी (Request, application)
इकरार - वादा, समझौता (Promise, agreement)
पाबंदी - रोक-टोक, मनाही (Restriction, prohibition)
हरीरा - एक प्रकार का पेय (A type of drink)
खानसामा - रसोइया (Cook)
गज़ल - उर्दू काव्य की एक विधा (A form of Urdu poetry)
इजाज़त - अनुमति (Permission)
जेब-खर्च - छोटे-मोटे खर्च के लिए दिया जाने वाला पैसा (Pocket money)
तुनकना - गुस्सा होना (To get angry)
झिंझोड़ना - हिला-हिलाकर जगाना (To shake someone awake)
मजबूरन - विवशता से (Helplessly, by force)
वॉयल - एक प्रकार का कपड़ा (A type of fabric)
चवन्नी - पुराने ज़माने का सिक्का (Old coin worth four annas)