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Chapter 11: चावल की रोटियां

5th StandardHindi

Chapter Summary

चावल की रोटियां - Chapter Summary

# चावल की रोटियाँ - नाटक सारांश

## मुख्य पात्र परिचय

### मुख्य पात्र:
- **कोको** - आठ साल का बर्मी लड़का (मुख्य पात्र)

### गौण पात्र:
- **नीनी** - नौ साल का बर्मी लड़का, कोको का दोस्त
- **तिन सू** - आठ साल का बर्मी लड़का, कोको का दोस्त
- **मिमि** - सात साल की बर्मी लड़की, कोको की दोस्त
- **उ बा तुन** - जनरल स्टोर का प्रबंधक

## नाटक की कहानी

### प्रारंभिक स्थिति
नाटक की शुरुआत में कोको अकेला घर में है। उसके माता-पिता धान लगाने के लिए खेतों में गए हैं। माँ ने उसके लिए चावल की चार रोटियाँ बनाकर अलमारी में रख दी हैं।

### कहानी का विकास

#### नीनी का आना
- कोको जैसे ही नाश्ता करने बैठता है, नीनी दरवाजे पर दस्तक देता है
- कोको को डर लगता है कि नीनी रोटियाँ माँगेगा
- वह रोटियों को रेडियो के पीछे छुपाने की कोशिश करता है
- नीनी रेडियो पर परीक्षा की खबर सुनना चाहता है
- कोको झूठ बोलकर कहता है कि रेडियो में करंट लगेगा
- नीनी तिन सू के घर चला जाता है

#### मिमि का आना
- मिमि दरवाजे पर दस्तक देती है
- कोको रोटियों को फूलदान में छुपाता है
- मिमि केले के पापड़ लेकर आई है और कोको के साथ बाँटकर खाना चाहती है
- कोको झूठ बोलता है कि उसने सभी रोटियाँ खा ली हैं और पेट भर गया है
- मिमि को अफसोस होता है लेकिन वह अकेली पापड़ खाने लगती है

#### तिन सू का आना
- तिन सू गेंदे के फूलों का गुच्छा लेकर आता है
- ये फूल कोको की माँ के लिए हैं क्योंकि उन्होंने नया फूलदान खरीदा है
- मिमि फूल फूलदान में रखना चाहती है
- कोको झूठ बोलता है कि उसकी माँ को इस फूल से एलर्जी है
- तिन सू फूल वापस ले जाने को तैयार हो जाता है

#### उ बा तुन का आना
- दुकान का मैनेजर उ बा तुन आता है
- वह गुलाबी फूलदान को नीले फूलदान से बदलने आया है
- सभी मिलकर चाय-नाश्ता करते हैं
- उ बा तुन गुलाबी फूलदान उठाकर नीला फूलदान रख देता है
- कोको को अहसास होता है कि उसकी चावल की रोटियाँ गुलाबी फूलदान के साथ चली गईं

## नाटक का संदेश

### मुख्य संदेश:
1. **झूठ की समस्या**: एक झूठ बोलने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं
2. **लालच का परिणाम**: कोको का लालच उसे मित्रों से झूठ बोलने पर मजबूर करता है
3. **मित्रता की कीमत**: सच्ची मित्रता बाँटने में है, छुपाने में नहीं
4. **कर्म का फल**: अंत में कोको को अपनी रोटियाँ खोनी पड़ती हैं

### नाटक की विशेषताएं:
- **हास्य और व्यंग्य**: कोको की परेशानी और झूठ बोलने की मजबूरी हास्यास्पद है
- **बाल मनोविज्ञान**: बच्चों के मन में चीजों को छुपाने की प्रवृत्ति का सटीक चित्रण
- **संवाद शैली**: स्वाभाविक और जीवंत संवाद
- **व्यावहारिक शिक्षा**: दैनिक जीवन से जुड़ी शिक्षाप्रद कहानी

## मंच निर्देश

### मंच की सजावट:
- एक साधारण कमरा
- दीवारों पर बाँस की चटाइयाँ
- एक दीवार के सहारे अलमारी
- अलमारी पर रेडियो, चाय की केतली, कुछ कप और खाली गुलाबी फूलदान
- कमरे के बीच फर्श पर चटाई और उस पर कम ऊँचाई वाली गोल मेज
- दो दरवाजे - एक पीछे की ओर, दूसरा एक किनारे की ओर

### ध्वनि प्रभाव:
- पंछियों का चहचहाना
- दूर से मुर्गे की आवाज
- कुत्ते का भौंकना
- प्रार्थना की घंटियाँ

## पाठ से मिलने वाली शिक्षा

### व्यावहारिक शिक्षा:
1. **ईमानदारी**: हमेशा सच बोलना चाहिए
2. **मित्रता**: दोस्तों के साथ चीजें बाँटनी चाहिए
3. **लालच**: लालच करना नुकसानदायक होता है
4. **परिणाम**: हर कार्य का परिणाम होता है

### भाषा सीखने की दृष्टि से:
- **संवाद लेखन**: विभिन्न स्थितियों के लिए संवाद लिखना
- **अभिनय**: भावों को व्यक्त करना
- **कहानी कहना**: घटनाओं को क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत करना

## नए शब्द और उनके अर्थ

### शब्दावली:
- **बर्मी**: बर्मा (म्यांमार) देश का निवासी
- **प्रबंधक**: मैनेजर, व्यवस्थापक
- **अलमारी**: कपड़े रखने का फर्नीचर
- **केतली**: चाय बनाने का बर्तन
- **फूलदान**: फूल रखने का बर्तन
- **दस्तक**: दरवाजा खटखटाना
- **एलर्जी**: किसी चीज से होने वाली परेशानी
- **गुच्छा**: फूलों का समूह
- **परीक्षा**: इम्तिहान
- **करंट**: बिजली का झटका

### मुहावरे और वाक्य प्रयोग:
- **पेट भर जाना**: अधिक खाना खाकर संतुष्ट हो जाना
- **बाल-बाल बचना**: किसी मुसीबत से बचना
- **चूहे दौड़ना**: भूख लगना
- **जीभ फेरना**: स्वादिष्ट चीज को देखकर खाने की इच्छा करना

## अभ्यास प्रश्न

### विचारणीय प्रश्न:
1. कोको ने अपने दोस्तों से क्यों झूठ बोला?
2. क्या कोको का व्यवहार सही था?
3. अगर आप कोको की जगह होते तो क्या करते?
4. इस नाटक से हमें क्या सीख मिलती है?

### रचनात्मक गतिविधि:
1. इस नाटक का मंचन करें
2. अपने अनुभव के आधार पर इसी तरह का संवाद लिखें
3. कोको के चरित्र पर अपने विचार व्यक्त करें

यह नाटक बच्चों को मित्रता, ईमानदारी और साझाकरण के महत्वपूर्ण मूल्यों की शिक्षा देता है।

## अतिरिक्त शिक्षण सामग्री

### चावल की विविधता - "एक चावल कई-कई रूप"

#### भारत में चावल का उपयोग:
भारत के विभिन्न प्रांतों में चावल का उपयोग अलग-अलग तरीकों से किया जाता है:

**मुख्य उपयोग:**
- **भोजन के रूप में**: सादा चावल, पुलाव, बिरयानी
- **नमकीन व्यंजन**: डोसा, इडली, उप्पमा
- **मिठाई**: खीर, पायसम, चावल की खुशी

#### चावल के विभिन्न रूप:
- **चावल**: पका हुआ चावल (भात)
- **धान**: चावल का कच्चा रूप (खेत में उगने वाला)
- **भात**: पका हुआ चावल
- **मुरमुरा**: फूला हुआ चावल
- **चिउड़ा**: चावल के फ्लेक्स (पोहा)

### दाल के प्रकार:
- **साबुत दाल**: छिलके सहित दाल
- **धुली दाल**: छिलका हटाकर साफ की गई दाल
- **छिलका दाल**: छिलके वाली दाल

### गेहूँ के रूप:
- **गेहूँ**: साबुत गेहूँ
- **दलिया**: टूटा हुआ गेहूँ
- **आटा**: गेहूँ का आटा
- **मैदा**: महीन पिसा हुआ गेहूँ
- **सूजी**: गेहूँ का दरदरा आटा

### व्याकरण - संबंधबोधक शब्द

#### संबंधबोधक शब्दों के उदाहरण:
"कोको की माँ ने कल दुकान से एक फूलदान खरीदा था।"

**मुख्य संबंधबोधक शब्द:**
- **का, की, के**: संबंध दर्शाने के लिए
- **में**: स्थान दर्शाने के लिए
- **से**: साधन या स्रोत दर्शाने के लिए
- **को**: कर्म दर्शाने के लिए
- **ने**: कर्ता दर्शाने के लिए

#### "अनारको के आठ दिन" - अभ्यास:
**पूर्ण वाक्य:**

अनारको एक लड़की है। घर **में** लोग उसे अन्नो कहते हैं। अन्नो नाम छोटा जो है, सो उस **पर** हुक्म चलाना आसान होता है। अन्नो, पानी ले आ, अन्नो धूप में मत जाना, अन्नो बाहर अँधेरा है–कहीं मत जा, बारिश **में** भीगना मत, अन्नो! और कोई बाहर **से** घर में आए तो घरवाले कहेंगे–ये हमारी अनारको है, प्यार से हम इसे अन्नो कहते हैं। प्यार **से** हुँ-ह-ह!

आज अनारको सुबह सोकर उठी तो हाँफ रही थी। रात सपने **में** बहुत बारिश हुई। अनारको **को** याद किया और उसे लगा, आज **के** सपने में जितनी बारिश हुई उतनी तो पहले के सपनों **में** कभी नहीं हुई। कभी नहीं! जमके बारिश हुई थी आज **के** सपने **में** और जमकर उसमें भीगी थी अनारको। खूब उछली थी, कूदी थी, चारों तरफ पानी छिटकाया था और खूब-खूब भीगी थी।

### नाटक की समझ - प्रश्न और उत्तर

#### मुख्य प्रश्न:
1. **पात्र विभाजन**: इस नाटक में कोको मुख्य पात्र है क्योंकि पूरी कहानी उसके इर्द-गिर्द घूमती है। बाकी सभी (नीनी, मिमि, तिन सू, उ बा तुन) गौण पात्र हैं।

2. **संवाद लेखन**: विभिन्न स्थितियों के लिए संवाद लिखना - जैसे खो-खो या कबड्डी खेलते समय दूसरे दल के खिलाड़ियों से बहस।

3. **व्यक्तिगत अनुभव**: कोई चीज़ या बात दूसरों से छुपाने का अनुभव साझा करना।

4. **झूठ की समस्या**: "एक झूठ बोलने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं" - कोको के उदाहरण से यह बात स्पष्ट होती है।

### मंच और मंचन

#### मंच की तैयारी:
- साधारण कमरा
- बाँस की चटाइयाँ
- अलमारी और उसके ऊपर रेडियो, चाय की केतली, कप और फूलदान
- कम ऊँचाई की गोल मेज़
- दो दरवाजे

#### ध्वनि प्रभाव:
- पंछियों का चहचहाना
- मुर्गे की आवाज़
- कुत्ते का भौंकना
- प्रार्थना की घंटियाँ

### लेखक परिचय
- **मूल लेखक**: पी. औंग खिन (बर्मी लेखक)
- **अनुवादक**: मस्तराम कपूर

यह नाटक बर्मी (म्यांमार) संस्कृति की झलक देता है और बच्चों के मन की सहज भावनाओं को दर्शाता है।

चावल की रोटियाँ - नाटक सारांश

मुख्य पात्र परिचय

मुख्य पात्र:

  • कोको - आठ साल का बर्मी लड़का (मुख्य पात्र)

गौण पात्र:

  • नीनी - नौ साल का बर्मी लड़का, कोको का दोस्त
  • तिन सू - आठ साल का बर्मी लड़का, कोको का दोस्त
  • मिमि - सात साल की बर्मी लड़की, कोको की दोस्त
  • उ बा तुन - जनरल स्टोर का प्रबंधक

नाटक की कहानी

प्रारंभिक स्थिति

नाटक की शुरुआत में कोको अकेला घर में है। उसके माता-पिता धान लगाने के लिए खेतों में गए हैं। माँ ने उसके लिए चावल की चार रोटियाँ बनाकर अलमारी में रख दी हैं।

कहानी का विकास

नीनी का आना

  • कोको जैसे ही नाश्ता करने बैठता है, नीनी दरवाजे पर दस्तक देता है
  • कोको को डर लगता है कि नीनी रोटियाँ माँगेगा
  • वह रोटियों को रेडियो के पीछे छुपाने की कोशिश करता है
  • नीनी रेडियो पर परीक्षा की खबर सुनना चाहता है
  • कोको झूठ बोलकर कहता है कि रेडियो में करंट लगेगा
  • नीनी तिन सू के घर चला जाता है

मिमि का आना

  • मिमि दरवाजे पर दस्तक देती है
  • कोको रोटियों को फूलदान में छुपाता है
  • मिमि केले के पापड़ लेकर आई है और कोको के साथ बाँटकर खाना चाहती है
  • कोको झूठ बोलता है कि उसने सभी रोटियाँ खा ली हैं और पेट भर गया है
  • मिमि को अफसोस होता है लेकिन वह अकेली पापड़ खाने लगती है

तिन सू का आना

  • तिन सू गेंदे के फूलों का गुच्छा लेकर आता है
  • ये फूल कोको की माँ के लिए हैं क्योंकि उन्होंने नया फूलदान खरीदा है
  • मिमि फूल फूलदान में रखना चाहती है
  • कोको झूठ बोलता है कि उसकी माँ को इस फूल से एलर्जी है
  • तिन सू फूल वापस ले जाने को तैयार हो जाता है

उ बा तुन का आना

  • दुकान का मैनेजर उ बा तुन आता है
  • वह गुलाबी फूलदान को नीले फूलदान से बदलने आया है
  • सभी मिलकर चाय-नाश्ता करते हैं
  • उ बा तुन गुलाबी फूलदान उठाकर नीला फूलदान रख देता है
  • कोको को अहसास होता है कि उसकी चावल की रोटियाँ गुलाबी फूलदान के साथ चली गईं

नाटक का संदेश

मुख्य संदेश:

  1. झूठ की समस्या: एक झूठ बोलने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं
  2. लालच का परिणाम: कोको का लालच उसे मित्रों से झूठ बोलने पर मजबूर करता है
  3. मित्रता की कीमत: सच्ची मित्रता बाँटने में है, छुपाने में नहीं
  4. कर्म का फल: अंत में कोको को अपनी रोटियाँ खोनी पड़ती हैं

नाटक की विशेषताएं:

  • हास्य और व्यंग्य: कोको की परेशानी और झूठ बोलने की मजबूरी हास्यास्पद है
  • बाल मनोविज्ञान: बच्चों के मन में चीजों को छुपाने की प्रवृत्ति का सटीक चित्रण
  • संवाद शैली: स्वाभाविक और जीवंत संवाद
  • व्यावहारिक शिक्षा: दैनिक जीवन से जुड़ी शिक्षाप्रद कहानी

मंच निर्देश

मंच की सजावट:

  • एक साधारण कमरा
  • दीवारों पर बाँस की चटाइयाँ
  • एक दीवार के सहारे अलमारी
  • अलमारी पर रेडियो, चाय की केतली, कुछ कप और खाली गुलाबी फूलदान
  • कमरे के बीच फर्श पर चटाई और उस पर कम ऊँचाई वाली गोल मेज
  • दो दरवाजे - एक पीछे की ओर, दूसरा एक किनारे की ओर

ध्वनि प्रभाव:

  • पंछियों का चहचहाना
  • दूर से मुर्गे की आवाज
  • कुत्ते का भौंकना
  • प्रार्थना की घंटियाँ

पाठ से मिलने वाली शिक्षा

व्यावहारिक शिक्षा:

  1. ईमानदारी: हमेशा सच बोलना चाहिए
  2. मित्रता: दोस्तों के साथ चीजें बाँटनी चाहिए
  3. लालच: लालच करना नुकसानदायक होता है
  4. परिणाम: हर कार्य का परिणाम होता है

भाषा सीखने की दृष्टि से:

  • संवाद लेखन: विभिन्न स्थितियों के लिए संवाद लिखना
  • अभिनय: भावों को व्यक्त करना
  • कहानी कहना: घटनाओं को क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत करना

नए शब्द और उनके अर्थ

शब्दावली:

  • बर्मी: बर्मा (म्यांमार) देश का निवासी
  • प्रबंधक: मैनेजर, व्यवस्थापक
  • अलमारी: कपड़े रखने का फर्नीचर
  • केतली: चाय बनाने का बर्तन
  • फूलदान: फूल रखने का बर्तन
  • दस्तक: दरवाजा खटखटाना
  • एलर्जी: किसी चीज से होने वाली परेशानी
  • गुच्छा: फूलों का समूह
  • परीक्षा: इम्तिहान
  • करंट: बिजली का झटका

मुहावरे और वाक्य प्रयोग:

  • पेट भर जाना: अधिक खाना खाकर संतुष्ट हो जाना
  • बाल-बाल बचना: किसी मुसीबत से बचना
  • चूहे दौड़ना: भूख लगना
  • जीभ फेरना: स्वादिष्ट चीज को देखकर खाने की इच्छा करना

अभ्यास प्रश्न

विचारणीय प्रश्न:

  1. कोको ने अपने दोस्तों से क्यों झूठ बोला?
  2. क्या कोको का व्यवहार सही था?
  3. अगर आप कोको की जगह होते तो क्या करते?
  4. इस नाटक से हमें क्या सीख मिलती है?

रचनात्मक गतिविधि:

  1. इस नाटक का मंचन करें
  2. अपने अनुभव के आधार पर इसी तरह का संवाद लिखें
  3. कोको के चरित्र पर अपने विचार व्यक्त करें

यह नाटक बच्चों को मित्रता, ईमानदारी और साझाकरण के महत्वपूर्ण मूल्यों की शिक्षा देता है।

अतिरिक्त शिक्षण सामग्री

चावल की विविधता - "एक चावल कई-कई रूप"

भारत में चावल का उपयोग:

भारत के विभिन्न प्रांतों में चावल का उपयोग अलग-अलग तरीकों से किया जाता है:

मुख्य उपयोग:

  • भोजन के रूप में: सादा चावल, पुलाव, बिरयानी
  • नमकीन व्यंजन: डोसा, इडली, उप्पमा
  • मिठाई: खीर, पायसम, चावल की खुशी

चावल के विभिन्न रूप:

  • चावल: पका हुआ चावल (भात)
  • धान: चावल का कच्चा रूप (खेत में उगने वाला)
  • भात: पका हुआ चावल
  • मुरमुरा: फूला हुआ चावल
  • चिउड़ा: चावल के फ्लेक्स (पोहा)

दाल के प्रकार:

  • साबुत दाल: छिलके सहित दाल
  • धुली दाल: छिलका हटाकर साफ की गई दाल
  • छिलका दाल: छिलके वाली दाल

गेहूँ के रूप:

  • गेहूँ: साबुत गेहूँ
  • दलिया: टूटा हुआ गेहूँ
  • आटा: गेहूँ का आटा
  • मैदा: महीन पिसा हुआ गेहूँ
  • सूजी: गेहूँ का दरदरा आटा

व्याकरण - संबंधबोधक शब्द

संबंधबोधक शब्दों के उदाहरण:

"कोको की माँ ने कल दुकान से एक फूलदान खरीदा था।"

मुख्य संबंधबोधक शब्द:

  • का, की, के: संबंध दर्शाने के लिए
  • में: स्थान दर्शाने के लिए
  • से: साधन या स्रोत दर्शाने के लिए
  • को: कर्म दर्शाने के लिए
  • ने: कर्ता दर्शाने के लिए

"अनारको के आठ दिन" - अभ्यास:

पूर्ण वाक्य:

अनारको एक लड़की है। घर में लोग उसे अन्नो कहते हैं। अन्नो नाम छोटा जो है, सो उस पर हुक्म चलाना आसान होता है। अन्नो, पानी ले आ, अन्नो धूप में मत जाना, अन्नो बाहर अँधेरा है–कहीं मत जा, बारिश में भीगना मत, अन्नो! और कोई बाहर से घर में आए तो घरवाले कहेंगे–ये हमारी अनारको है, प्यार से हम इसे अन्नो कहते हैं। प्यार से हुँ-ह-ह!

आज अनारको सुबह सोकर उठी तो हाँफ रही थी। रात सपने में बहुत बारिश हुई। अनारको को याद किया और उसे लगा, आज के सपने में जितनी बारिश हुई उतनी तो पहले के सपनों में कभी नहीं हुई। कभी नहीं! जमके बारिश हुई थी आज के सपने में और जमकर उसमें भीगी थी अनारको। खूब उछली थी, कूदी थी, चारों तरफ पानी छिटकाया था और खूब-खूब भीगी थी।

नाटक की समझ - प्रश्न और उत्तर

मुख्य प्रश्न:

  1. पात्र विभाजन: इस नाटक में कोको मुख्य पात्र है क्योंकि पूरी कहानी उसके इर्द-गिर्द घूमती है। बाकी सभी (नीनी, मिमि, तिन सू, उ बा तुन) गौण पात्र हैं।

  2. संवाद लेखन: विभिन्न स्थितियों के लिए संवाद लिखना - जैसे खो-खो या कबड्डी खेलते समय दूसरे दल के खिलाड़ियों से बहस।

  3. व्यक्तिगत अनुभव: कोई चीज़ या बात दूसरों से छुपाने का अनुभव साझा करना।

  4. झूठ की समस्या: "एक झूठ बोलने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं" - कोको के उदाहरण से यह बात स्पष्ट होती है।

मंच और मंचन

मंच की तैयारी:

  • साधारण कमरा
  • बाँस की चटाइयाँ
  • अलमारी और उसके ऊपर रेडियो, चाय की केतली, कप और फूलदान
  • कम ऊँचाई की गोल मेज़
  • दो दरवाजे

ध्वनि प्रभाव:

  • पंछियों का चहचहाना
  • मुर्गे की आवाज़
  • कुत्ते का भौंकना
  • प्रार्थना की घंटियाँ

लेखक परिचय

  • मूल लेखक: पी. औंग खिन (बर्मी लेखक)
  • अनुवादक: मस्तराम कपूर

यह नाटक बर्मी (म्यांमार) संस्कृति की झलक देता है और बच्चों के मन की सहज भावनाओं को दर्शाता है।