Chapter 2: गोल
Chapter Summary
गोल - Chapter Summary
## पाठ का सारांश
### 1. प्रेरणादायक संस्मरण
- यह पाठ महान हॉकी खिलाड़ी **मेजर ध्यानचंद** के संस्मरण का एक अंश है।
- लेखक बताते हैं कि खेल में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक सामान्य होती है।
- एक बार एक मैच में विरोधी खिलाड़ी ने ध्यानचंद के सिर पर हॉकी स्टिक से वार कर दिया।
- ध्यानचंद ने शांत रहते हुए बिना हिंसा के अपना बदला खेल के माध्यम से लिया – छह गोल करके।
- उन्होंने खेल भावना का परिचय देते हुए विरोधी खिलाड़ी को समझाया कि गुस्से की जगह अच्छा खेल ज़्यादा प्रभावशाली होता है।
### 2. सफलता का रहस्य
- ध्यानचंद कहते हैं कि उनकी सफलता का कोई जादुई मंत्र नहीं था।
- **लगन, साधना और खेल भावना** ही उनके सफलता के प्रमुख कारण थे।
- उन्होंने अपने खेल जीवन की शुरुआत ‘सिक्स्थ ब्राह्मण रेजिमेंट’ से की थी और धीरे-धीरे अनुभव और अभ्यास से वे आगे बढ़े।
### 3. खेल में विनम्रता और टीम भावना
- ध्यानचंद खेल में गोल बनाने से ज़्यादा टीमवर्क को महत्व देते थे।
- वे कोशिश करते थे कि गोल का श्रेय साथी खिलाड़ी को मिले।
- इस भावना के कारण उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा गया।
### 4. ओलंपिक में भारत की जीत
- 1936 में बर्लिन ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक मिला।
- ध्यानचंद उस समय भारतीय टीम के कप्तान थे।
- उनका कहना था – हार या जीत मेरी नहीं, पूरे देश की होती है।
---
## 5. डाँडी या गोथा – एक पारंपरिक खेल
- यह खेल आदिवासी बच्चों द्वारा खेला जाता है जो कुछ-कुछ हॉकी जैसा होता है।
- इसके लिए बांस की बनी **गेंद (दइुत)** और **एल आकार की डंडी (गोथा)** का प्रयोग होता है।
- गोलपोस्ट की जगह, विरोधी क्षेत्र में गेंद को अधिक समय तक बनाए रखना जीत का मापदंड होता है।
- यह खेल होली से पहले के दिनों में खेला जाता है और अंतिम दिन गोथा और गेंद को होलिका दहन में जला दिया जाता है।
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## 6. पाठ से सीख
- बुराई करने वाला हमेशा डरा रहता है।
- खेल में अहिंसा और संयम भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना अच्छा प्रदर्शन।
- सच्चा खिलाड़ी वही है जो जीत का श्रेय अकेले न लेकर टीम को महत्व दे।
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## नए शब्द / सरल शब्दार्थ
| शब्द (Hindi) | अर्थ (सरल हिंदी में) | Word (English) | Meaning (in Simple English) |
|---------------------|--------------------------------------------------------|------------------------|-------------------------------------------------------|
| संस्मरण | किसी की जीवन की सच्ची घटना की याद | Memoir | A real memory or story from someone's life |
| खले भावना | खेल में ईमानदारी, सहयोग और सम्मान की भावना | Sportsmanship | Honesty, respect, and team spirit in sports |
| बदला | किसी द्वारा की गई बुराई का उत्तर देना | Revenge | An act to respond to someone’s wrongdoing |
| कप्तान | टीम का नेतृत्व करने वाला | Captain | The leader of a team |
| डाँडी / गोथा | बांस की बनी हॉकी जैसी लकड़ी से खेला जाने वाला खेल | Dandi / Gontha | A stick-based indigenous game similar to hockey |
| ओलंपिक | अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता | Olympics | International sports competition |
| हार-जीत | खेल या प्रतियोगिता में पराजय या विजय | Win or Loss | Defeat or victory in a match |
| दइुत | बाँस से बनी गेंद | Bamboo Ball (Daiut) | A ball made of bamboo used in local sports |
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## अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)
### सरल (Easy) – 3 Questions
1. मेजर ध्यानचंद ने किस खेल में भारत का नाम रोशन किया?
**उत्तर:** हॉकी
**व्याख्या:** पाठ में ध्यानचंद को 'हॉकी का जादूगर' कहा गया है।
2. 'गोल' पाठ का लेखक कौन है?
**उत्तर:** मेजर ध्यानचंद
**व्याख्या:** यह उनकी आत्मकथा से लिया गया अंश है।
3. ध्यानचंद ने बदला कैसे लिया?
**उत्तर:** शांत रहकर और छह गोल करके
**व्याख्या:** उन्होंने हिंसा के बजाय खेल से जवाब दिया।
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### मध्यम (Medium) – 2 Questions
4. मेजर ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ क्यों कहा जाता है?
**उत्तर:** उनके अद्भुत खेल कौशल और खेल भावना के कारण
**व्याख्या:** वे गोल बनाने में निपुण थे और दूसरों को श्रेय देना जानते थे।
5. पाठ में बताई गई पारंपरिक खेल 'डाँडी या गोथा' किससे संबंधित है?
**उत्तर:** हॉकी जैसे खेल से
**व्याख्या:** यह खेल हॉकी से मिलता-जुलता है, पर सरल होता है।
---
### कठिन (Difficult) – 3 Questions
6. ध्यानचंद की सफलता के पीछे कौन-से तीन गुण थे?
**उत्तर:** लगन, साधना और खेल भावना
**व्याख्या:** उन्होंने किसी विशेष मंत्र से इनकार किया और इन तीन गुणों को बताया।
7. ‘मैंने तो अपना बदला ले ही लिया’ – इस वाक्य में ‘तो’ शब्द का क्या महत्व है?
**उत्तर:** यह बल देता है कि कार्य पूरा हो चुका है
**व्याख्या:** ‘तो’ से बात पर जोर दिया गया है कि उन्होंने बदला ले ही लिया।
8. ध्यानचंद ने टीम भावना का परिचय कैसे दिया?
**उत्तर:** वे गेंद पास करके गोल का श्रेय साथी को देते थे
**व्याख्या:** इससे वे अकेले की बजाय पूरी टीम को महत्व देते थे।
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### बहुत कठिन (Very Difficult) – 2 Questions
9. डाँडी या गोथा खेल में हार-जीत का निर्धारण कैसे होता है जबकि गोलपोस्ट नहीं होते?
**उत्तर:** जो दल गेंद को ज़्यादा बार विरोधी पाले में पहुँचाए
**व्याख्या:** इसमें जीत गेंद के प्रभावी उपयोग पर निर्भर होती है, न कि गोल पर।
10. “हार या जीत मेरी नहीं, पूरे देश की है।” – इस कथन का क्या महत्व है?
**उत्तर:** यह देशभक्ति और टीम भावना को दर्शाता है
**व्याख्या:** ध्यानचंद खेल को व्यक्तिगत नहीं, राष्ट्रीय गौरव का विषय मानते थे।
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## Keywords (मुख्य शब्दावली)
**Hindi Keywords**: गोल, ध्यानचंद, हॉकी, खेल भावना, संस्मरण, ओलंपिक, बदला, डाँडी, गोथा, टीमवर्क
**English Keywords**: goal, Dhyan Chand, hockey, sportsmanship, memoir, Olympics, revenge, Dandi, Gontha, teamwork
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गोल
पाठ का सारांश
1. प्रेरणादायक संस्मरण
- यह पाठ महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के संस्मरण का एक अंश है।
- लेखक बताते हैं कि खेल में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक सामान्य होती है।
- एक बार एक मैच में विरोधी खिलाड़ी ने ध्यानचंद के सिर पर हॉकी स्टिक से वार कर दिया।
- ध्यानचंद ने शांत रहते हुए बिना हिंसा के अपना बदला खेल के माध्यम से लिया – छह गोल करके।
- उन्होंने खेल भावना का परिचय देते हुए विरोधी खिलाड़ी को समझाया कि गुस्से की जगह अच्छा खेल ज़्यादा प्रभावशाली होता है।
2. सफलता का रहस्य
- ध्यानचंद कहते हैं कि उनकी सफलता का कोई जादुई मंत्र नहीं था।
- लगन, साधना और खेल भावना ही उनके सफलता के प्रमुख कारण थे।
- उन्होंने अपने खेल जीवन की शुरुआत ‘सिक्स्थ ब्राह्मण रेजिमेंट’ से की थी और धीरे-धीरे अनुभव और अभ्यास से वे आगे बढ़े।
3. खेल में विनम्रता और टीम भावना
- ध्यानचंद खेल में गोल बनाने से ज़्यादा टीमवर्क को महत्व देते थे।
- वे कोशिश करते थे कि गोल का श्रेय साथी खिलाड़ी को मिले।
- इस भावना के कारण उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा गया।
4. ओलंपिक में भारत की जीत
- 1936 में बर्लिन ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक मिला।
- ध्यानचंद उस समय भारतीय टीम के कप्तान थे।
- उनका कहना था – हार या जीत मेरी नहीं, पूरे देश की होती है।
5. डाँडी या गोथा – एक पारंपरिक खेल
- यह खेल आदिवासी बच्चों द्वारा खेला जाता है जो कुछ-कुछ हॉकी जैसा होता है।
- इसके लिए बांस की बनी गेंद (दइुत) और एल आकार की डंडी (गोथा) का प्रयोग होता है।
- गोलपोस्ट की जगह, विरोधी क्षेत्र में गेंद को अधिक समय तक बनाए रखना जीत का मापदंड होता है।
- यह खेल होली से पहले के दिनों में खेला जाता है और अंतिम दिन गोथा और गेंद को होलिका दहन में जला दिया जाता है।
6. पाठ से सीख
- बुराई करने वाला हमेशा डरा रहता है।
- खेल में अहिंसा और संयम भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना अच्छा प्रदर्शन।
- सच्चा खिलाड़ी वही है जो जीत का श्रेय अकेले न लेकर टीम को महत्व दे।
नए शब्द / सरल शब्दार्थ
शब्द (Hindi) | अर्थ (सरल हिंदी में) | Word (English) | Meaning (in Simple English) |
---|---|---|---|
संस्मरण | किसी की जीवन की सच्ची घटना की याद | Memoir | A real memory or story from someone's life |
खले भावना | खेल में ईमानदारी, सहयोग और सम्मान की भावना | Sportsmanship | Honesty, respect, and team spirit in sports |
बदला | किसी द्वारा की गई बुराई का उत्तर देना | Revenge | An act to respond to someone’s wrongdoing |
कप्तान | टीम का नेतृत्व करने वाला | Captain | The leader of a team |
डाँडी / गोथा | बांस की बनी हॉकी जैसी लकड़ी से खेला जाने वाला खेल | Dandi / Gontha | A stick-based indigenous game similar to hockey |
ओलंपिक | अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता | Olympics | International sports competition |
हार-जीत | खेल या प्रतियोगिता में पराजय या विजय | Win or Loss | Defeat or victory in a match |
दइुत | बाँस से बनी गेंद | Bamboo Ball (Daiut) | A ball made of bamboo used in local sports |
अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)
सरल (Easy) – 3 Questions
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मेजर ध्यानचंद ने किस खेल में भारत का नाम रोशन किया?
उत्तर: हॉकी
व्याख्या: पाठ में ध्यानचंद को 'हॉकी का जादूगर' कहा गया है। -
'गोल' पाठ का लेखक कौन है?
उत्तर: मेजर ध्यानचंद
व्याख्या: यह उनकी आत्मकथा से लिया गया अंश है। -
ध्यानचंद ने बदला कैसे लिया?
उत्तर: शांत रहकर और छह गोल करके
व्याख्या: उन्होंने हिंसा के बजाय खेल से जवाब दिया।
मध्यम (Medium) – 2 Questions
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मेजर ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर: उनके अद्भुत खेल कौशल और खेल भावना के कारण
व्याख्या: वे गोल बनाने में निपुण थे और दूसरों को श्रेय देना जानते थे। -
पाठ में बताई गई पारंपरिक खेल 'डाँडी या गोथा' किससे संबंधित है?
उत्तर: हॉकी जैसे खेल से
व्याख्या: यह खेल हॉकी से मिलता-जुलता है, पर सरल होता है।
कठिन (Difficult) – 3 Questions
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ध्यानचंद की सफलता के पीछे कौन-से तीन गुण थे?
उत्तर: लगन, साधना और खेल भावना
व्याख्या: उन्होंने किसी विशेष मंत्र से इनकार किया और इन तीन गुणों को बताया। -
‘मैंने तो अपना बदला ले ही लिया’ – इस वाक्य में ‘तो’ शब्द का क्या महत्व है?
उत्तर: यह बल देता है कि कार्य पूरा हो चुका है
व्याख्या: ‘तो’ से बात पर जोर दिया गया है कि उन्होंने बदला ले ही लिया। -
ध्यानचंद ने टीम भावना का परिचय कैसे दिया?
उत्तर: वे गेंद पास करके गोल का श्रेय साथी को देते थे
व्याख्या: इससे वे अकेले की बजाय पूरी टीम को महत्व देते थे।
बहुत कठिन (Very Difficult) – 2 Questions
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डाँडी या गोथा खेल में हार-जीत का निर्धारण कैसे होता है जबकि गोलपोस्ट नहीं होते?
उत्तर: जो दल गेंद को ज़्यादा बार विरोधी पाले में पहुँचाए
व्याख्या: इसमें जीत गेंद के प्रभावी उपयोग पर निर्भर होती है, न कि गोल पर। -
“हार या जीत मेरी नहीं, पूरे देश की है।” – इस कथन का क्या महत्व है?
उत्तर: यह देशभक्ति और टीम भावना को दर्शाता है
व्याख्या: ध्यानचंद खेल को व्यक्तिगत नहीं, राष्ट्रीय गौरव का विषय मानते थे।
Keywords (मुख्य शब्दावली)
Hindi Keywords: गोल, ध्यानचंद, हॉकी, खेल भावना, संस्मरण, ओलंपिक, बदला, डाँडी, गोथा, टीमवर्क
English Keywords: goal, Dhyan Chand, hockey, sportsmanship, memoir, Olympics, revenge, Dandi, Gontha, teamwork