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Chapter 5: रहीम के दोहे*

6th StandardHindi

Chapter Summary

रहीम के दोहे* - Chapter Summary

# रहीम के दोहे

## परिचय

रहीम (अब्दुर्रहीम ख़ानखाना) अकबर के नवरत्नों में से एक थे और एक प्रसिद्ध नीति-कवि माने जाते हैं। इन्होंने अवधी और ब्रज भाषा में अनेक दोहे रचे जिनमें व्यवहार, नीति, प्रेम, और जीवन के गहरे अनुभव झलकते हैं। इनके दोहे आज भी आम जनजीवन में प्रेरणा का स्रोत हैं।

## प्रमुख विषयवस्तु

### 1. सच्चा मित्र और पहचान

**दोहा:**
`कहि रहीम संहित सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई सांचे मीत॥`

**भावार्थ:**
कई लोग मित्र बनते हैं, परंतु सच्चा मित्र वही होता है जो संकट में साथ निभाए।

---

### 2. विनम्रता और उपयोगिता

**दोहा:**
`रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डार।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवार॥`

**भावार्थ:**
बड़े को देखकर छोटे को मत छोड़ो, क्योंकि काम सुई से होता है, न कि तलवार से।

---

### 3. प्रेम की कोमलता

**दोहा:**
`रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥`

**भावार्थ:**
प्रेम को एक धागे के समान समझो, जिसे यदि एक बार तोड़ा जाए तो वह कभी पहले जैसा नहीं होता।

---

### 4. जल का महत्व

**दोहा:**
`रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥`

**भावार्थ:**
पानी यानी सम्मान या सार को बनाए रखो, क्योंकि उसके बिना मूल्यवान चीजें भी व्यर्थ हो जाती हैं।

---

### 5. विवेक और समय की पहचान

**दोहा:**
`रहिमन बिबेकू भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥`

**भावार्थ:**
थोड़े समय का विवेक भी अच्छा होता है क्योंकि वह हित-अनहित को पहचानने में मदद करता है।

---

### 6. वाणी की मर्यादा

**दोहा:**
`रहिमन वाणी बावरी, कहि गई सरग पताल।
आपु तो कहि भीतर रही, जनू तूटी जात कपाल॥`

**भावार्थ:**
बोली बहुत शक्तिशाली होती है, जो स्वर्ग से पाताल तक पहुंचा सकती है। अतः सोच-समझकर बोलना चाहिए।

---

### 7. निःस्वार्थ सेवा

**दोहा:**
`तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति संचहि सयान॥`

**भावार्थ:**
वृक्ष स्वयं फल नहीं खाता, सरोवर स्वयं पानी नहीं पीता, ऐसे ही ज्ञानी व्यक्ति अपने धन का उपयोग दूसरों के भले के लिए करते हैं।

---

## नए शब्द और सरल अर्थ

| शब्द | अर्थ (सरल हिंदी में) |
|--------------|-------------------------------------------|
| तरुवर | पेड़ |
| सरवर | तालाब या जलाशय |
| हिटकाय | जोर से झटका देना |
| सयान | समझदार व्यक्ति |
| बिपति | कठिन समय या संकट |
| सांचे | सच्चे |
| कपाल | माथा |
| वाणी | बोलचाल की भाषा |
| मानुष | मनुष्य |
| चून | चूना (lime) |

---

## अभ्यास प्रश्न

### आसान (Easy) – 3 प्रश्न

1. रहीम के अनुसार सच्चा मित्र कौन होता है?
**उत्तर:** जो संकट में साथ देता है।

2. "रहिमन धागा प्रेम का" दोहे में प्रेम की तुलना किससे की गई है?
**उत्तर:** प्रेम की तुलना धागे से की गई है।

3. रहीम ने किस दोहे में जल का महत्व बताया है?
**उत्तर:** "रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।"

---

### मध्यम (Medium) – 2 प्रश्न

4. “जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवार” – इस पंक्ति का क्या तात्पर्य है?
**उत्तर:** छोटे का काम अलग होता है, जिसे बड़ा नहीं कर सकता। इसलिए हर किसी का अपना महत्व होता है।

5. रहीम के अनुसार वाणी का क्या प्रभाव होता है?
**उत्तर:** वाणी सोच-समझकर बोलनी चाहिए क्योंकि वह बड़े प्रभाव डाल सकती है — स्वर्ग-पाताल तक पहुँचा सकती है।

---

### कठिन (Difficult) – 3 प्रश्न

6. "तरुवर फल न खाए" दोहे के माध्यम से रहीम क्या सिखाना चाहते हैं?
**उत्तर:** कि हमें दूसरों के लिए निःस्वार्थ सेवा करनी चाहिए जैसे वृक्ष और तालाब करते हैं।

7. रहीम ने किस दोहे में विवेक के महत्व को बताया है और कैसे?
**उत्तर:** "रहिमन बिबेकू भली..." दोहे में बताया गया कि थोड़ा सा भी विवेक किसी की भलाई और बुराई पहचानने में मदद करता है।

8. “मत तोड़ो चटकाय” – इस दोहे में गाँठ परि जाने का तात्पर्य क्या है?
**उत्तर:** प्रेम में एक बार दरार आने पर वह रिश्ता पहले जैसा नहीं रहता।

---

### बहुत कठिन (Very Difficult) – 2 प्रश्न

9. “रहिमन वाणी बावरी...” दोहे के अनुसार वाणी किस प्रकार हमारी स्थिति को बदल सकती है?
**उत्तर:** वाणी हमें ऊँचाई (सरग) से गिराकर नीचे (पाताल) तक पहुँचा सकती है, इसलिए यह सोच-समझकर प्रयोग करनी चाहिए।

10. रहीम के दोहों में आज भी प्रासंगिकता क्यों है? एक तर्क सहित उत्तर दीजिए।
**उत्तर:** रहीम के दोहे व्यवहार, नैतिकता, प्रेम और संबंधों की शिक्षा देते हैं जो हर युग में जरूरी होती है। इनका सरल भाषा में गहन संदेश इन्हें आज भी उपयोगी बनाता है।

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रहीम के दोहे

परिचय

रहीम (अब्दुर्रहीम ख़ानखाना) अकबर के नवरत्नों में से एक थे और एक प्रसिद्ध नीति-कवि माने जाते हैं। इन्होंने अवधी और ब्रज भाषा में अनेक दोहे रचे जिनमें व्यवहार, नीति, प्रेम, और जीवन के गहरे अनुभव झलकते हैं। इनके दोहे आज भी आम जनजीवन में प्रेरणा का स्रोत हैं।

प्रमुख विषयवस्तु

1. सच्चा मित्र और पहचान

दोहा:
कहि रहीम संहित सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, तेई सांचे मीत॥

भावार्थ:
कई लोग मित्र बनते हैं, परंतु सच्चा मित्र वही होता है जो संकट में साथ निभाए।


2. विनम्रता और उपयोगिता

दोहा:
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डार। जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवार॥

भावार्थ:
बड़े को देखकर छोटे को मत छोड़ो, क्योंकि काम सुई से होता है, न कि तलवार से।


3. प्रेम की कोमलता

दोहा:
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥

भावार्थ:
प्रेम को एक धागे के समान समझो, जिसे यदि एक बार तोड़ा जाए तो वह कभी पहले जैसा नहीं होता।


4. जल का महत्व

दोहा:
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥

भावार्थ:
पानी यानी सम्मान या सार को बनाए रखो, क्योंकि उसके बिना मूल्यवान चीजें भी व्यर्थ हो जाती हैं।


5. विवेक और समय की पहचान

दोहा:
रहिमन बिबेकू भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥

भावार्थ:
थोड़े समय का विवेक भी अच्छा होता है क्योंकि वह हित-अनहित को पहचानने में मदद करता है।


6. वाणी की मर्यादा

दोहा:
रहिमन वाणी बावरी, कहि गई सरग पताल। आपु तो कहि भीतर रही, जनू तूटी जात कपाल॥

भावार्थ:
बोली बहुत शक्तिशाली होती है, जो स्वर्ग से पाताल तक पहुंचा सकती है। अतः सोच-समझकर बोलना चाहिए।


7. निःस्वार्थ सेवा

दोहा:
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति संचहि सयान॥

भावार्थ:
वृक्ष स्वयं फल नहीं खाता, सरोवर स्वयं पानी नहीं पीता, ऐसे ही ज्ञानी व्यक्ति अपने धन का उपयोग दूसरों के भले के लिए करते हैं।


नए शब्द और सरल अर्थ

शब्दअर्थ (सरल हिंदी में)
तरुवरपेड़
सरवरतालाब या जलाशय
हिटकायजोर से झटका देना
सयानसमझदार व्यक्ति
बिपतिकठिन समय या संकट
सांचेसच्चे
कपालमाथा
वाणीबोलचाल की भाषा
मानुषमनुष्य
चूनचूना (lime)

अभ्यास प्रश्न

आसान (Easy) – 3 प्रश्न

  1. रहीम के अनुसार सच्चा मित्र कौन होता है?
    उत्तर: जो संकट में साथ देता है।

  2. "रहिमन धागा प्रेम का" दोहे में प्रेम की तुलना किससे की गई है?
    उत्तर: प्रेम की तुलना धागे से की गई है।

  3. रहीम ने किस दोहे में जल का महत्व बताया है?
    उत्तर: "रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।"


मध्यम (Medium) – 2 प्रश्न

  1. “जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवार” – इस पंक्ति का क्या तात्पर्य है?
    उत्तर: छोटे का काम अलग होता है, जिसे बड़ा नहीं कर सकता। इसलिए हर किसी का अपना महत्व होता है।

  2. रहीम के अनुसार वाणी का क्या प्रभाव होता है?
    उत्तर: वाणी सोच-समझकर बोलनी चाहिए क्योंकि वह बड़े प्रभाव डाल सकती है — स्वर्ग-पाताल तक पहुँचा सकती है।


कठिन (Difficult) – 3 प्रश्न

  1. "तरुवर फल न खाए" दोहे के माध्यम से रहीम क्या सिखाना चाहते हैं?
    उत्तर: कि हमें दूसरों के लिए निःस्वार्थ सेवा करनी चाहिए जैसे वृक्ष और तालाब करते हैं।

  2. रहीम ने किस दोहे में विवेक के महत्व को बताया है और कैसे?
    उत्तर: "रहिमन बिबेकू भली..." दोहे में बताया गया कि थोड़ा सा भी विवेक किसी की भलाई और बुराई पहचानने में मदद करता है।

  3. “मत तोड़ो चटकाय” – इस दोहे में गाँठ परि जाने का तात्पर्य क्या है?
    उत्तर: प्रेम में एक बार दरार आने पर वह रिश्ता पहले जैसा नहीं रहता।


बहुत कठिन (Very Difficult) – 2 प्रश्न

  1. “रहिमन वाणी बावरी...” दोहे के अनुसार वाणी किस प्रकार हमारी स्थिति को बदल सकती है?
    उत्तर: वाणी हमें ऊँचाई (सरग) से गिराकर नीचे (पाताल) तक पहुँचा सकती है, इसलिए यह सोच-समझकर प्रयोग करनी चाहिए।

  2. रहीम के दोहों में आज भी प्रासंगिकता क्यों है? एक तर्क सहित उत्तर दीजिए।
    उत्तर: रहीम के दोहे व्यवहार, नैतिकता, प्रेम और संबंधों की शिक्षा देते हैं जो हर युग में जरूरी होती है। इनका सरल भाषा में गहन संदेश इन्हें आज भी उपयोगी बनाता है।