Chapter 6: मेरी माँ
Chapter Summary
मेरी माँ - Chapter Summary
## सारांश
"मेरी माँ" रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा का एक अंश है जिसमें वे अपनी माता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। यह पाठ भावनात्मक, प्रेरणादायी और देशभक्ति से परिपूर्ण है। लेखक ने अपने संघर्षमय जीवन, सत्यनिष्ठा, और साहस के पीछे अपनी माँ के योगदान को प्रमुखता दी है।
### प्रमुख विषय
#### 1. माँ का सहयोग और प्रेरणा
- लेखक के जीवन में माताजी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
- माँ ने हमेशा उनके उत्साह को बनाए रखा, भले ही इसके लिए उन्हें परिवार के विरोध और डांट का सामना करना पड़ा।
- माताजी ने लेखक को नैतिकता, साहस और दृढ़ता का पाठ पढ़ाया।
#### 2. माताजी का शिक्षाप्रेम
- लेखक की माँ प्रारंभ में निरक्षर थीं, लेकिन उन्होंने स्वयं पढ़ना-लिखना सीखा।
- घरेलू कार्यों के साथ-साथ वे अपनी बेटियों को भी पढ़ाती थीं।
- उन्होंने शिक्षा के महत्त्व को पहचाना और बेटे को भी शिक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ाया।
#### 3. सत्य और नैतिकता की शिक्षा
- लेखक सत्यनिष्ठ थे और अनैतिक कार्यों से दूर रहते थे।
- एक घटना में जब उनके पिता ने वकील के माध्यम से एक झूठा काम करने को कहा, तो लेखक ने स्पष्ट मना कर दिया।
- यह सत्य के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है जो उन्हें माँ से ही मिली थी।
#### 4. माँ के आदर्श और जीवन-दर्शन
- माताजी का सबसे बड़ा आदर्श था: “कभी किसी की प्राण-हानि मत करो, यहाँ तक कि शत्रु की भी नहीं।”
- लेखक ने माँ की बातों को सदा याद रखा, और उन्होंने कई बार अपनी प्रतिज्ञा तोड़ने के बावजूद इस सिद्धांत का पालन किया।
#### 5. लेखक की कृतज्ञता
- लेखक माँ के प्रति इतने भावुक हैं कि कहते हैं—यदि वे अगले कई जन्मों में भी प्रयास करें, तो भी माँ का ऋण नहीं चुका सकते।
- माँ के दया, प्रेम, और सतत प्रोत्साहन ने उन्हें आत्मिक, सामाजिक और धार्मिक रूप से सशक्त बनाया।
#### 6. मातृत्व का गौरव
- लेखक ने माँ की छाया में कभी कोई कष्ट नहीं महसूस किया।
- जीवन में कोई भोग-विलास की इच्छा नहीं थी, सिर्फ यह कामना थी कि एक बार माँ के चरणों में श्रद्धा से शीश नवाएं।
## सरल शब्दों में कठिन शब्दों के अर्थ
| शब्द | अर्थ (सरल हिंदी में) |
|-----------------|------------------------------------------------|
| आत्मकथा | अपने जीवन की कहानी |
| प्रोत्साहन | हिम्मत बढ़ाने वाला काम या बात |
| दृढ़ता | अडिग रहना, मजबूती से निर्णय पर टिके रहना |
| अनुकूल | अनुकूल मतलब अनुकूल परिस्थिति या स्थिति |
| प्रेरणा | उत्साहित करने वाला उदाहरण या भावना |
| बलिदान | अपने लाभ की चिंता किए बिना दूसरों के लिए कुछ छोड़ना |
| ऋण | एहसान या उधार, जो चुकाना कठिन हो |
| प्रतिज्ञा | वचन या संकल्प |
| शत्रु | दुश्मन |
| आदर्श | उत्तम उदाहरण या आचरण का मॉडल |
## अभ्यास प्रश्न
### आसान (Easy)
1. रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में किसका वर्णन किया है?
**उत्तर**: अपनी माता का।
2. लेखक की माँ ने शिक्षा कैसे प्राप्त की?
**उत्तर**: सखियों से अक्षर-बोध लेकर और समय मिलने पर पढ़कर।
3. लेखक की माँ का सबसे बड़ा आदर्श क्या था?
**उत्तर**: किसी की प्राण-हानि नहीं करनी चाहिए, चाहे वह शत्रु ही क्यों न हो।
### मध्यम (Medium)
4. लेखक ने अपने जीवन में सत्य का पालन कैसे किया, एक उदाहरण दीजिए।
**उत्तर**: उन्होंने वकील के कहने पर झूठा हलफनामा लिखने से मना कर दिया।
5. लेखक के अनुसार उनकी माँ की कौन-सी बात उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरित करती थी?
**उत्तर**: उनका प्रेम, दया, और नैतिक शिक्षा जो उन्होंने अपने व्यवहार से दी।
### कठिन (Difficult)
6. लेखक की माँ का जीवन कैसा था जब वे ब्याह कर आईं?
**उत्तर**: वे अशिक्षित और ग्रामीण कन्या थीं, लेकिन बाद में उन्होंने गृहकार्य और शिक्षा दोनों में दक्षता प्राप्त की।
7. लेखक ने माँ के लिए अपनी श्रद्धा कैसे व्यक्त की?
**उत्तर**: उन्होंने लिखा कि वे अनेक जन्मों में भी माँ का ऋण नहीं चुका सकते।
8. लेखक की माँ का जीवन दर्शन स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में कैसे प्रभावशाली रहा?
**उत्तर**: उनकी माँ ने न केवल नैतिक मूल्य दिए बल्कि देशसेवा में योगदान के लिए उन्हें प्रेरित किया।
### बहुत कठिन (Very Difficult)
9. पाठ से यह कैसे सिद्ध होता है कि बिस्मिल की माँ प्रगतिशील और उदार विचारों वाली थीं?
**उत्तर**: उन्होंने शिक्षा का महत्व समझा, बाल विवाह के बाद भी खुद को शिक्षित किया, बच्चों को पढ़ाया और सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी।
10. “जब स्वतंत्र भारत का इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें तुम्हारा भी नाम लिखा जाएगा”—इस पंक्ति का महत्व स्पष्ट कीजिए।
**उत्तर**: यह पंक्ति लेखक द्वारा माँ के प्रति आदर और गौरव का भाव है। लेखक मानते हैं कि उनकी माँ का त्याग और मार्गदर्शन इतिहास में दर्ज होने योग्य है।
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मेरी माँ
सारांश
"मेरी माँ" रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा का एक अंश है जिसमें वे अपनी माता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। यह पाठ भावनात्मक, प्रेरणादायी और देशभक्ति से परिपूर्ण है। लेखक ने अपने संघर्षमय जीवन, सत्यनिष्ठा, और साहस के पीछे अपनी माँ के योगदान को प्रमुखता दी है।
प्रमुख विषय
1. माँ का सहयोग और प्रेरणा
- लेखक के जीवन में माताजी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
- माँ ने हमेशा उनके उत्साह को बनाए रखा, भले ही इसके लिए उन्हें परिवार के विरोध और डांट का सामना करना पड़ा।
- माताजी ने लेखक को नैतिकता, साहस और दृढ़ता का पाठ पढ़ाया।
2. माताजी का शिक्षाप्रेम
- लेखक की माँ प्रारंभ में निरक्षर थीं, लेकिन उन्होंने स्वयं पढ़ना-लिखना सीखा।
- घरेलू कार्यों के साथ-साथ वे अपनी बेटियों को भी पढ़ाती थीं।
- उन्होंने शिक्षा के महत्त्व को पहचाना और बेटे को भी शिक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ाया।
3. सत्य और नैतिकता की शिक्षा
- लेखक सत्यनिष्ठ थे और अनैतिक कार्यों से दूर रहते थे।
- एक घटना में जब उनके पिता ने वकील के माध्यम से एक झूठा काम करने को कहा, तो लेखक ने स्पष्ट मना कर दिया।
- यह सत्य के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है जो उन्हें माँ से ही मिली थी।
4. माँ के आदर्श और जीवन-दर्शन
- माताजी का सबसे बड़ा आदर्श था: “कभी किसी की प्राण-हानि मत करो, यहाँ तक कि शत्रु की भी नहीं।”
- लेखक ने माँ की बातों को सदा याद रखा, और उन्होंने कई बार अपनी प्रतिज्ञा तोड़ने के बावजूद इस सिद्धांत का पालन किया।
5. लेखक की कृतज्ञता
- लेखक माँ के प्रति इतने भावुक हैं कि कहते हैं—यदि वे अगले कई जन्मों में भी प्रयास करें, तो भी माँ का ऋण नहीं चुका सकते।
- माँ के दया, प्रेम, और सतत प्रोत्साहन ने उन्हें आत्मिक, सामाजिक और धार्मिक रूप से सशक्त बनाया।
6. मातृत्व का गौरव
- लेखक ने माँ की छाया में कभी कोई कष्ट नहीं महसूस किया।
- जीवन में कोई भोग-विलास की इच्छा नहीं थी, सिर्फ यह कामना थी कि एक बार माँ के चरणों में श्रद्धा से शीश नवाएं।
सरल शब्दों में कठिन शब्दों के अर्थ
शब्द | अर्थ (सरल हिंदी में) |
---|---|
आत्मकथा | अपने जीवन की कहानी |
प्रोत्साहन | हिम्मत बढ़ाने वाला काम या बात |
दृढ़ता | अडिग रहना, मजबूती से निर्णय पर टिके रहना |
अनुकूल | अनुकूल मतलब अनुकूल परिस्थिति या स्थिति |
प्रेरणा | उत्साहित करने वाला उदाहरण या भावना |
बलिदान | अपने लाभ की चिंता किए बिना दूसरों के लिए कुछ छोड़ना |
ऋण | एहसान या उधार, जो चुकाना कठिन हो |
प्रतिज्ञा | वचन या संकल्प |
शत्रु | दुश्मन |
आदर्श | उत्तम उदाहरण या आचरण का मॉडल |
अभ्यास प्रश्न
आसान (Easy)
-
रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में किसका वर्णन किया है?
उत्तर: अपनी माता का। -
लेखक की माँ ने शिक्षा कैसे प्राप्त की?
उत्तर: सखियों से अक्षर-बोध लेकर और समय मिलने पर पढ़कर। -
लेखक की माँ का सबसे बड़ा आदर्श क्या था?
उत्तर: किसी की प्राण-हानि नहीं करनी चाहिए, चाहे वह शत्रु ही क्यों न हो।
मध्यम (Medium)
-
लेखक ने अपने जीवन में सत्य का पालन कैसे किया, एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर: उन्होंने वकील के कहने पर झूठा हलफनामा लिखने से मना कर दिया। -
लेखक के अनुसार उनकी माँ की कौन-सी बात उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरित करती थी?
उत्तर: उनका प्रेम, दया, और नैतिक शिक्षा जो उन्होंने अपने व्यवहार से दी।
कठिन (Difficult)
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लेखक की माँ का जीवन कैसा था जब वे ब्याह कर आईं?
उत्तर: वे अशिक्षित और ग्रामीण कन्या थीं, लेकिन बाद में उन्होंने गृहकार्य और शिक्षा दोनों में दक्षता प्राप्त की। -
लेखक ने माँ के लिए अपनी श्रद्धा कैसे व्यक्त की?
उत्तर: उन्होंने लिखा कि वे अनेक जन्मों में भी माँ का ऋण नहीं चुका सकते। -
लेखक की माँ का जीवन दर्शन स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में कैसे प्रभावशाली रहा?
उत्तर: उनकी माँ ने न केवल नैतिक मूल्य दिए बल्कि देशसेवा में योगदान के लिए उन्हें प्रेरित किया।
बहुत कठिन (Very Difficult)
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पाठ से यह कैसे सिद्ध होता है कि बिस्मिल की माँ प्रगतिशील और उदार विचारों वाली थीं?
उत्तर: उन्होंने शिक्षा का महत्व समझा, बाल विवाह के बाद भी खुद को शिक्षित किया, बच्चों को पढ़ाया और सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी। -
“जब स्वतंत्र भारत का इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें तुम्हारा भी नाम लिखा जाएगा”—इस पंक्ति का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह पंक्ति लेखक द्वारा माँ के प्रति आदर और गौरव का भाव है। लेखक मानते हैं कि उनकी माँ का त्याग और मार्गदर्शन इतिहास में दर्ज होने योग्य है।