Chapter 10: परीक्षा
Chapter Summary
परीक्षा - Chapter Summary
## सारांश
कहानी ‘परीक्षा’ लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक प्रेरणादायक कहानी है जो मानवीय मूल्यों, करुणा, साहस और कर्तव्यनिष्ठा को उजागर करती है। कहानी की शुरुआत दवेगढ़ राज्य के दीवान सज्जनसिंह के त्यागपत्र से होती है। वे वृद्ध हो चुके हैं और अब काम करने में समर्थ नहीं हैं। राजा उनके अनुभव और निष्ठा का आदर करते हैं, पर दीवान साहब की इच्छा के अनुसार वे उन्हें मुक्त कर देते हैं, पर एक शर्त के साथ – नया दीवान भी सज्जनसिंह को ही ढूँढना होगा।
### दीवान पद की खोज
राज्य की प्रसिद्ध पत्रिकाओं में विज्ञापन निकलता है जिसमें योग्य दीवान की आवश्यकता बताई जाती है। यह बात पूरे देश में फैल जाती है और सैकड़ों उम्मीदवार दवेगढ़ पहुँचते हैं। इनमें से कुछ शिक्षित, कुछ फैशनेबल, कुछ पारंपरिक लोग होते हैं। एक महीने तक सभी उम्मीदवारों के रहन-सहन, व्यवहार, और नैतिक गुणों का परीक्षण किया जाता है।
### एक असली परीक्षा
इन प्रयासों के दौरान सभी लोग अपने को सज्जन, ज्ञानी और योग्य दिखाने का प्रयास करते हैं। लेकिन असली परीक्षा तब होती है जब एक किसान की अनाज से भरी गाड़ी कीचड़ में फँस जाती है और कोई उसकी मदद नहीं करता। वहीं एक घायल युवक – जो एक खिलाड़ी है – अपनी पीड़ा के बावजूद किसान की सहायता करता है और गाड़ी को दलदल से निकालने में मदद करता है।
### निर्णय का दिन
महीना पूरा होता है और दरबार में सब उपस्थित होते हैं। सज्जनसिंह राजा से कहते हैं कि उन्हें ऐसा व्यक्ति चाहिए था जिसमें दया, आत्मबल और उदारता हो। उन्होंने जानकीनाथ नामक युवक को दीवान नियुक्त करने की घोषणा की – वही युवक जिसने किसान की मदद की थी। यह कहानी दिखाती है कि पद के लिए योग्यता सिर्फ दिखावे से नहीं, बल्कि सच्चे आचरण और संवेदनशीलता से सिद्ध होती है।
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## मुख्य विषय
- करुणा और सहायता की भावना
- आत्मबल और साहस
- सच्चा आचरण बनावटी व्यवहार से श्रेष्ठ
- नैतिक मूल्यों की परीक्षा
- सेवा भाव और उदारता
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## प्रमुख पात्र
| पात्र | विवरण |
|-------------|--------|
| सज्जनसिंह | वृद्ध दीवान, अनुभवी, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ |
| राजा | समझदार, सज्जनसिंह पर विश्वास करने वाले |
| जानकीनाथ | सच्चा, करुणामय और साहसी युवक |
| किसान | जरूरतमंद, कठिन परिस्थिति में फंसा साधारण नागरिक |
| अन्य उम्मीदवार | दिखावे पर आधारित, आत्मकेन्द्रित |
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## शब्दार्थ (Shabdarth - New Words and Meanings)
| शब्द (हिंदी) | अर्थ (सरल भाषा में) |
|------------------|-------------------------------------|
| दीवान | राजा का प्रधान मंत्री या मुख्य सलाहकार |
| सविनय | नम्रता से, आदरपूर्वक |
| दीनबंधु | गरीबों के मित्र |
| विज्ञापन | सूचना या घोषणा जो समाचार पत्र में छपती है |
| हृष्ट-पुष्ट | तंदुरुस्त और स्वस्थ व्यक्ति |
| बगुला भगत | ढोंगी व्यक्ति जो बाहर से अच्छा दिखे |
| आत्मबल | आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति |
| उदारता | दूसरों की सहायता करने की भावना |
| दलदल | कीचड़ या फँसाने वाली परिस्थिति |
| हृदय | दिल, भावना रखने वाला अंग |
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## Keywords (हिंदी और अंग्रेज़ी में)
- दीवान – Minister
- आत्मबल – Inner strength
- उदारता – Generosity
- करुणा – Compassion
- विज्ञापन – Advertisement
- परीक्षा – Test
- सेवा – Service
- सच्चा व्यवहार – True behavior
- साहस – Courage
- नैतिक शिक्षा – Moral education
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## अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)
### आसान (Easy)
1. दीवान सज्जनसिंह ने इस्तीफा क्यों दिया?
**उत्तर:** क्योंकि वह बूढ़े हो गए थे और अब काम करने में सक्षम नहीं थे।
2. नया दीवान चुनने की जिम्मेदारी किसे दी गई?
**उत्तर:** सज्जनसिंह को।
3. जानकीनाथ ने किसान की किस प्रकार मदद की?
**उत्तर:** खुद की चोट की परवाह न करते हुए उसने किसान की गाड़ी कीचड़ से बाहर निकाली।
### मध्यम (Medium)
4. राजा ने जानकीनाथ को दीवान क्यों चुना?
**उत्तर:** क्योंकि उसमें करुणा, आत्मबल और साहस जैसे गुण थे।
5. कहानी का नाम 'परीक्षा' क्यों उपयुक्त है?
**उत्तर:** क्योंकि यह कहानी मानवीय मूल्यों की असली परीक्षा को दर्शाती है।
### कठिन (Difficult)
6. दूसरे उम्मीदवारों के व्यवहार से कहानी में क्या शिक्षा मिलती है?
**उत्तर:** बाहरी दिखावा और झूठे आचरण से कोई योग्य नहीं बनता, सच्ची परीक्षा कर्मों से होती है।
7. लेखक ने "बगुला भगत" जैसे शब्दों का प्रयोग क्यों किया है?
**उत्तर:** दिखावटी और झूठे लोगों की असलियत दिखाने के लिए।
8. जानकीनाथ का चरित्र कैसा है? तर्क सहित बताइए।
**उत्तर:** वह करुणामय, आत्मविश्वासी और निस्वार्थ व्यक्ति है, जो बिना किसी स्वार्थ के मदद करता है।
### बहुत कठिन (Very Difficult)
9. दीवान पद की घोषणा के दृश्य में सामाजिक न्याय का कौन-सा पक्ष उभरकर आता है?
**उत्तर:** योग्य व्यक्ति का चयन उसके नैतिक और मानवीय गुणों के आधार पर किया गया, न कि शैक्षिक या सामाजिक हैसियत से।
10. प्रेमचंद की कहानी 'परीक्षा' आज के समाज में किस प्रकार प्रासंगिक है?
**उत्तर:** यह कहानी आज के समय में भी सिखाती है कि सच्चाई, सेवा और नैतिकता ही व्यक्ति को महान बनाते हैं, न कि पद, पैसा या प्रदर्शन।
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परीक्षा
सारांश
कहानी ‘परीक्षा’ लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक प्रेरणादायक कहानी है जो मानवीय मूल्यों, करुणा, साहस और कर्तव्यनिष्ठा को उजागर करती है। कहानी की शुरुआत दवेगढ़ राज्य के दीवान सज्जनसिंह के त्यागपत्र से होती है। वे वृद्ध हो चुके हैं और अब काम करने में समर्थ नहीं हैं। राजा उनके अनुभव और निष्ठा का आदर करते हैं, पर दीवान साहब की इच्छा के अनुसार वे उन्हें मुक्त कर देते हैं, पर एक शर्त के साथ – नया दीवान भी सज्जनसिंह को ही ढूँढना होगा।
दीवान पद की खोज
राज्य की प्रसिद्ध पत्रिकाओं में विज्ञापन निकलता है जिसमें योग्य दीवान की आवश्यकता बताई जाती है। यह बात पूरे देश में फैल जाती है और सैकड़ों उम्मीदवार दवेगढ़ पहुँचते हैं। इनमें से कुछ शिक्षित, कुछ फैशनेबल, कुछ पारंपरिक लोग होते हैं। एक महीने तक सभी उम्मीदवारों के रहन-सहन, व्यवहार, और नैतिक गुणों का परीक्षण किया जाता है।
एक असली परीक्षा
इन प्रयासों के दौरान सभी लोग अपने को सज्जन, ज्ञानी और योग्य दिखाने का प्रयास करते हैं। लेकिन असली परीक्षा तब होती है जब एक किसान की अनाज से भरी गाड़ी कीचड़ में फँस जाती है और कोई उसकी मदद नहीं करता। वहीं एक घायल युवक – जो एक खिलाड़ी है – अपनी पीड़ा के बावजूद किसान की सहायता करता है और गाड़ी को दलदल से निकालने में मदद करता है।
निर्णय का दिन
महीना पूरा होता है और दरबार में सब उपस्थित होते हैं। सज्जनसिंह राजा से कहते हैं कि उन्हें ऐसा व्यक्ति चाहिए था जिसमें दया, आत्मबल और उदारता हो। उन्होंने जानकीनाथ नामक युवक को दीवान नियुक्त करने की घोषणा की – वही युवक जिसने किसान की मदद की थी। यह कहानी दिखाती है कि पद के लिए योग्यता सिर्फ दिखावे से नहीं, बल्कि सच्चे आचरण और संवेदनशीलता से सिद्ध होती है।
मुख्य विषय
- करुणा और सहायता की भावना
- आत्मबल और साहस
- सच्चा आचरण बनावटी व्यवहार से श्रेष्ठ
- नैतिक मूल्यों की परीक्षा
- सेवा भाव और उदारता
प्रमुख पात्र
पात्र | विवरण |
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सज्जनसिंह | वृद्ध दीवान, अनुभवी, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ |
राजा | समझदार, सज्जनसिंह पर विश्वास करने वाले |
जानकीनाथ | सच्चा, करुणामय और साहसी युवक |
किसान | जरूरतमंद, कठिन परिस्थिति में फंसा साधारण नागरिक |
अन्य उम्मीदवार | दिखावे पर आधारित, आत्मकेन्द्रित |
शब्दार्थ (Shabdarth - New Words and Meanings)
शब्द (हिंदी) | अर्थ (सरल भाषा में) |
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दीवान | राजा का प्रधान मंत्री या मुख्य सलाहकार |
सविनय | नम्रता से, आदरपूर्वक |
दीनबंधु | गरीबों के मित्र |
विज्ञापन | सूचना या घोषणा जो समाचार पत्र में छपती है |
हृष्ट-पुष्ट | तंदुरुस्त और स्वस्थ व्यक्ति |
बगुला भगत | ढोंगी व्यक्ति जो बाहर से अच्छा दिखे |
आत्मबल | आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति |
उदारता | दूसरों की सहायता करने की भावना |
दलदल | कीचड़ या फँसाने वाली परिस्थिति |
हृदय | दिल, भावना रखने वाला अंग |
Keywords (हिंदी और अंग्रेज़ी में)
- दीवान – Minister
- आत्मबल – Inner strength
- उदारता – Generosity
- करुणा – Compassion
- विज्ञापन – Advertisement
- परीक्षा – Test
- सेवा – Service
- सच्चा व्यवहार – True behavior
- साहस – Courage
- नैतिक शिक्षा – Moral education
अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)
आसान (Easy)
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दीवान सज्जनसिंह ने इस्तीफा क्यों दिया?
उत्तर: क्योंकि वह बूढ़े हो गए थे और अब काम करने में सक्षम नहीं थे। -
नया दीवान चुनने की जिम्मेदारी किसे दी गई?
उत्तर: सज्जनसिंह को। -
जानकीनाथ ने किसान की किस प्रकार मदद की?
उत्तर: खुद की चोट की परवाह न करते हुए उसने किसान की गाड़ी कीचड़ से बाहर निकाली।
मध्यम (Medium)
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राजा ने जानकीनाथ को दीवान क्यों चुना?
उत्तर: क्योंकि उसमें करुणा, आत्मबल और साहस जैसे गुण थे। -
कहानी का नाम 'परीक्षा' क्यों उपयुक्त है?
उत्तर: क्योंकि यह कहानी मानवीय मूल्यों की असली परीक्षा को दर्शाती है।
कठिन (Difficult)
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दूसरे उम्मीदवारों के व्यवहार से कहानी में क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: बाहरी दिखावा और झूठे आचरण से कोई योग्य नहीं बनता, सच्ची परीक्षा कर्मों से होती है। -
लेखक ने "बगुला भगत" जैसे शब्दों का प्रयोग क्यों किया है?
उत्तर: दिखावटी और झूठे लोगों की असलियत दिखाने के लिए। -
जानकीनाथ का चरित्र कैसा है? तर्क सहित बताइए।
उत्तर: वह करुणामय, आत्मविश्वासी और निस्वार्थ व्यक्ति है, जो बिना किसी स्वार्थ के मदद करता है।
बहुत कठिन (Very Difficult)
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दीवान पद की घोषणा के दृश्य में सामाजिक न्याय का कौन-सा पक्ष उभरकर आता है?
उत्तर: योग्य व्यक्ति का चयन उसके नैतिक और मानवीय गुणों के आधार पर किया गया, न कि शैक्षिक या सामाजिक हैसियत से। -
प्रेमचंद की कहानी 'परीक्षा' आज के समाज में किस प्रकार प्रासंगिक है?
उत्तर: यह कहानी आज के समय में भी सिखाती है कि सच्चाई, सेवा और नैतिकता ही व्यक्ति को महान बनाते हैं, न कि पद, पैसा या प्रदर्शन।