Chapter 13: पृथिव्यां त्रीणि रत् न्यनन
6th StandardSanskrit
Chapter Summary
पृथिव्यां त्रीणि रत् न्यनन - Chapter Summary
# पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि
## परिचय
यह अध्याय संस्कृत के सुंदर वाक्यों और श्लोकों (सुभाषितों) के माध्यम से पृथ्वी पर मौजूद तीन प्रमुख रत्नों – जल, अन्न और सुभाषित वचन – की महत्ता को दर्शाता है। इसमें सामाजिक मूल्यों, कर्तव्यों, परिश्रम, विद्या, धर्म और परोपकार जैसे गुणों को बताया गया है।
## मुख्य विषयवस्तु
### 1. पृथ्वी के तीन रत्न (Three Gems on Earth)
- जल, अन्न, सुभाषित वचन को पृथ्वी के असली रत्न कहा गया है।
- मूर्ख व्यक्ति ही पत्थरों को रत्न समझते हैं, बुद्धिमान इन तीनों को असली रत्न मानते हैं।
### 2. वसुधैव कुटुम्बकम् (The World is One Family)
- उदार चरित्र वाले लोग सभी को एक परिवार का सदस्य मानते हैं।
- अपनी जाति या देश तक सीमित न रहकर संपूर्ण पृथ्वी को ही कुटुंब समझते हैं।
### 3. परिश्रम और प्रयत्न की महत्ता
- प्रयास और परिश्रम के बिना कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता।
- जैसे शेर भी बिना प्रयत्न के शिकार नहीं करता, उसी प्रकार मनुष्य को भी प्रयत्न करना चाहिए।
### 4. ज्ञान और सेवा के लाभ
- जो व्यक्ति बुजुर्गों की सेवा करता है, उसमें आयु, विद्या, यश और बल की वृद्धि होती है।
- सेवा और ज्ञान से ही जीवन की सफलता संभव है।
### 5. साहस और धैर्य की भूमिका
- साहस, धैर्य, प्रतिभा, शक्ति और पराक्रम जैसे गुण कार्य में सफलता के लिए अनिवार्य हैं।
- इन गुणों के साथ ईश्वर भी सहायता करता है।
### 6. विद्या से पात्रता और सुख
- विद्या से विवेक उत्पन्न होता है, जिससे पात्रता आती है।
- पात्र व्यक्ति ही धर्म का पालन कर सकता है और धर्म से ही सुख की प्राप्ति होती है।
### 7. जन्मभूमि और मातृभूमि की गरिमा
- श्रीराम कहते हैं कि स्वर्णमयी लंका सुंदर है, परन्तु अपनी जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है।
- मातृभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान आवश्यक है।
### 8. वास्तविक विद्या की पहचान
- वह विद्या सार्थक है जो संकट के समय उपयोगी हो और धर्म में सहायक हो।
- केवल दिखावे के लिए प्राप्त की गई विद्या व्यर्थ है।
## सरल शब्दावली (New Terms with Simple Meanings)
| संस्कृत शब्द | English | सरल अर्थ |
|--------------|---------|-----------|
| मुढ़ैः | fools | जो अज्ञानी होते हैं |
| रत्नानि | gems | मूल्यवान चीजें |
| उदारचरितानाम् | generous-hearted | उदार स्वभाव वाले |
| वसुधा | earth | धरती |
| उद्यमः | effort | परिश्रम |
| सहायकरः | helper | जो सहायता करता है |
| विद्या | knowledge | ज्ञान |
| धर्मः | righteousness | अच्छे कर्म |
| पात्रता | worthiness | उपयुक्तता |
| जनमभूमिः | birthplace | जन्म का स्थान |
---
## अभ्यास प्रश्नोत्तर (Practice Questions and Answers)
### सरल प्रश्न (Easy)
1. पृथ्वी के तीन रत्न कौन-कौन से हैं?
- **उत्तर**: जल, अन्न और सुभाषित वचन।
2. उदारचरित व्यक्तियों का दृष्टिकोण कैसा होता है?
- **उत्तर**: वे संपूर्ण पृथ्वी को परिवार मानते हैं – वसुधैव कुटुम्बकम्।
3. परिश्रम क्यों आवश्यक है?
- **उत्तर**: बिना परिश्रम के कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता।
### मध्यम स्तर (Medium)
4. विद्या से कैसे लाभ होते हैं?
- **उत्तर**: विद्या से विवेक और पात्रता आती है, जिससे धर्म का पालन होता है और अंततः सुख की प्राप्ति होती है।
5. श्रीराम ने लंका की तुलना में किस भूमि को श्रेष्ठ बताया?
- **उत्तर**: अपनी जनमभूमि को, जो स्वर्ग से भी श्रेष्ठ मानी गई है।
### कठिन प्रश्न (Difficult)
6. “उद्यमः साहसं धैर्यम्…” श्लोक में किन गुणों का उल्लेख है?
- **उत्तर**: उद्यम (effort), साहस (courage), धैर्य (patience), प्रतिभा (intelligence), शक्ति (strength), पराक्रम (valor)।
7. सच्ची विद्या किसे कहते हैं?
- **उत्तर**: जो संकट के समय उपयोगी हो, धर्म में सहायक हो – वही सच्ची विद्या है।
8. “वसुधैव कुटुम्बकम्” का क्या तात्पर्य है?
- **उत्तर**: संपूर्ण धरती एक परिवार है – सभी लोग हमारे आत्मीय हैं।
### अति कठिन प्रश्न (Very Difficult)
9. “जनमभूमिः स्वर्गादपि गरीयसी” – इस कथन से क्या सिख मिलती है?
- **उत्तर**: मातृभूमि का प्रेम सर्वोपरि है। वह स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है।
10. ज्ञान, सेवा और धर्म के बीच संबंध स्पष्ट कीजिए।
- **उत्तर**: विद्या से विवेक आता है, विवेक से धर्म पालन संभव होता है और धर्म से ही वास्तविक सुख की प्राप्ति होती है।
---
## परिचय
यह अध्याय संस्कृत के सुंदर वाक्यों और श्लोकों (सुभाषितों) के माध्यम से पृथ्वी पर मौजूद तीन प्रमुख रत्नों – जल, अन्न और सुभाषित वचन – की महत्ता को दर्शाता है। इसमें सामाजिक मूल्यों, कर्तव्यों, परिश्रम, विद्या, धर्म और परोपकार जैसे गुणों को बताया गया है।
## मुख्य विषयवस्तु
### 1. पृथ्वी के तीन रत्न (Three Gems on Earth)
- जल, अन्न, सुभाषित वचन को पृथ्वी के असली रत्न कहा गया है।
- मूर्ख व्यक्ति ही पत्थरों को रत्न समझते हैं, बुद्धिमान इन तीनों को असली रत्न मानते हैं।
### 2. वसुधैव कुटुम्बकम् (The World is One Family)
- उदार चरित्र वाले लोग सभी को एक परिवार का सदस्य मानते हैं।
- अपनी जाति या देश तक सीमित न रहकर संपूर्ण पृथ्वी को ही कुटुंब समझते हैं।
### 3. परिश्रम और प्रयत्न की महत्ता
- प्रयास और परिश्रम के बिना कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता।
- जैसे शेर भी बिना प्रयत्न के शिकार नहीं करता, उसी प्रकार मनुष्य को भी प्रयत्न करना चाहिए।
### 4. ज्ञान और सेवा के लाभ
- जो व्यक्ति बुजुर्गों की सेवा करता है, उसमें आयु, विद्या, यश और बल की वृद्धि होती है।
- सेवा और ज्ञान से ही जीवन की सफलता संभव है।
### 5. साहस और धैर्य की भूमिका
- साहस, धैर्य, प्रतिभा, शक्ति और पराक्रम जैसे गुण कार्य में सफलता के लिए अनिवार्य हैं।
- इन गुणों के साथ ईश्वर भी सहायता करता है।
### 6. विद्या से पात्रता और सुख
- विद्या से विवेक उत्पन्न होता है, जिससे पात्रता आती है।
- पात्र व्यक्ति ही धर्म का पालन कर सकता है और धर्म से ही सुख की प्राप्ति होती है।
### 7. जन्मभूमि और मातृभूमि की गरिमा
- श्रीराम कहते हैं कि स्वर्णमयी लंका सुंदर है, परन्तु अपनी जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है।
- मातृभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान आवश्यक है।
### 8. वास्तविक विद्या की पहचान
- वह विद्या सार्थक है जो संकट के समय उपयोगी हो और धर्म में सहायक हो।
- केवल दिखावे के लिए प्राप्त की गई विद्या व्यर्थ है।
## सरल शब्दावली (New Terms with Simple Meanings)
| संस्कृत शब्द | English | सरल अर्थ |
|--------------|---------|-----------|
| मुढ़ैः | fools | जो अज्ञानी होते हैं |
| रत्नानि | gems | मूल्यवान चीजें |
| उदारचरितानाम् | generous-hearted | उदार स्वभाव वाले |
| वसुधा | earth | धरती |
| उद्यमः | effort | परिश्रम |
| सहायकरः | helper | जो सहायता करता है |
| विद्या | knowledge | ज्ञान |
| धर्मः | righteousness | अच्छे कर्म |
| पात्रता | worthiness | उपयुक्तता |
| जनमभूमिः | birthplace | जन्म का स्थान |
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## अभ्यास प्रश्नोत्तर (Practice Questions and Answers)
### सरल प्रश्न (Easy)
1. पृथ्वी के तीन रत्न कौन-कौन से हैं?
- **उत्तर**: जल, अन्न और सुभाषित वचन।
2. उदारचरित व्यक्तियों का दृष्टिकोण कैसा होता है?
- **उत्तर**: वे संपूर्ण पृथ्वी को परिवार मानते हैं – वसुधैव कुटुम्बकम्।
3. परिश्रम क्यों आवश्यक है?
- **उत्तर**: बिना परिश्रम के कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता।
### मध्यम स्तर (Medium)
4. विद्या से कैसे लाभ होते हैं?
- **उत्तर**: विद्या से विवेक और पात्रता आती है, जिससे धर्म का पालन होता है और अंततः सुख की प्राप्ति होती है।
5. श्रीराम ने लंका की तुलना में किस भूमि को श्रेष्ठ बताया?
- **उत्तर**: अपनी जनमभूमि को, जो स्वर्ग से भी श्रेष्ठ मानी गई है।
### कठिन प्रश्न (Difficult)
6. “उद्यमः साहसं धैर्यम्…” श्लोक में किन गुणों का उल्लेख है?
- **उत्तर**: उद्यम (effort), साहस (courage), धैर्य (patience), प्रतिभा (intelligence), शक्ति (strength), पराक्रम (valor)।
7. सच्ची विद्या किसे कहते हैं?
- **उत्तर**: जो संकट के समय उपयोगी हो, धर्म में सहायक हो – वही सच्ची विद्या है।
8. “वसुधैव कुटुम्बकम्” का क्या तात्पर्य है?
- **उत्तर**: संपूर्ण धरती एक परिवार है – सभी लोग हमारे आत्मीय हैं।
### अति कठिन प्रश्न (Very Difficult)
9. “जनमभूमिः स्वर्गादपि गरीयसी” – इस कथन से क्या सिख मिलती है?
- **उत्तर**: मातृभूमि का प्रेम सर्वोपरि है। वह स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है।
10. ज्ञान, सेवा और धर्म के बीच संबंध स्पष्ट कीजिए।
- **उत्तर**: विद्या से विवेक आता है, विवेक से धर्म पालन संभव होता है और धर्म से ही वास्तविक सुख की प्राप्ति होती है।
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पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि
परिचय
यह अध्याय संस्कृत के सुंदर वाक्यों और श्लोकों (सुभाषितों) के माध्यम से पृथ्वी पर मौजूद तीन प्रमुख रत्नों – जल, अन्न और सुभाषित वचन – की महत्ता को दर्शाता है। इसमें सामाजिक मूल्यों, कर्तव्यों, परिश्रम, विद्या, धर्म और परोपकार जैसे गुणों को बताया गया है।
मुख्य विषयवस्तु
1. पृथ्वी के तीन रत्न (Three Gems on Earth)
- जल, अन्न, सुभाषित वचन को पृथ्वी के असली रत्न कहा गया है।
- मूर्ख व्यक्ति ही पत्थरों को रत्न समझते हैं, बुद्धिमान इन तीनों को असली रत्न मानते हैं।
2. वसुधैव कुटुम्बकम् (The World is One Family)
- उदार चरित्र वाले लोग सभी को एक परिवार का सदस्य मानते हैं।
- अपनी जाति या देश तक सीमित न रहकर संपूर्ण पृथ्वी को ही कुटुंब समझते हैं।
3. परिश्रम और प्रयत्न की महत्ता
- प्रयास और परिश्रम के बिना कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता।
- जैसे शेर भी बिना प्रयत्न के शिकार नहीं करता, उसी प्रकार मनुष्य को भी प्रयत्न करना चाहिए।
4. ज्ञान और सेवा के लाभ
- जो व्यक्ति बुजुर्गों की सेवा करता है, उसमें आयु, विद्या, यश और बल की वृद्धि होती है।
- सेवा और ज्ञान से ही जीवन की सफलता संभव है।
5. साहस और धैर्य की भूमिका
- साहस, धैर्य, प्रतिभा, शक्ति और पराक्रम जैसे गुण कार्य में सफलता के लिए अनिवार्य हैं।
- इन गुणों के साथ ईश्वर भी सहायता करता है।
6. विद्या से पात्रता और सुख
- विद्या से विवेक उत्पन्न होता है, जिससे पात्रता आती है।
- पात्र व्यक्ति ही धर्म का पालन कर सकता है और धर्म से ही सुख की प्राप्ति होती है।
7. जन्मभूमि और मातृभूमि की गरिमा
- श्रीराम कहते हैं कि स्वर्णमयी लंका सुंदर है, परन्तु अपनी जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है।
- मातृभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान आवश्यक है।
8. वास्तविक विद्या की पहचान
- वह विद्या सार्थक है जो संकट के समय उपयोगी हो और धर्म में सहायक हो।
- केवल दिखावे के लिए प्राप्त की गई विद्या व्यर्थ है।
सरल शब्दावली (New Terms with Simple Meanings)
संस्कृत शब्द | English | सरल अर्थ |
---|---|---|
मुढ़ैः | fools | जो अज्ञानी होते हैं |
रत्नानि | gems | मूल्यवान चीजें |
उदारचरितानाम् | generous-hearted | उदार स्वभाव वाले |
वसुधा | earth | धरती |
उद्यमः | effort | परिश्रम |
सहायकरः | helper | जो सहायता करता है |
विद्या | knowledge | ज्ञान |
धर्मः | righteousness | अच्छे कर्म |
पात्रता | worthiness | उपयुक्तता |
जनमभूमिः | birthplace | जन्म का स्थान |
अभ्यास प्रश्नोत्तर (Practice Questions and Answers)
सरल प्रश्न (Easy)
-
पृथ्वी के तीन रत्न कौन-कौन से हैं?
- उत्तर: जल, अन्न और सुभाषित वचन।
-
उदारचरित व्यक्तियों का दृष्टिकोण कैसा होता है?
- उत्तर: वे संपूर्ण पृथ्वी को परिवार मानते हैं – वसुधैव कुटुम्बकम्।
-
परिश्रम क्यों आवश्यक है?
- उत्तर: बिना परिश्रम के कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता।
मध्यम स्तर (Medium)
-
विद्या से कैसे लाभ होते हैं?
- उत्तर: विद्या से विवेक और पात्रता आती है, जिससे धर्म का पालन होता है और अंततः सुख की प्राप्ति होती है।
-
श्रीराम ने लंका की तुलना में किस भूमि को श्रेष्ठ बताया?
- उत्तर: अपनी जनमभूमि को, जो स्वर्ग से भी श्रेष्ठ मानी गई है।
कठिन प्रश्न (Difficult)
-
“उद्यमः साहसं धैर्यम्…” श्लोक में किन गुणों का उल्लेख है?
- उत्तर: उद्यम (effort), साहस (courage), धैर्य (patience), प्रतिभा (intelligence), शक्ति (strength), पराक्रम (valor)।
-
सच्ची विद्या किसे कहते हैं?
- उत्तर: जो संकट के समय उपयोगी हो, धर्म में सहायक हो – वही सच्ची विद्या है।
-
“वसुधैव कुटुम्बकम्” का क्या तात्पर्य है?
- उत्तर: संपूर्ण धरती एक परिवार है – सभी लोग हमारे आत्मीय हैं।
अति कठिन प्रश्न (Very Difficult)
-
“जनमभूमिः स्वर्गादपि गरीयसी” – इस कथन से क्या सिख मिलती है?
- उत्तर: मातृभूमि का प्रेम सर्वोपरि है। वह स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है।
-
ज्ञान, सेवा और धर्म के बीच संबंध स्पष्ट कीजिए।
- उत्तर: विद्या से विवेक आता है, विवेक से धर्म पालन संभव होता है और धर्म से ही वास्तविक सुख की प्राप्ति होती है।