Chapter 3: फूल और काँटा
Chapter Summary
फूल और काँटा - Chapter Summary
## कवि परिचय
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' जी हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि हैं। उनका जन्म आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। बच्चों के लिए उन्होंने अनेक रोचक कविताएँ लिखी हैं। 'उठो लाल, अब आँखें खोलो' जैसी प्रसिद्ध कविता भी उन्होंने ही लिखी है। उनकी चर्चित काव्य-कृति 'प्रियप्रवास' को खड़ी बोली का पहला महाकाव्य माना जाता है।
## कविता का मुख्य संदेश
यह कविता फूल और काँटे के प्रतीक के माध्यम से मानवीय स्वभाव और जीवन की विविधताओं को समझाती है। कवि ने दिखाया है कि एक ही वातावरण में रहकर भी लोगों के स्वभाव और व्यवहार अलग-अलग होते हैं।
## कविता की मुख्य बातें
### समान परिस्थितियाँ, अलग स्वभाव
**समानताएँ:**
- फूल और काँटे दोनों एक ही पौधे पर उगते हैं
- दोनों पर एक ही चाँदनी पड़ती है
- दोनों पर एक ही तरह की बारिश होती है
- दोनों में एक सी हवा बहती है
- दोनों को समान देखभाल मिलती है
**अंतर:**
फिर भी दोनों के ढंग एक से नहीं होते।
### काँटे का स्वभाव (नकारात्मक व्यवहार)
- लोगों की उँगलियों को छेदता है
- कपड़ों को फाड़ देता है
- तितलियों के पंख कतरता है
- भौंरे के शरीर को बेध देता है
- सबकी आँखों में खटकता है
- लोग इससे दूर रहना पसंद करते हैं
### फूल का स्वभाव (सकारात्मक व्यवहार)
- तितलियों को अपनी गोद में बिठाता है
- भौंरे को मधुर रस पिलाता है
- अपनी सुगंध से सबका मन खुश करता है
- अपने सुंदर रंगों से मन को प्रसन्न करता है
- लोगों के सिर पर शोभा बढ़ाता है
- सबको प्रसन्नता और आनंद देता है
## कुल और बड़प्पन का संदेश
कविता के अंत में कवि महत्वपूर्ण संदेश देता है:
**"किस तरह कुल की बड़ाई काम दे, जो किसी में हो बड़प्पन की कसर।"**
इसका अर्थ है:
- केवल अच्छे कुल या खानदान में जन्म लेना पर्याप्त नहीं है
- यदि व्यक्ति में स्वयं अच्छे गुण नहीं हैं तो कुल की प्रतिष्ठा काम नहीं आती
- वास्तविक बड़प्पन व्यक्ति के अपने गुणों, स्वभाव और कर्मों से आता है
- व्यक्ति के काम ही उसके सम्मान का आधार होते हैं
## जीवन संदेश
1. **व्यक्तित्व का महत्व:** कुल या पारिवारिक पृष्ठभूमि से ज्यादा व्यक्ति के अपने गुण महत्वपूर्ण हैं
2. **स्वभाव की शक्ति:** समान परिस्थितियों में भी व्यक्ति अपने स्वभाव के अनुसार अच्छे या बुरे कार्य कर सकता है
3. **सकारात्मक दृष्टिकोण:** फूल की तरह दूसरों के जीवन में खुशी और सुगंध फैलाना चाहिए
4. **नकारात्मकता से बचाव:** काँटे की तरह दूसरों को परेशान करने से बचना चाहिए
## कविता की विशेषताएँ
1. **प्रतीकात्मकता:** फूल और काँटे को मानवीय गुणों के प्रतीक के रूप में प्रयोग
2. **सरल भाषा:** समझने में आसान शब्दावली
3. **तुकांत:** हर दूसरी पंक्ति में मिलती-जुलती ध्वनि
4. **प्राकृतिक चित्रण:** प्रकृति के माध्यम से जीवन की सीख
5. **नैतिक संदेश:** जीवन में अच्छे गुणों को अपनाने की प्रेरणा
## नए शब्दों के अर्थ
| शब्द | अर्थ |
|------|------|
| पालता | पालन-पोषण करना, बड़ा करना |
| बही | बहना |
| अनूठा | अनोखा, विशेष |
| निज | अपना |
| सुगंध | खुशबू |
| निराले | अलग, विशेष |
| श्याम तन | काला शरीर |
| बेध | छेदना |
| सोहता | शोभा देता, सुंदर लगता |
| कुल | खानदान, वंश |
| बड़प्पन | महानता, श्रेष्ठता |
| कसर | कमी |
| खटकता | बुरा लगना, परेशान करना |
फूल और काँटा
कवि परिचय
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' जी हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि हैं। उनका जन्म आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। बच्चों के लिए उन्होंने अनेक रोचक कविताएँ लिखी हैं। 'उठो लाल, अब आँखें खोलो' जैसी प्रसिद्ध कविता भी उन्होंने ही लिखी है। उनकी चर्चित काव्य-कृति 'प्रियप्रवास' को खड़ी बोली का पहला महाकाव्य माना जाता है।
कविता का मुख्य संदेश
यह कविता फूल और काँटे के प्रतीक के माध्यम से मानवीय स्वभाव और जीवन की विविधताओं को समझाती है। कवि ने दिखाया है कि एक ही वातावरण में रहकर भी लोगों के स्वभाव और व्यवहार अलग-अलग होते हैं।
कविता की मुख्य बातें
समान परिस्थितियाँ, अलग स्वभाव
समानताएँ:
- फूल और काँटे दोनों एक ही पौधे पर उगते हैं
- दोनों पर एक ही चाँदनी पड़ती है
- दोनों पर एक ही तरह की बारिश होती है
- दोनों में एक सी हवा बहती है
- दोनों को समान देखभाल मिलती है
अंतर: फिर भी दोनों के ढंग एक से नहीं होते।
काँटे का स्वभाव (नकारात्मक व्यवहार)
- लोगों की उँगलियों को छेदता है
- कपड़ों को फाड़ देता है
- तितलियों के पंख कतरता है
- भौंरे के शरीर को बेध देता है
- सबकी आँखों में खटकता है
- लोग इससे दूर रहना पसंद करते हैं
फूल का स्वभाव (सकारात्मक व्यवहार)
- तितलियों को अपनी गोद में बिठाता है
- भौंरे को मधुर रस पिलाता है
- अपनी सुगंध से सबका मन खुश करता है
- अपने सुंदर रंगों से मन को प्रसन्न करता है
- लोगों के सिर पर शोभा बढ़ाता है
- सबको प्रसन्नता और आनंद देता है
कुल और बड़प्पन का संदेश
कविता के अंत में कवि महत्वपूर्ण संदेश देता है:
"किस तरह कुल की बड़ाई काम दे, जो किसी में हो बड़प्पन की कसर।"
इसका अर्थ है:
- केवल अच्छे कुल या खानदान में जन्म लेना पर्याप्त नहीं है
- यदि व्यक्ति में स्वयं अच्छे गुण नहीं हैं तो कुल की प्रतिष्ठा काम नहीं आती
- वास्तविक बड़प्पन व्यक्ति के अपने गुणों, स्वभाव और कर्मों से आता है
- व्यक्ति के काम ही उसके सम्मान का आधार होते हैं
जीवन संदेश
-
व्यक्तित्व का महत्व: कुल या पारिवारिक पृष्ठभूमि से ज्यादा व्यक्ति के अपने गुण महत्वपूर्ण हैं
-
स्वभाव की शक्ति: समान परिस्थितियों में भी व्यक्ति अपने स्वभाव के अनुसार अच्छे या बुरे कार्य कर सकता है
-
सकारात्मक दृष्टिकोण: फूल की तरह दूसरों के जीवन में खुशी और सुगंध फैलाना चाहिए
-
नकारात्मकता से बचाव: काँटे की तरह दूसरों को परेशान करने से बचना चाहिए
कविता की विशेषताएँ
- प्रतीकात्मकता: फूल और काँटे को मानवीय गुणों के प्रतीक के रूप में प्रयोग
- सरल भाषा: समझने में आसान शब्दावली
- तुकांत: हर दूसरी पंक्ति में मिलती-जुलती ध्वनि
- प्राकृतिक चित्रण: प्रकृति के माध्यम से जीवन की सीख
- नैतिक संदेश: जीवन में अच्छे गुणों को अपनाने की प्रेरणा
नए शब्दों के अर्थ
शब्द | अर्थ |
---|---|
पालता | पालन-पोषण करना, बड़ा करना |
बही | बहना |
अनूठा | अनोखा, विशेष |
निज | अपना |
सुगंध | खुशबू |
निराले | अलग, विशेष |
श्याम तन | काला शरीर |
बेध | छेदना |
सोहता | शोभा देता, सुंदर लगता |
कुल | खानदान, वंश |
बड़प्पन | महानता, श्रेष्ठता |
कसर | कमी |
खटकता | बुरा लगना, परेशान करना |