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Chapter 4: पानी रे पानी

7th StandardHindi

Chapter Summary

पानी रे पानी - Chapter Summary

# पानी रे पानी - जल चक्र और जल संरक्षण

## जल चक्र की किताबी और व्यावहारिक समझ

यह पाठ जल चक्र की सामान्य समझ से शुरू होता है। हमें भूगोल की किताबों में जल चक्र के बारे में पढ़ाया जाता है - सूर्य, समुद्र, बादल, हवा, धरती, फिर बारिश की बूंदें और नदी का प्रवाह। एक चित्र में दिखाया जाता है कि कैसे समुद्र से उठी भाप बादल बनकर पानी में बदलती है और फिर वापस समुद्र में मिल जाती है।

## आज की वास्तविकता - जल संकट

परंतु आज की वास्तविकता यह है कि हमारे घरों, स्कूलों, कार्यालयों और कारखानों में पानी की स्थिति बहुत अलग है:

- **नलों में पानी नहीं आता**: पूरे समय पानी उपलब्ध नहीं होता
- **बेवक्त पानी**: कभी देर रात तो कभी बहुत सुबह पानी आता है
- **मीठी नींद छोड़कर** बाल्टियां और बर्तन भरने की मजबूरी
- **आपसी विवाद**: पानी को लेकर तू-तू मैं-मैं की स्थिति

## समस्या का समाधान - मोटर लगाना

बहुत से लोग नलों के पाइप में मोटर लगवा लेते हैं। इससे कई घरों का पानी खिंचकर एक ही घर में आ जाता है। यह:
- **आस-पास का हक छीनना** जैसा काम है
- **मजबूरी में किया जाने वाला काम** है
- **पानी की कमी को और बढ़ाता** है

## शहरों में जल संकट

शहरों में अब कई चीजों की तरह पानी भी बिकने लगा है। यह कमी:
- गाँव-शहरों में ही नहीं बल्कि बड़े शहरों में भी है
- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु में लोगों को कष्ट देती है
- देश के कई हिस्सों में अकाल जैसी स्थिति बनाती है

## बरसात में बाढ़ की समस्या

बरसात के मौसम में स्थिति यह होती है:
- **सब तरफ पानी** ही बहने लगता है
- **घरों, स्कूलों, सड़कों पर पानी** भर जाता है
- **रेल की पटरियों पर पानी** भर जाता है
- **देश के कई भाग बाढ़ में** डूब जाते हैं
- **सब कुछ थम जाता है**, सब कुछ बह जाता है

## अकाल और बाढ़ का रिश्ता

लेखक स्पष्ट करते हैं कि पानी का बेहद कम होना (अकाल) और पानी का बेहद ज्यादा होना (बाढ़) एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि हम इन दोनों को ठीक से समझ लें तो कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

## धरती - एक बड़ी गुल्लक

### गुल्लक की तुलना
लेखक धरती की तुलना गुल्लक से करते हैं। जैसे:
- **गुल्लक में पैसे जमा करते हैं** - एक रुपया, दो रुपया, पांच रुपया
- **जरूरत पड़ने पर उपयोग करते हैं** - गुल्लक की बचत का

### धरती की गुल्लक
धरती भी इसी तरह की एक बड़ी गुल्लक है:
- **प्रकृति वर्षा में पानी बरसाती है** - रुपयों से कई गुना कीमती
- **तालाब, झील आदि** धरती की गुल्लक में पानी भरने का काम करते हैं
- **जमीन के नीचे रिसकर** पानी भूजल भंडार को समृद्ध बनाता है
- **पूरे साल भर** इस खजाने से पानी निकाल सकते हैं

## बड़ी गलती और उसकी सजा

### क्या गलती की?
हमने **तालाबों को कचरे से पाटकर** समतल बना दिया। इन पर:
- **मकान, बाजार** खड़े हो गए
- **स्टेडियम और सिनेमा** बन गए

### सजा
इस गलती की सजा अब हमें मिल रही है:
- **गर्मी में नल सूख जाते हैं**
- **बरसात में बस्तियाँ डूबने लगती हैं**

## समाधान

### जल स्रोतों की रक्षा
यदि हमें अकाल और बाढ़ से बचना है तो:
- **जल स्रोतों की रक्षा** करनी होगी
- **तालाबों की रक्षा** करनी होगी
- **नदियों की रक्षा** करनी होगी

### जल चक्र को समझना
- **जल चक्र को ठीक से समझना** होगा
- **बरसात के समय पानी को थामना** होगा
- **भूजल भंडार को संरक्षित रखना** होगा
- **अपनी गुल्लक भरते रहना** होगा

यदि हमने जल चक्र का ठीक उपयोग नहीं किया तो हम पानी के चक्कर में फंसते चले जाएंगे।

## लेखक परिचय

**अनुपम मिश्र** (1948-2016) एक प्रखर लेखक, संपादक और जाने-माने पर्यावरणविद थे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अनेक प्रयोगात्मक कार्य किए। उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें:
- **"आज भी खरे हैं तालाब"** - सर्वाधिक चर्चित पुस्तक
- **"साफ माथे का समाज"** - एक और महत्वपूर्ण पुस्तक

वे गांधी शांति प्रतिष्ठान से प्रकाशित पत्रिका **"गांधी मार्ग"** के संस्थापक और संपादक भी थे।

---

## नए शब्दों और पदों की परिभाषा

| शब्द/पद | अर्थ |
|---------|------|
| **जल चक्र** | समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर पानी में बदलना और वर्षा के द्वारा पुनः समुद्र में मिल जाना |
| **भूजल** | जमीन के नीचे छिपा जल भंडार |
| **वर्षा जल संग्रहण** | वर्षा के जल को प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रूप से धरती में संग्रह करना |
| **जल संकट** | जल की अत्यधिक कमी होना |
| **अकाल** | कुसमय, सूखा - जब पानी की अत्यधिक कमी हो |
| **बाढ़** | अत्यधिक वर्षा के कारण जल भराव |
| **गुल्लक** | पैसे जमा करने का छोटा बर्तन |
| **भूजल भंडार** | जमीन के नीचे स्थित जल का संचय |
| **जल स्रोत** | पानी के प्राकृतिक स्थान जैसे नदी, तालाब, झील |
| **पर्यावरणविद** | पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण का कार्य करने वाला व्यक्ति |

पानी रे पानी - जल चक्र और जल संरक्षण

जल चक्र की किताबी और व्यावहारिक समझ

यह पाठ जल चक्र की सामान्य समझ से शुरू होता है। हमें भूगोल की किताबों में जल चक्र के बारे में पढ़ाया जाता है - सूर्य, समुद्र, बादल, हवा, धरती, फिर बारिश की बूंदें और नदी का प्रवाह। एक चित्र में दिखाया जाता है कि कैसे समुद्र से उठी भाप बादल बनकर पानी में बदलती है और फिर वापस समुद्र में मिल जाती है।

आज की वास्तविकता - जल संकट

परंतु आज की वास्तविकता यह है कि हमारे घरों, स्कूलों, कार्यालयों और कारखानों में पानी की स्थिति बहुत अलग है:

  • नलों में पानी नहीं आता: पूरे समय पानी उपलब्ध नहीं होता
  • बेवक्त पानी: कभी देर रात तो कभी बहुत सुबह पानी आता है
  • मीठी नींद छोड़कर बाल्टियां और बर्तन भरने की मजबूरी
  • आपसी विवाद: पानी को लेकर तू-तू मैं-मैं की स्थिति

समस्या का समाधान - मोटर लगाना

बहुत से लोग नलों के पाइप में मोटर लगवा लेते हैं। इससे कई घरों का पानी खिंचकर एक ही घर में आ जाता है। यह:

  • आस-पास का हक छीनना जैसा काम है
  • मजबूरी में किया जाने वाला काम है
  • पानी की कमी को और बढ़ाता है

शहरों में जल संकट

शहरों में अब कई चीजों की तरह पानी भी बिकने लगा है। यह कमी:

  • गाँव-शहरों में ही नहीं बल्कि बड़े शहरों में भी है
  • दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु में लोगों को कष्ट देती है
  • देश के कई हिस्सों में अकाल जैसी स्थिति बनाती है

बरसात में बाढ़ की समस्या

बरसात के मौसम में स्थिति यह होती है:

  • सब तरफ पानी ही बहने लगता है
  • घरों, स्कूलों, सड़कों पर पानी भर जाता है
  • रेल की पटरियों पर पानी भर जाता है
  • देश के कई भाग बाढ़ में डूब जाते हैं
  • सब कुछ थम जाता है, सब कुछ बह जाता है

अकाल और बाढ़ का रिश्ता

लेखक स्पष्ट करते हैं कि पानी का बेहद कम होना (अकाल) और पानी का बेहद ज्यादा होना (बाढ़) एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि हम इन दोनों को ठीक से समझ लें तो कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

धरती - एक बड़ी गुल्लक

गुल्लक की तुलना

लेखक धरती की तुलना गुल्लक से करते हैं। जैसे:

  • गुल्लक में पैसे जमा करते हैं - एक रुपया, दो रुपया, पांच रुपया
  • जरूरत पड़ने पर उपयोग करते हैं - गुल्लक की बचत का

धरती की गुल्लक

धरती भी इसी तरह की एक बड़ी गुल्लक है:

  • प्रकृति वर्षा में पानी बरसाती है - रुपयों से कई गुना कीमती
  • तालाब, झील आदि धरती की गुल्लक में पानी भरने का काम करते हैं
  • जमीन के नीचे रिसकर पानी भूजल भंडार को समृद्ध बनाता है
  • पूरे साल भर इस खजाने से पानी निकाल सकते हैं

बड़ी गलती और उसकी सजा

क्या गलती की?

हमने तालाबों को कचरे से पाटकर समतल बना दिया। इन पर:

  • मकान, बाजार खड़े हो गए
  • स्टेडियम और सिनेमा बन गए

सजा

इस गलती की सजा अब हमें मिल रही है:

  • गर्मी में नल सूख जाते हैं
  • बरसात में बस्तियाँ डूबने लगती हैं

समाधान

जल स्रोतों की रक्षा

यदि हमें अकाल और बाढ़ से बचना है तो:

  • जल स्रोतों की रक्षा करनी होगी
  • तालाबों की रक्षा करनी होगी
  • नदियों की रक्षा करनी होगी

जल चक्र को समझना

  • जल चक्र को ठीक से समझना होगा
  • बरसात के समय पानी को थामना होगा
  • भूजल भंडार को संरक्षित रखना होगा
  • अपनी गुल्लक भरते रहना होगा

यदि हमने जल चक्र का ठीक उपयोग नहीं किया तो हम पानी के चक्कर में फंसते चले जाएंगे।

लेखक परिचय

अनुपम मिश्र (1948-2016) एक प्रखर लेखक, संपादक और जाने-माने पर्यावरणविद थे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अनेक प्रयोगात्मक कार्य किए। उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें:

  • "आज भी खरे हैं तालाब" - सर्वाधिक चर्चित पुस्तक
  • "साफ माथे का समाज" - एक और महत्वपूर्ण पुस्तक

वे गांधी शांति प्रतिष्ठान से प्रकाशित पत्रिका "गांधी मार्ग" के संस्थापक और संपादक भी थे।


नए शब्दों और पदों की परिभाषा

शब्द/पदअर्थ
जल चक्रसमुद्र से उठी भाप का बादल बनकर पानी में बदलना और वर्षा के द्वारा पुनः समुद्र में मिल जाना
भूजलजमीन के नीचे छिपा जल भंडार
वर्षा जल संग्रहणवर्षा के जल को प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रूप से धरती में संग्रह करना
जल संकटजल की अत्यधिक कमी होना
अकालकुसमय, सूखा - जब पानी की अत्यधिक कमी हो
बाढ़अत्यधिक वर्षा के कारण जल भराव
गुल्लकपैसे जमा करने का छोटा बर्तन
भूजल भंडारजमीन के नीचे स्थित जल का संचय
जल स्रोतपानी के प्राकृतिक स्थान जैसे नदी, तालाब, झील
पर्यावरणविदपर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण का कार्य करने वाला व्यक्ति