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Chapter 10: मीरा के पद

7th StandardHindi

Chapter Summary

मीरा के पद - Chapter Summary

# मीरा के पद - संपूर्ण सारांश

## कवयित्री परिचय

मीरा बाई हिंदी साहित्य की महान कवयित्री, कृष्ण भक्त और संत थीं। इस रचना को आज से लगभग 500 वर्ष पहले रचा गया था। मीरा बचपन से ही कृष्ण की भक्ति में मग्न रहती थीं। एक राजकुमारी होते हुए भी उन्होंने संतों का जीवन चुना और महलों को त्यागकर तीर्थों की यात्राएँ करने लगीं। उन्होंने मंदिरों में भजन गाना और सत्संग करना प्रारंभ कर दिया।

## पहला पद: "बसो मेरे नैनन में नंदलाल"

### पद का मुख्य भाव
यह पद प्रेम और भक्ति से भरपूर है। इसमें मीरा श्रीकृष्ण से विनती कर रही हैं कि वे उनकी आँखों में बस जाएँ।

### विस्तृत व्याख्या
- **मोहनी मूर्ति**: मीरा श्रीकृष्ण की मोहक सूरत का वर्णन करती हैं - साँवरी सूरत और विशाल नेत्र
- **मुरली और आभूषण**: होंठों पर मधुर मुरली की शोभा और सीने पर वैजयंती माला का सुंदर चित्रण
- **नूपुर की ध्वनि**: कमर पर छोटी-छोटी घंटियाँ और पैरों में नूपुरों की मधुर आवाज़ का वर्णन
- **भक्त वत्सलता**: मीरा कहती हैं कि श्रीकृष्ण संतों को सुख देने वाले और भक्तों का पालन करने वाले हैं

## दूसरा पद: "बरसे बदरिया सावन की"

### पद का मुख्य भाव
यह पद सावन ऋतु के सुंदर चित्रण के साथ-साथ प्रेम की उमंग और श्रीकृष्ण के आगमन की प्रतीक्षा को दर्शाता है।

### विस्तृत व्याख्या
- **सावन का आगमन**: सावन की बदरिया के बरसने का मनभावन वर्णन
- **मन की उमंग**: सावन में मन में उमंग का भाव और हरि के आने की चर्चा सुनकर खुशी
- **प्राकृतिक दृश्य**:
- चारों दिशाओं से बादलों का उमड़-घमड़कर आना
- दामिन (बिजली) का चमकना
- नन्हीं-नन्हीं बूंदों का बरसना
- शीतल पवन का सुहावना होना
- **आनंद मंगल**: अंत में मीरा कहती हैं कि गिरधर नागर (श्रीकृष्ण) आनंद और मंगल के गीत गाते हैं

## काव्य की विशेषताएँ

### भाषा और शैली
- **छोटी-छोटी पंक्तियाँ**: पद में संक्षिप्त और प्रभावशाली पंक्तियाँ हैं
- **कृष्ण के विविध नाम**: नंदलाल, गिरधर नागर जैसे विभिन्न नामों का प्रयोग
- **तुकबंदी**: सुंदर छंद और तुकबंदी का प्रयोग
- **भावनात्मक भाषा**: प्रेम और भक्ति की गहरी अभिव्यक्ति

### साहित्यिक तत्व
- **अनुप्रास**: "बरसे बदरिया" में 'ब' वर्ण की आवृत्ति
- **प्राकृतिक चित्रण**: सावन की सुंदरता का मनोहारी वर्णन
- **भक्ति भाव**: गहन कृष्ण प्रेम और समर्पण का भाव
- **लोक भाषा**: सरल और लोकप्रिय भाषा का प्रयोग

## मुख्य संदेश

मीरा के ये पद दिखाते हैं कि:
- सच्ची भक्ति में पूर्ण समर्पण होता है
- प्रकृति भी भक्त के प्रेम में सहभागी बनती है
- श्रीकृष्ण सभी भक्तों के कल्याण के लिए आते हैं
- प्रेम और भक्ति में कोई बाधा नहीं होती

## समकालीन प्रासंगिकता

आज भी मीरा के भजन श्रद्धा और प्रेम से गाए जाते हैं। उनकी रचनाएँ दिखाती हैं कि भक्ति और प्रेम की शक्ति कितनी महान होती है। मीरा का जीवन और काव्य आज भी प्रेरणा का स्रोत है।

---

## नए शब्दों की परिभाषा

| शब्द | अर्थ |
|------|------|
| नंदलाल | नंद के पुत्र, श्रीकृष्ण |
| वैजयंती माल | वैजयंती पौधे के बीजों से बनने वाली माला |
| सावन | श्रावण का महीना, आषाढ़ के बाद का और भाद्रपद के पहले का महीना |
| गिरधर | पर्वत को धारण करने वाले, श्रीकृष्ण |
| नूपुर | घुंघरू, पैर का एक गहना |
| उमग्यो | उमंग, उल्लास में आना |
| दामिन | दामिनी, बिजली |
| मेहा | मेघ, बादल |
| भक्त वत्सल | भक्तों से प्रेम करने वाला |
| संतन सुखदाई | संतों को सुख देने वाला |# मीरा के पद

## परिचय

इस अध्याय में भक्तिकालीन संतकवयित्री मीरा बाई द्वारा रचित दो पदों का अध्ययन किया गया है। इन पदों में मीरा का कृष्ण के प्रति प्रेम, भक्ति और आत्मसमर्पण भाव स्पष्ट रूप से प्रकट होता है। साथ ही, प्रकृति के माध्यम से भक्तिरस और सांस्कृतिक भावनाएँ भी प्रकट होती हैं।
---

## प्रमुख विषय

### 1. पहला पद: “बसो मरेे नैनन में नंदलाल”

* **भावार्थ**: मीरा बाई श्रीकृष्ण से निवेदन करती हैं कि वे उनके नेत्रों में सदा के लिए बस जाएँ। वे श्रीकृष्ण के सौंदर्य का वर्णन करती हैं—वे साँवरे हैं, विशाल नेत्रों वाले हैं, अधरों पर बांसुरी शोभायमान है, वक्ष पर वैजयंती माला है, कमर पर घंटियाँ और पैरों में नूपुर हैं।
* **मुख्य भाव**: भक्ति, प्रेम, आत्मसमर्पण
* **शब्दों का सौंदर्य**: सांवरे रूप, मधुर ध्वनियाँ, वस्त्राभूषणों का सौंदर्य
* **श्रीकृष्ण के नाम**: नंदलाल, गोपाल, संतों के सुखदाता

### 2. दूसरा पद: “बरसे बदरया सावन क�”

* **भावार्थ**: इस पद में मीरा सावन ऋतु के सौंदर्य का वर्णन करती हैं। सावन के बादलों के गरजने, बिजली के चमकने, शीतल पवन के चलने और छोटी-छोटी बूँदों के गिरने से मन में उमंग और आनंद भर जाता है।
* **प्रकृति चित्रण**: उमड़-घुमड़ कर बादलों का आना, वर्षा की ठंडी बूँदें, सावन का वातावरण
* **आध्यात्मिक संकेत**: मीरा को श्रीकृष्ण के आगमन की सूचना सावन की फुहारों से मिलती प्रतीत होती है।
* **मुख्य भाव**: उल्लास, प्रतीक्षा, सौंदर्य बोध

---

## कवियत्री परिचय: मीरा बाई

* राजस्थान की राजकुमारी और भक्ति आंदोलन की प्रसिद्ध संतकवयित्री।
* जीवन श्रीकृष्ण भक्ति को समर्पित किया।
* घर-परिवार, वैभव, समाज के बंधनों से मुक्त होकर तीर्थाटन किया और भजन-कीर्तन में रहीं लीन।
* इनके भजनों में भक्ति, प्रेम और सामाजिक बंधनों से संघर्ष की छवि मिलती है।

---

## भाषा और शैली की विशेषताएँ

* छोटी-छोटी पंक्तियाँ और सरल भाषा।
* अनुप्रास अलंकार (जैसे "बरसे बदरया")।
* नायिका-भावना और भक्तिरस का सुंदर समन्वय।
* आत्मपरक शैली – “मीरा के प्रभु” जैसे प्रयोग से स्पष्ट।

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## शब्दावली (Keywords)

| हिन्दी शब्द | English Meaning |
| ----------- | ------------------ |
| नंदलाल | Nandlal (Krishna) |
| वैजयंती माल | Vaijayanti Garland |
| सावन | Monsoon (Sawan) |
| गिरधर | Giridhar (Krishna) |
| नूपुर | Anklet |
| मरूरति | Form or Image |
| रसाल | Sweet/Melodious |
| उमड़-घुमड़ | Thunder-clouding |





## नए शब्द और उनके सरल अर्थ (New Words and Simple Meanings)

| शब्द | सरल अर्थ |
| ----------- | ------------------------------------ |
| नंदलाल | श्रीकृष्ण, नंद के पुत्र |
| मरूरति | सुंदर रूप, आकृति |
| वैजयंती माल | विशेष माला जो श्रीकृष्ण पहनते हैं |
| रसाल | मधुर, रस से भरा हुआ |
| गिरधर | पर्वत उठाने वाले (गोवर्धनधारी कृष्ण) |
| सावन | वर्षा ऋतु का महीना |
| उमड़-घुमड़ | बादलों का जमा होना और गरजना |
| नूपुर | पायल, घुँघरू वाले पाँव के गहने |
| शीतल पवन | ठंडी और सुखद हवा |
| भक्‍तवछल | भक्‍तों से प्रेम करने वाला |

---

## अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)

### आसान (Easy) – 3 प्रश्न

1. **मीरा किसे अपने नेत्रों में बसाने की विनती करती हैं?**
**उत्तर:** श्रीकृष्ण को
**व्याख्या:** पहले पद में मीरा कहती हैं, "बसो मरे नैनन में नंदलाल" – वे चाहती हैं कि श्रीकृष्ण उनके नेत्रों में सदा बसे रहें।

2. **‘मरूरति’ शब्द का अर्थ क्या है?**
**उत्तर:** सुंदर रूप या आकृति
**व्याख्या:** मीरा श्रीकृष्ण की सुंदरता का वर्णन करती हैं।

3. **सावन में मीरा को किसके आने की भनक मिलती है?**
**उत्तर:** श्रीकृष्ण के आने की
**व्याख्या:** वर्षा ऋतु में मीरा को लगता है कि श्रीकृष्ण आने वाले हैं, इसलिए उनका मन प्रसन्न हो उठता है।

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### मध्यम (Medium) – 2 प्रश्न

4. **“नन्हीं नन्हीं बूँदन महेा बरसे” – इस पंक्ति में किस प्राकृतिक दृश्य का वर्णन है?**
**उत्तर:** हल्की-हल्की वर्षा का
**व्याख्या:** छोटी बूँदों के माध्यम से सावन की मधुर वर्षा का चित्रण किया गया है।

5. **मीरा द्वारा प्रयुक्त ‘भक्तवछल’ शब्द किस भाव को दर्शाता है?**
**उत्तर:** श्रीकृष्ण का अपने भक्तों के प्रति प्रेम
**व्याख्या:** यह बताता है कि श्रीकृष्ण अपने भक्तों को सदा स्नेह और सुख देते हैं।

---

### कठिन (Difficult) – 3 प्रश्न

6. **‘बसो मरे नैनन में नंदलाल’ इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?**
**उत्तर:** अनुप्रास अलंकार
**व्याख्या:** 'न' वर्ण की पुनरावृत्ति हुई है जिससे अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

7. **श्रीकृष्ण के किन-किन अंगों का वर्णन मीरा ने किया है?**
**उत्तर:** सांवला रूप, अधरों पर मुरली, उर पर वैजयंती माला, कमर में घंटियाँ, पैरों में नूपुर
**व्याख्या:** मीरा ने श्रीकृष्ण के शृंगार और स्वरूप को विस्तार से वर्णित किया है।

8. **मीरा के समय की कौन-सी साहित्यिक परंपरा इस पदों में प्रकट होती है?**
**उत्तर:** भक्तिकालीन संत परंपरा
**व्याख्या:** इन पदों में आत्मनिष्ठ भक्ति, कृष्ण के प्रति समर्पण और सहज भाषा में रचना की विशेषता है।

---

### बहुत कठिन (Very Difficult) – 2 प्रश्न

9. **मीरा द्वारा रचित पदों में उनके आत्मपरक भाव की विशेषता क्या है?**
**उत्तर:** वे अपनी रचनाओं में स्वयं का उल्लेख ‘मीरा’ नाम से करती हैं और अपने निजी अनुभवों को भक्ति रूप में प्रस्तुत करती हैं।
**व्याख्या:** जैसे— "मीरा के प्रभु गिरधर नागर..." – यहाँ मीरा अपने प्रभु से सीधा संवाद करती हैं।

10. **‘सावन के बादल’ और ‘श्रीकृष्ण के आगमन’ के बीच मीरा ने क्या संबंध जोड़ा है?**
**उत्तर:** वे मानती हैं कि सावन की घटाएँ श्रीकृष्ण के आने की सूचना देती हैं।
**व्याख्या:** प्रकृति के सौंदर्य के माध्यम से मीरा आध्यात्मिक भावनाओं को प्रकट करती हैं।

मीरा के पद - संपूर्ण सारांश

कवयित्री परिचय

मीरा बाई हिंदी साहित्य की महान कवयित्री, कृष्ण भक्त और संत थीं। इस रचना को आज से लगभग 500 वर्ष पहले रचा गया था। मीरा बचपन से ही कृष्ण की भक्ति में मग्न रहती थीं। एक राजकुमारी होते हुए भी उन्होंने संतों का जीवन चुना और महलों को त्यागकर तीर्थों की यात्राएँ करने लगीं। उन्होंने मंदिरों में भजन गाना और सत्संग करना प्रारंभ कर दिया।

पहला पद: "बसो मेरे नैनन में नंदलाल"

पद का मुख्य भाव

यह पद प्रेम और भक्ति से भरपूर है। इसमें मीरा श्रीकृष्ण से विनती कर रही हैं कि वे उनकी आँखों में बस जाएँ।

विस्तृत व्याख्या

  • मोहनी मूर्ति: मीरा श्रीकृष्ण की मोहक सूरत का वर्णन करती हैं - साँवरी सूरत और विशाल नेत्र
  • मुरली और आभूषण: होंठों पर मधुर मुरली की शोभा और सीने पर वैजयंती माला का सुंदर चित्रण
  • नूपुर की ध्वनि: कमर पर छोटी-छोटी घंटियाँ और पैरों में नूपुरों की मधुर आवाज़ का वर्णन
  • भक्त वत्सलता: मीरा कहती हैं कि श्रीकृष्ण संतों को सुख देने वाले और भक्तों का पालन करने वाले हैं

दूसरा पद: "बरसे बदरिया सावन की"

पद का मुख्य भाव

यह पद सावन ऋतु के सुंदर चित्रण के साथ-साथ प्रेम की उमंग और श्रीकृष्ण के आगमन की प्रतीक्षा को दर्शाता है।

विस्तृत व्याख्या

  • सावन का आगमन: सावन की बदरिया के बरसने का मनभावन वर्णन
  • मन की उमंग: सावन में मन में उमंग का भाव और हरि के आने की चर्चा सुनकर खुशी
  • प्राकृतिक दृश्य:
    • चारों दिशाओं से बादलों का उमड़-घमड़कर आना
    • दामिन (बिजली) का चमकना
    • नन्हीं-नन्हीं बूंदों का बरसना
    • शीतल पवन का सुहावना होना
  • आनंद मंगल: अंत में मीरा कहती हैं कि गिरधर नागर (श्रीकृष्ण) आनंद और मंगल के गीत गाते हैं

काव्य की विशेषताएँ

भाषा और शैली

  • छोटी-छोटी पंक्तियाँ: पद में संक्षिप्त और प्रभावशाली पंक्तियाँ हैं
  • कृष्ण के विविध नाम: नंदलाल, गिरधर नागर जैसे विभिन्न नामों का प्रयोग
  • तुकबंदी: सुंदर छंद और तुकबंदी का प्रयोग
  • भावनात्मक भाषा: प्रेम और भक्ति की गहरी अभिव्यक्ति

साहित्यिक तत्व

  • अनुप्रास: "बरसे बदरिया" में 'ब' वर्ण की आवृत्ति
  • प्राकृतिक चित्रण: सावन की सुंदरता का मनोहारी वर्णन
  • भक्ति भाव: गहन कृष्ण प्रेम और समर्पण का भाव
  • लोक भाषा: सरल और लोकप्रिय भाषा का प्रयोग

मुख्य संदेश

मीरा के ये पद दिखाते हैं कि:

  • सच्ची भक्ति में पूर्ण समर्पण होता है
  • प्रकृति भी भक्त के प्रेम में सहभागी बनती है
  • श्रीकृष्ण सभी भक्तों के कल्याण के लिए आते हैं
  • प्रेम और भक्ति में कोई बाधा नहीं होती

समकालीन प्रासंगिकता

आज भी मीरा के भजन श्रद्धा और प्रेम से गाए जाते हैं। उनकी रचनाएँ दिखाती हैं कि भक्ति और प्रेम की शक्ति कितनी महान होती है। मीरा का जीवन और काव्य आज भी प्रेरणा का स्रोत है।


नए शब्दों की परिभाषा

शब्दअर्थ
नंदलालनंद के पुत्र, श्रीकृष्ण
वैजयंती मालवैजयंती पौधे के बीजों से बनने वाली माला
सावनश्रावण का महीना, आषाढ़ के बाद का और भाद्रपद के पहले का महीना
गिरधरपर्वत को धारण करने वाले, श्रीकृष्ण
नूपुरघुंघरू, पैर का एक गहना
उमग्योउमंग, उल्लास में आना
दामिनदामिनी, बिजली
मेहामेघ, बादल
भक्त वत्सलभक्तों से प्रेम करने वाला
संतन सुखदाईसंतों को सुख देने वाला

परिचय

इस अध्याय में भक्तिकालीन संतकवयित्री मीरा बाई द्वारा रचित दो पदों का अध्ययन किया गया है। इन पदों में मीरा का कृष्ण के प्रति प्रेम, भक्ति और आत्मसमर्पण भाव स्पष्ट रूप से प्रकट होता है। साथ ही, प्रकृति के माध्यम से भक्तिरस और सांस्कृतिक भावनाएँ भी प्रकट होती हैं।

प्रमुख विषय

1. पहला पद: “बसो मरेे नैनन में नंदलाल”

  • भावार्थ: मीरा बाई श्रीकृष्ण से निवेदन करती हैं कि वे उनके नेत्रों में सदा के लिए बस जाएँ। वे श्रीकृष्ण के सौंदर्य का वर्णन करती हैं—वे साँवरे हैं, विशाल नेत्रों वाले हैं, अधरों पर बांसुरी शोभायमान है, वक्ष पर वैजयंती माला है, कमर पर घंटियाँ और पैरों में नूपुर हैं।
  • मुख्य भाव: भक्ति, प्रेम, आत्मसमर्पण
  • शब्दों का सौंदर्य: सांवरे रूप, मधुर ध्वनियाँ, वस्त्राभूषणों का सौंदर्य
  • श्रीकृष्ण के नाम: नंदलाल, गोपाल, संतों के सुखदाता

2. दूसरा पद: “बरसे बदरया सावन क�”

  • भावार्थ: इस पद में मीरा सावन ऋतु के सौंदर्य का वर्णन करती हैं। सावन के बादलों के गरजने, बिजली के चमकने, शीतल पवन के चलने और छोटी-छोटी बूँदों के गिरने से मन में उमंग और आनंद भर जाता है।
  • प्रकृति चित्रण: उमड़-घुमड़ कर बादलों का आना, वर्षा की ठंडी बूँदें, सावन का वातावरण
  • आध्यात्मिक संकेत: मीरा को श्रीकृष्ण के आगमन की सूचना सावन की फुहारों से मिलती प्रतीत होती है।
  • मुख्य भाव: उल्लास, प्रतीक्षा, सौंदर्य बोध

कवियत्री परिचय: मीरा बाई

  • राजस्थान की राजकुमारी और भक्ति आंदोलन की प्रसिद्ध संतकवयित्री।
  • जीवन श्रीकृष्ण भक्ति को समर्पित किया।
  • घर-परिवार, वैभव, समाज के बंधनों से मुक्त होकर तीर्थाटन किया और भजन-कीर्तन में रहीं लीन।
  • इनके भजनों में भक्ति, प्रेम और सामाजिक बंधनों से संघर्ष की छवि मिलती है।

भाषा और शैली की विशेषताएँ

  • छोटी-छोटी पंक्तियाँ और सरल भाषा।
  • अनुप्रास अलंकार (जैसे "बरसे बदरया")।
  • नायिका-भावना और भक्तिरस का सुंदर समन्वय।
  • आत्मपरक शैली – “मीरा के प्रभु” जैसे प्रयोग से स्पष्ट।

शब्दावली (Keywords)

हिन्दी शब्दEnglish Meaning
नंदलालNandlal (Krishna)
वैजयंती मालVaijayanti Garland
सावनMonsoon (Sawan)
गिरधरGiridhar (Krishna)
नूपुरAnklet
मरूरतिForm or Image
रसालSweet/Melodious
उमड़-घुमड़Thunder-clouding

नए शब्द और उनके सरल अर्थ (New Words and Simple Meanings)

शब्दसरल अर्थ
नंदलालश्रीकृष्ण, नंद के पुत्र
मरूरतिसुंदर रूप, आकृति
वैजयंती मालविशेष माला जो श्रीकृष्ण पहनते हैं
रसालमधुर, रस से भरा हुआ
गिरधरपर्वत उठाने वाले (गोवर्धनधारी कृष्ण)
सावनवर्षा ऋतु का महीना
उमड़-घुमड़बादलों का जमा होना और गरजना
नूपुरपायल, घुँघरू वाले पाँव के गहने
शीतल पवनठंडी और सुखद हवा
भक्‍तवछलभक्‍तों से प्रेम करने वाला

अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)

आसान (Easy) – 3 प्रश्न

  1. मीरा किसे अपने नेत्रों में बसाने की विनती करती हैं? उत्तर: श्रीकृष्ण को व्याख्या: पहले पद में मीरा कहती हैं, "बसो मरे नैनन में नंदलाल" – वे चाहती हैं कि श्रीकृष्ण उनके नेत्रों में सदा बसे रहें।

  2. ‘मरूरति’ शब्द का अर्थ क्या है? उत्तर: सुंदर रूप या आकृति व्याख्या: मीरा श्रीकृष्ण की सुंदरता का वर्णन करती हैं।

  3. सावन में मीरा को किसके आने की भनक मिलती है? उत्तर: श्रीकृष्ण के आने की व्याख्या: वर्षा ऋतु में मीरा को लगता है कि श्रीकृष्ण आने वाले हैं, इसलिए उनका मन प्रसन्न हो उठता है।


मध्यम (Medium) – 2 प्रश्न

  1. “नन्हीं नन्हीं बूँदन महेा बरसे” – इस पंक्ति में किस प्राकृतिक दृश्य का वर्णन है? उत्तर: हल्की-हल्की वर्षा का व्याख्या: छोटी बूँदों के माध्यम से सावन की मधुर वर्षा का चित्रण किया गया है।

  2. मीरा द्वारा प्रयुक्त ‘भक्तवछल’ शब्द किस भाव को दर्शाता है? उत्तर: श्रीकृष्ण का अपने भक्तों के प्रति प्रेम व्याख्या: यह बताता है कि श्रीकृष्ण अपने भक्तों को सदा स्नेह और सुख देते हैं।


कठिन (Difficult) – 3 प्रश्न

  1. ‘बसो मरे नैनन में नंदलाल’ इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? उत्तर: अनुप्रास अलंकार व्याख्या: 'न' वर्ण की पुनरावृत्ति हुई है जिससे अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

  2. श्रीकृष्ण के किन-किन अंगों का वर्णन मीरा ने किया है? उत्तर: सांवला रूप, अधरों पर मुरली, उर पर वैजयंती माला, कमर में घंटियाँ, पैरों में नूपुर व्याख्या: मीरा ने श्रीकृष्ण के शृंगार और स्वरूप को विस्तार से वर्णित किया है।

  3. मीरा के समय की कौन-सी साहित्यिक परंपरा इस पदों में प्रकट होती है? उत्तर: भक्तिकालीन संत परंपरा व्याख्या: इन पदों में आत्मनिष्ठ भक्ति, कृष्ण के प्रति समर्पण और सहज भाषा में रचना की विशेषता है।


बहुत कठिन (Very Difficult) – 2 प्रश्न

  1. मीरा द्वारा रचित पदों में उनके आत्मपरक भाव की विशेषता क्या है? उत्तर: वे अपनी रचनाओं में स्वयं का उल्लेख ‘मीरा’ नाम से करती हैं और अपने निजी अनुभवों को भक्ति रूप में प्रस्तुत करती हैं। व्याख्या: जैसे— "मीरा के प्रभु गिरधर नागर..." – यहाँ मीरा अपने प्रभु से सीधा संवाद करती हैं।

  2. ‘सावन के बादल’ और ‘श्रीकृष्ण के आगमन’ के बीच मीरा ने क्या संबंध जोड़ा है? उत्तर: वे मानती हैं कि सावन की घटाएँ श्रीकृष्ण के आने की सूचना देती हैं। व्याख्या: प्रकृति के सौंदर्य के माध्यम से मीरा आध्यात्मिक भावनाओं को प्रकट करती हैं।