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Chapter 2: नित्यं निबाम: सुभानितरसम

7th StandardSanskrit

Chapter Summary

नित्यं निबाम: सुभानितरसम - Chapter Summary

# नित्यं निबाबं: सुभाषितरसम्

## Overview
This chapter presents valuable teachings from Sanskrit subhāṣitas (wise sayings) that highlight the importance of discipline, good conduct, learning, humility, and altruism. Each verse offers moral guidance useful in daily life. Through the discussion between students and teacher, the meanings and practical applications of each verse are explained.

---

## Key Topics Covered

### 1. योग्यता और प्रेरणा (Capability and Guidance)
- श्लोक: *“अयोग्यः पुरुषो नास्ति योजकस्तत्र दुर्लभः”*
- भाव: हर व्यक्ति योग्य बन सकता है यदि सही मार्गदर्शन प्राप्त हो। कोई भी अयोग्य नहीं होता।
- संदेश: सच्चा शिक्षक ही योग्यताओं को निखार सकता है।

### 2. श्रेष्ठ आचरण के पाँच लक्षण (Five Qualities of a Respected Person)
- श्लोक: *“वपुषा वाचा विद्या विनयेन च। वकारैः पञ्चभिः युक्तः नरः पूज्यते।”*
- भाव: शरीर, भाषा, विद्या, नम्रता और शील — ये पाँच गुण जिस व्यक्ति में होते हैं, वही समाज में सम्मान पाता है।

### 3. त्याज्य दोष (Defects to be Discarded)
- श्लोक: *“षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या...”*
- दोष: काम (इच्छा), क्रोध, लोभ, आलस्य, दीर्घसूत्रता
- भाव: ये दोष आत्म-विकास और सफलता के मार्ग में बाधक हैं।

### 4. शुद्धता के उपाय (Means of Purity)
- श्लोक: *“अभ्यङ्गात् शुद्ध्यति गात्रम्...”*
- शरीर – स्नान से
- मन – सत्य बोलने से
- आत्मा – विद्या व तप से
- बुद्धि – ज्ञान से

### 5. भारत का परिचय (India’s Identity)
- श्लोक: *“उत्तरं यत् समुद्रस्य...”*
- भाव: हिमालय और समुद्र से घिरा देश भारत है। भारत के निवासी ‘भारती’ कहलाते हैं।

### 6. निरंतर अभ्यास का महत्व (Importance of Constant Practice)
- श्लोक: *“जलद्‌बिन्दुपातेन...”*
- भाव: जैसे बूँद-बूँद जल से घड़ा भरता है, वैसे ही निरंतर अभ्यास से विद्या और धन प्राप्त होते हैं।

### 7. बुद्धि कैसे विकसित होती है? (How Wisdom Develops)
- श्लोक: *“यः पठति लिखति पश्यति...”*
- भाव: पढ़ना, लिखना, देखना, पूछना और गुरुजनों के पास रहना बुद्धि की उन्नति में सहायक होता है।

### 8. मधुर वाणी की महिमा (Power of Sweet Speech)
- श्लोक: *“सरस्वाक्यप्रदानेन...”*
- भाव: मधुर वाणी से सभी प्रसन्न होते हैं; कठोर वाणी व्यक्ति को दरिद्र बना देती है।

---

### 9. आलस्य – सबसे बड़ा शत्रु (Laziness – The Greatest Enemy)
- श्लोक: *“आर्यं सह मनुष्याणां शरीरं महान् रिपुः।”*
- भाव: आलस्य व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन है। जो मेहनत करता है, वह कभी असफल नहीं होता।

### 10. परोपकार और परपीड़न (Helping vs. Hurting Others)
- श्लोक: *“अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम्...”*
- भाव: परोपकार पुण्य है, और परपीड़न पाप। यह वेदव्यास द्वारा कहे गए सभी पुराणों का सार है।

---

## New Words / Terms and Simple English Definitions

| संस्कृत शब्द | English Keyword | Meaning (Simple English) |
|--------------|----------------------|-----------------------------------------------|
| अयोग्यः | incapable | One who is not capable |
| योजकः | guide | One who inspires or organizes others |
| वपुषा | by physique | By the body or appearance |
| विनयेन | by humility | With modesty and politeness |
| दीर्घसूत्रता | procrastination | Habit of delaying work |
| आलस्य | laziness | Not wanting to work |
| शुद्धिः | purity | Cleanliness or clarity |
| परोपकारः | altruism | Helping others selflessly |
| परपीडनम् | harming others | Giving pain or trouble to others |
| बुद्धिः | wisdom | The ability to think and understand |

---

## Practice Questions with Answers and Explanation

### Easy (सरल)

1. **‘पञ्च वकाराः’ से क्या तात्पर्य है?**
**उत्तर:** वपुषा, वाचा, विद्या, विनय, वृत्त — ये पाँच गुण।
**व्याख्या:** ये गुण एक आदर्श व्यक्ति को सम्मान दिलाते हैं।

2. **‘मन की शुद्धि’ कैसे होती है?**
**उत्तर:** सत्य बोलने से।
**व्याख्या:** मन शुद्ध रखने के लिए सत्य बोलना आवश्यक है।

3. **‘जल बिंदु के गिरने’ से किसका उदाहरण दिया गया है?**
**उत्तर:** अभ्यास द्वारा सफलता पाने का।
**व्याख्या:** निरंतर अभ्यास से महान कार्य सिद्ध होते हैं।

### Medium (मध्यम)

4. **आलस्य को शरीर का शत्रु क्यों कहा गया है?**
**उत्तर:** क्योंकि यह व्यक्ति को काम करने से रोकता है।
**व्याख्या:** आलस्य से विकास रुकता है।

5. **‘परोपकारः पुण्याय’ – का क्या अर्थ है?**
**उत्तर:** दूसरों की मदद करना पुण्य कार्य है।
**व्याख्या:** समाज में सहयोग से नैतिकता बढ़ती है।

### Difficult (कठिन)

6. **कौन-से दोष त्यागने योग्य बताए गए हैं?**
**उत्तर:** काम, क्रोध, लोभ, आलस्य, दीर्घसूत्रता।
**व्याख्या:** ये दोष आत्म-विकास में बाधा बनते हैं।

7. **बुद्धि की उन्नति किन कार्यों से होती है?**
**उत्तर:** पढ़ने, लिखने, देखने, पूछने और गुरुजनों से मिलने से।
**व्याख्या:** ये सभी अभ्यास बुद्धि को तीव्र करते हैं।

8. **विद्या और बुद्धि की शुद्धि कैसे संभव है?**
**उत्तर:** विद्या और तप से आत्मा शुद्ध होती है, ज्ञान से बुद्धि।
**व्याख्या:** नियमित अभ्यास और ज्ञान ही व्यक्ति को पवित्र बनाते हैं।

### Very Difficult (अत्यंत कठिन)

9. **‘भारती’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त है?**
**उत्तर:** भारत के नागरिकों के लिए।
**व्याख्या:** भारत देश को ‘भारतम्’ और इसके नागरिकों को ‘भारती’ कहा जाता है।

10. **सरल शब्दों में बताइए – ‘सरस्वाक्यप्रदानेन सन्तुष्यन्ति जनतयः’?**
**उत्तर:** मधुर वाणी से लोग प्रसन्न होते हैं।
**व्याख्या:** अच्छा बोलना समाज में सुख-शांति लाता है।

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नित्यं निबाबं: सुभाषितरसम्

Overview

This chapter presents valuable teachings from Sanskrit subhāṣitas (wise sayings) that highlight the importance of discipline, good conduct, learning, humility, and altruism. Each verse offers moral guidance useful in daily life. Through the discussion between students and teacher, the meanings and practical applications of each verse are explained.


Key Topics Covered

1. योग्यता और प्रेरणा (Capability and Guidance)

  • श्लोक: “अयोग्यः पुरुषो नास्ति योजकस्तत्र दुर्लभः”
  • भाव: हर व्यक्ति योग्य बन सकता है यदि सही मार्गदर्शन प्राप्त हो। कोई भी अयोग्य नहीं होता।
  • संदेश: सच्चा शिक्षक ही योग्यताओं को निखार सकता है।

2. श्रेष्ठ आचरण के पाँच लक्षण (Five Qualities of a Respected Person)

  • श्लोक: “वपुषा वाचा विद्या विनयेन च। वकारैः पञ्चभिः युक्तः नरः पूज्यते।”
  • भाव: शरीर, भाषा, विद्या, नम्रता और शील — ये पाँच गुण जिस व्यक्ति में होते हैं, वही समाज में सम्मान पाता है।

3. त्याज्य दोष (Defects to be Discarded)

  • श्लोक: “षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या...”
  • दोष: काम (इच्छा), क्रोध, लोभ, आलस्य, दीर्घसूत्रता
  • भाव: ये दोष आत्म-विकास और सफलता के मार्ग में बाधक हैं।

4. शुद्धता के उपाय (Means of Purity)

  • श्लोक: “अभ्यङ्गात् शुद्ध्यति गात्रम्...”
  • शरीर – स्नान से
  • मन – सत्य बोलने से
  • आत्मा – विद्या व तप से
  • बुद्धि – ज्ञान से

5. भारत का परिचय (India’s Identity)

  • श्लोक: “उत्तरं यत् समुद्रस्य...”
  • भाव: हिमालय और समुद्र से घिरा देश भारत है। भारत के निवासी ‘भारती’ कहलाते हैं।

6. निरंतर अभ्यास का महत्व (Importance of Constant Practice)

  • श्लोक: “जलद्‌बिन्दुपातेन...”
  • भाव: जैसे बूँद-बूँद जल से घड़ा भरता है, वैसे ही निरंतर अभ्यास से विद्या और धन प्राप्त होते हैं।

7. बुद्धि कैसे विकसित होती है? (How Wisdom Develops)

  • श्लोक: “यः पठति लिखति पश्यति...”
  • भाव: पढ़ना, लिखना, देखना, पूछना और गुरुजनों के पास रहना बुद्धि की उन्नति में सहायक होता है।

8. मधुर वाणी की महिमा (Power of Sweet Speech)

  • श्लोक: “सरस्वाक्यप्रदानेन...”
  • भाव: मधुर वाणी से सभी प्रसन्न होते हैं; कठोर वाणी व्यक्ति को दरिद्र बना देती है।

9. आलस्य – सबसे बड़ा शत्रु (Laziness – The Greatest Enemy)

  • श्लोक: “आर्यं सह मनुष्याणां शरीरं महान् रिपुः।”
  • भाव: आलस्य व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन है। जो मेहनत करता है, वह कभी असफल नहीं होता।

10. परोपकार और परपीड़न (Helping vs. Hurting Others)

  • श्लोक: “अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम्...”
  • भाव: परोपकार पुण्य है, और परपीड़न पाप। यह वेदव्यास द्वारा कहे गए सभी पुराणों का सार है।

New Words / Terms and Simple English Definitions

संस्कृत शब्दEnglish KeywordMeaning (Simple English)
अयोग्यःincapableOne who is not capable
योजकःguideOne who inspires or organizes others
वपुषाby physiqueBy the body or appearance
विनयेनby humilityWith modesty and politeness
दीर्घसूत्रताprocrastinationHabit of delaying work
आलस्यlazinessNot wanting to work
शुद्धिःpurityCleanliness or clarity
परोपकारःaltruismHelping others selflessly
परपीडनम्harming othersGiving pain or trouble to others
बुद्धिःwisdomThe ability to think and understand

Practice Questions with Answers and Explanation

Easy (सरल)

  1. ‘पञ्च वकाराः’ से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर: वपुषा, वाचा, विद्या, विनय, वृत्त — ये पाँच गुण।
    व्याख्या: ये गुण एक आदर्श व्यक्ति को सम्मान दिलाते हैं।

  2. ‘मन की शुद्धि’ कैसे होती है?
    उत्तर: सत्य बोलने से।
    व्याख्या: मन शुद्ध रखने के लिए सत्य बोलना आवश्यक है।

  3. ‘जल बिंदु के गिरने’ से किसका उदाहरण दिया गया है?
    उत्तर: अभ्यास द्वारा सफलता पाने का।
    व्याख्या: निरंतर अभ्यास से महान कार्य सिद्ध होते हैं।

Medium (मध्यम)

  1. आलस्य को शरीर का शत्रु क्यों कहा गया है?
    उत्तर: क्योंकि यह व्यक्ति को काम करने से रोकता है।
    व्याख्या: आलस्य से विकास रुकता है।

  2. ‘परोपकारः पुण्याय’ – का क्या अर्थ है?
    उत्तर: दूसरों की मदद करना पुण्य कार्य है।
    व्याख्या: समाज में सहयोग से नैतिकता बढ़ती है।

Difficult (कठिन)

  1. कौन-से दोष त्यागने योग्य बताए गए हैं?
    उत्तर: काम, क्रोध, लोभ, आलस्य, दीर्घसूत्रता।
    व्याख्या: ये दोष आत्म-विकास में बाधा बनते हैं।

  2. बुद्धि की उन्नति किन कार्यों से होती है?
    उत्तर: पढ़ने, लिखने, देखने, पूछने और गुरुजनों से मिलने से।
    व्याख्या: ये सभी अभ्यास बुद्धि को तीव्र करते हैं।

  3. विद्या और बुद्धि की शुद्धि कैसे संभव है?
    उत्तर: विद्या और तप से आत्मा शुद्ध होती है, ज्ञान से बुद्धि।
    व्याख्या: नियमित अभ्यास और ज्ञान ही व्यक्ति को पवित्र बनाते हैं।

Very Difficult (अत्यंत कठिन)

  1. ‘भारती’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त है?
    उत्तर: भारत के नागरिकों के लिए।
    व्याख्या: भारत देश को ‘भारतम्’ और इसके नागरिकों को ‘भारती’ कहा जाता है।

  2. सरल शब्दों में बताइए – ‘सरस्वाक्यप्रदानेन सन्तुष्यन्ति जनतयः’?
    उत्तर: मधुर वाणी से लोग प्रसन्न होते हैं।
    व्याख्या: अच्छा बोलना समाज में सुख-शांति लाता है।