Chapter 5: सेवा हि परमो धम्म:
Chapter Summary
सेवा हि परमो धम्म: - Chapter Summary
## सारांश
यह पाठ सेवा (Service) के महत्व को उजागर करता है और यह बताता है कि सेवा भावनाओं के साथ किया गया कार्य ही सच्चे धर्म का परिचायक होता है। यह कहानी महान रसायनशास्त्री नागार्जुन (Nāgārjuna) और दो युवकों की परीक्षा पर आधारित है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि केवल ज्ञान नहीं, बल्कि मानवीय गुणों और सेवा भावना का होना भी आवश्यक है।
### मुख्य घटनाएँ
- नागार्जुन एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे जो हमेशा प्रयोगशाला में शोध कार्य में लगे रहते थे।
- एक दिन उन्होंने राजा से एक सहायक की माँग की।
- दो युवक सहायक पद के लिए भेजे गए।
- नागार्जुन ने उन्हें एक औषधि लाने के लिए भेजा और जानबूझकर राजमार्ग पर कुछ रोगियों को बिठाया।
- पहला युवक बिना रुके औषधि लेकर लौटा।
- दूसरा युवक रोगियों की सेवा में लग गया और देर से लौटा।
- नागार्जुन ने सेवा भाव को प्राथमिकता देते हुए दूसरे युवक को चुना।
### सीख
- सेवा भावना, करुणा और परोपकार जैसे मानवीय गुण किसी भी विद्या या योग्यता से बढ़कर होते हैं।
- सच्चा सहायक वही होता है जो निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करे।
---
## प्रमुख विषय
### मानवीय गुण
- सत्य (Truth)
- करुणा (Compassion)
- उदारता (Generosity)
- सेवा (Service)
- परोपकार (Altruism)
### नैतिक निर्णय
- केवल योग्यता पर्याप्त नहीं होती; नैतिकता और संवेदनशीलता आवश्यक होती है।
- सेवा धर्म का सर्वोच्च रूप है।
---
## शब्दावली (Keywords)
| संस्कृत शब्द | English Term |
|--------------|--------------------|
| सेवा | Service |
| करुणा | Compassion |
| परोपकारः | Altruism |
| प्चप्तिसिः | Physician |
| रसायनशास्त्रज्ञः | Chemist |
| राजमार्गः | Highway |
| रोगिणः | Patients |
| प्स्थतवान् | Had placed/settled |
| सहाय्यकः | Assistant |
---
## सरल शब्दों में कठिन शब्दों के अर्थ
| शब्द (Sanskrit) | सरल अंग्रेजी अर्थ (Simple English Meaning) |
|-------------------|--------------------------------------------------------|
| प्चप्तिसिः | Physician (Doctor) |
| रसायनशास्त्रज्ञः | Chemist or scientist in the field of medicine |
| सेवायाम् निरतः | Engaged in service |
| रोगिणम् | Sick person or patient |
| यन्त्रवत् | Like a machine, mechanically |
| शोचनीयः | Miserable or pitiable |
| सहाय्यकः | Assistant or helper |
| गमनसमये | At the time of going or travel |
| राजमार्गेण | By the royal/main road |
---
## अभ्यास प्रश्नोत्तर (Practice Questions and Answers)
### आसान (Easy)
1. **प्रश्न:** नागार्जुनः कः आसीत्?
**उत्तर:** सः एकः प्रसिद्धः रसायनशास्त्रज्ञः आसीत्।
2. **प्रश्न:** नागार्जुनः किमर्थं सहाय्यकम् इच्छति स्म?
**उत्तर:** रसायनप्रयोगाय सहाय्यकम् इच्छति स्म।
3. **प्रश्न:** द्वौ युवकौ कुत्र अगच्छताम्?
**उत्तर:** तौ औषधं गृहीतुं राजमार्गेण अगच्छताम्।
### मध्यम (Medium)
4. **प्रश्न:** प्रथमः युवकः औषधं कथं आनयत्?
**उत्तर:** सः रोगिणं दृष्ट्वा अपि तेषां सहायता न कृत्वा औषधं शीघ्रं आनयत्।
5. **प्रश्न:** नागार्जुनः द्वितीयं युवकं किमर्थं अङ्गीकृतवान्?
**उत्तर:** यतः सः रोगिणां सेवा कृत्वा औषधं आनयितुं विलम्बेन प्राप्तः, अतः।
### कठिन (Difficult)
6. **प्रश्न:** नागार्जुनस्य अनुसारं सेवाभावना किमर्थं आवश्यकः?
**उत्तर:** सेवाभावना विना चिकित्सा केवल यन्त्रवत् भवति; सेवा मानवीय गुणं आवश्यकं करोति।
7. **प्रश्न:** राजा नागार्जुनस्य निर्णयं शृत्वा किम् अनुभूतवान्?
**उत्तर:** राजा तं निर्णयं शृत्वा विस्मयं अनुभूतवान्।
8. **प्रश्न:** यन्त्रवत् कार्यं सेवायाः भावनायाः विरोधि कथं अस्ति?
**उत्तर:** यन्त्रवत् कार्यं भावना-विहीनं अस्ति, यत्र सेवा न भावेन, केवल कृते कर्तव्यमिव भवति।
### अति कठिन (Very Difficult)
9. **प्रश्न:** द्वितीयस्य युवकस्य सेवा-कर्मणः नैतिक मूल्यं कथं प्रदर्श्यते?
**उत्तर:** सः औषधं समये न आनयत्, तथापि रोगिणां सेवा कृत्वा आत्मनो सेवा-भावनां दर्शितवान्, यः नैतिकदृष्ट्या अधिकं मूल्यं युक्तम्।
10. **प्रश्न:** पाठस्य शिर्षकस्य ‘सेवा हि परमो धर्मः’ इत्यस्य यथार्थता कथं प्रमाणिता?
**उत्तर:** नागार्जुनस्य निर्णयः तेन प्रमाणितम् यः सेवाभावं प्रधानं मान्य मान्यते; अतः सेवा धर्मात् श्रेष्ठा।
---
सेवा हि परमो धर्मः
सारांश
यह पाठ सेवा (Service) के महत्व को उजागर करता है और यह बताता है कि सेवा भावनाओं के साथ किया गया कार्य ही सच्चे धर्म का परिचायक होता है। यह कहानी महान रसायनशास्त्री नागार्जुन (Nāgārjuna) और दो युवकों की परीक्षा पर आधारित है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि केवल ज्ञान नहीं, बल्कि मानवीय गुणों और सेवा भावना का होना भी आवश्यक है।
मुख्य घटनाएँ
- नागार्जुन एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे जो हमेशा प्रयोगशाला में शोध कार्य में लगे रहते थे।
- एक दिन उन्होंने राजा से एक सहायक की माँग की।
- दो युवक सहायक पद के लिए भेजे गए।
- नागार्जुन ने उन्हें एक औषधि लाने के लिए भेजा और जानबूझकर राजमार्ग पर कुछ रोगियों को बिठाया।
- पहला युवक बिना रुके औषधि लेकर लौटा।
- दूसरा युवक रोगियों की सेवा में लग गया और देर से लौटा।
- नागार्जुन ने सेवा भाव को प्राथमिकता देते हुए दूसरे युवक को चुना।
सीख
- सेवा भावना, करुणा और परोपकार जैसे मानवीय गुण किसी भी विद्या या योग्यता से बढ़कर होते हैं।
- सच्चा सहायक वही होता है जो निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करे।
प्रमुख विषय
मानवीय गुण
- सत्य (Truth)
- करुणा (Compassion)
- उदारता (Generosity)
- सेवा (Service)
- परोपकार (Altruism)
नैतिक निर्णय
- केवल योग्यता पर्याप्त नहीं होती; नैतिकता और संवेदनशीलता आवश्यक होती है।
- सेवा धर्म का सर्वोच्च रूप है।
शब्दावली (Keywords)
संस्कृत शब्द | English Term |
---|---|
सेवा | Service |
करुणा | Compassion |
परोपकारः | Altruism |
प्चप्तिसिः | Physician |
रसायनशास्त्रज्ञः | Chemist |
राजमार्गः | Highway |
रोगिणः | Patients |
प्स्थतवान् | Had placed/settled |
सहाय्यकः | Assistant |
सरल शब्दों में कठिन शब्दों के अर्थ
शब्द (Sanskrit) | सरल अंग्रेजी अर्थ (Simple English Meaning) |
---|---|
प्चप्तिसिः | Physician (Doctor) |
रसायनशास्त्रज्ञः | Chemist or scientist in the field of medicine |
सेवायाम् निरतः | Engaged in service |
रोगिणम् | Sick person or patient |
यन्त्रवत् | Like a machine, mechanically |
शोचनीयः | Miserable or pitiable |
सहाय्यकः | Assistant or helper |
गमनसमये | At the time of going or travel |
राजमार्गेण | By the royal/main road |
अभ्यास प्रश्नोत्तर (Practice Questions and Answers)
आसान (Easy)
-
प्रश्न: नागार्जुनः कः आसीत्?
उत्तर: सः एकः प्रसिद्धः रसायनशास्त्रज्ञः आसीत्। -
प्रश्न: नागार्जुनः किमर्थं सहाय्यकम् इच्छति स्म?
उत्तर: रसायनप्रयोगाय सहाय्यकम् इच्छति स्म। -
प्रश्न: द्वौ युवकौ कुत्र अगच्छताम्?
उत्तर: तौ औषधं गृहीतुं राजमार्गेण अगच्छताम्।
मध्यम (Medium)
-
प्रश्न: प्रथमः युवकः औषधं कथं आनयत्?
उत्तर: सः रोगिणं दृष्ट्वा अपि तेषां सहायता न कृत्वा औषधं शीघ्रं आनयत्। -
प्रश्न: नागार्जुनः द्वितीयं युवकं किमर्थं अङ्गीकृतवान्?
उत्तर: यतः सः रोगिणां सेवा कृत्वा औषधं आनयितुं विलम्बेन प्राप्तः, अतः।
कठिन (Difficult)
-
प्रश्न: नागार्जुनस्य अनुसारं सेवाभावना किमर्थं आवश्यकः?
उत्तर: सेवाभावना विना चिकित्सा केवल यन्त्रवत् भवति; सेवा मानवीय गुणं आवश्यकं करोति। -
प्रश्न: राजा नागार्जुनस्य निर्णयं शृत्वा किम् अनुभूतवान्?
उत्तर: राजा तं निर्णयं शृत्वा विस्मयं अनुभूतवान्। -
प्रश्न: यन्त्रवत् कार्यं सेवायाः भावनायाः विरोधि कथं अस्ति?
उत्तर: यन्त्रवत् कार्यं भावना-विहीनं अस्ति, यत्र सेवा न भावेन, केवल कृते कर्तव्यमिव भवति।
अति कठिन (Very Difficult)
-
प्रश्न: द्वितीयस्य युवकस्य सेवा-कर्मणः नैतिक मूल्यं कथं प्रदर्श्यते?
उत्तर: सः औषधं समये न आनयत्, तथापि रोगिणां सेवा कृत्वा आत्मनो सेवा-भावनां दर्शितवान्, यः नैतिकदृष्ट्या अधिकं मूल्यं युक्तम्। -
प्रश्न: पाठस्य शिर्षकस्य ‘सेवा हि परमो धर्मः’ इत्यस्य यथार्थता कथं प्रमाणिता?
उत्तर: नागार्जुनस्य निर्णयः तेन प्रमाणितम् यः सेवाभावं प्रधानं मान्य मान्यते; अतः सेवा धर्मात् श्रेष्ठा।