Chapter 7: ईशावास्यम् इदं सव्वम
Chapter Summary
ईशावास्यम् इदं सव्वम - Chapter Summary
## अध्याय का अवलोकन (Overview)
यह पाठ एक नाट्यरूप में प्रस्तुत कथा है, जिसमें हिरण्यकशिपु, उसका पुत्र प्रह्लाद, और भगवान नृसिंह के माध्यम से यह सन्देश दिया गया है कि ईश्वर सर्वत्र उपस्थित हैं। यह प्रसिद्ध श्लोक **“ईशावास्यमिदं सर्वम्”** की व्याख्या करता है और यह बताता है कि भगवान हर जगह हैं – चाहे वह स्तंभ हो, जल हो, पर्वत हो या किसी प्राणी का हृदय।
## प्रमुख विषय
### 1. संवाद प्रारंभ – “ईश्वर कहाँ हैं?”
- बच्चों से संवाद के माध्यम से यह प्रश्न उठता है कि ईश्वर कहाँ हैं।
- शिक्षक (मानर्ये) बताते हैं कि ईश्वर हर जगह हैं – वनों में, नदियों में, आकाश में, खेल के मैदान में भी।
### 2. हिरण्यकशिपु का अभिमान
- हिरण्यकशिपु स्वयं को अमर, शक्तिशाली और पूज्य मानता है।
- वह चाहता है कि सब लोग केवल उसी की पूजा करें और अन्य देवताओं की नहीं।
- वह अपने पुत्र प्रह्लाद के विष्णु भक्ति से नाराज़ है।
### 3. प्रह्लाद की आस्था
- प्रह्लाद विष्णु का भक्त है और दृढ़ता से कहता है कि ईश्वर सर्वत्र हैं।
- वह अपने पिता को बताता है कि ईश्वर स्तंभ में भी हो सकते हैं।
### 4. नृसिंह अवतार की घटना
- जब हिरण्यकशिपु स्तंभ को तोड़ता है, तो भगवान नृसिंह उस स्तंभ से प्रकट होते हैं।
- भगवान नृसिंह हिरण्यकशिपु का वध करते हैं।
- भगवान नृसिंह का रूप न तो पूर्णतः मनुष्य है, न पशु – और न ही दिन है, न रात; इस प्रकार ब्रह्मा से प्राप्त वरदान का उल्लंघन नहीं होता।
### 5. ईश्वर की सर्वव्यापकता का सिद्धांत
- प्रह्लाद का कहना सत्य सिद्ध होता है – ईश्वर सदा और सर्वत्र उपस्थित हैं।
- अंत में यह बताया जाता है कि “ईशावास्यमिदं सर्वम्” का अर्थ ही यही है कि यह सम्पूर्ण जगत ईश्वर से व्याप्त है।
## भाषाई अभ्यास
### व्याकरणिक अभ्यास
- तृतीया विभक्ति प्रयोग (उदाहरण: खड्गेन् सतम्भं भञ्जयति)
- लट्-लकार (भविष्यत्काल) प्रयोग (जैसे पठिष्यति, पठिष्यथः, पठिष्यामः)
- संधि प्रयोग (जैसे राम + ईश = रामेश)
### शब्द रूप और धातु रूप अभ्यास
- पुल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग, नपुंसकलिङ्ग शब्दों के रूप
- क्रिया रूप – पठ् धातु का भविष्यतकाल
## प्रमुख शब्दावली (Important Keywords)
| संस्कृत शब्द | English Meaning |
|---------------------|--------------------------|
| ईशावास्यम् | Pervaded by God |
| प्रह्लादः | Prahlada (devotee boy) |
| हिरण्यकशिपुः | Hiranyakashipu (demon king) |
| नृसिंहः | Lord Narasimha |
| दैत्यराजः | Demon king |
| स्तम्भः | Pillar |
| अट्टहासः | Loud laughter |
| नमः नारायणाय | Salutation to Lord Narayana |
| भञ्जयति | Breaks |
| गर्जनम् | Roaring sound |
| मतृर्लोकः | Realm of death |
| सर्वत्र | Everywhere |
| अमरः | Immortal |
---
## सरल शब्दार्थ (Simple Definitions of New Words)
| शब्द | अर्थ (English) |
|------|----------------|
| ईश्वरः | God – who is everywhere |
| स्तम्भः | Pillar – a large vertical post |
| नमः नारायणाय | “Salutations to Narayana” – a mantra |
| नृसिंहः | Avatar of Lord Vishnu – half-lion, half-man |
| भञ्जयति | (He) breaks |
| अट्टहासः | Loud and wild laughter |
| दैत्यः | Demon |
| गज्दनम् | Loud roaring like a lion |
| अमरः | Immortal or deathless |
| मतृर्लोकः | World of the dead (realm of death) |
---
## अभ्यास प्रश्नावली (Practice Questions with Answers & Explanations)
### सरल प्रश्न (Easy)
1. **प्रश्न:** प्रह्लादः कस्य भक्तः आसीत्?
**उत्तर:** विष्णोः भक्तः।
**व्याख्या:** प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता था और उसी को सर्वत्र मानता था।
2. **प्रश्न:** हिरण्यकशिपुः के अनुसार कौन पूज्य होना चाहिए था?
**उत्तर:** हिरण्यकशिपुः स्वयं।
**व्याख्या:** वह चाहता था कि लोग केवल उसकी पूजा करें।
3. **प्रश्न:** नृसिंहः कहाँ से प्रकट हुए?
**उत्तर:** स्तम्भात्।
**व्याख्या:** भगवान स्तम्भ (pillar) से प्रकट हुए, यह सिद्ध करने के लिए कि वे सर्वत्र हैं।
### मध्यम प्रश्न (Medium)
4. **प्रश्न:** हिरण्यकशिपुः को किसने मारा?
**उत्तर:** नृसिंहावतारेण विष्णुना।
**व्याख्या:** भगवान विष्णु नृसिंह रूप में आकर उसका वध करते हैं।
5. **प्रश्न:** “ईशावास्यमिदं सर्वम्” का क्या अर्थ है?
**उत्तर:** यह सम्पूर्ण जगत ईश्वर से व्याप्त है।
**व्याख्या:** इस वाक्य के द्वारा यह शिक्षा दी जाती है कि ईश्वर हर जगह हैं।
### कठिन प्रश्न (Difficult)
6. **प्रश्न:** नृसिंह अवतार का स्वरूप कैसा था?
**उत्तर:** अर्ध-नर अर्ध-सिंह।
**व्याख्या:** यह अवतार ब्रह्मा के वरदान की शर्तों को तोड़े बिना प्रकट हुआ।
7. **प्रश्न:** हिरण्यकशिपु को मारे जाने के समय कौन-कौन सी शर्तों का पालन हुआ?
**उत्तर:** न दिन, न रात; न अंदर, न बाहर; न हथियार से, न बिना हथियार के।
**व्याख्या:** भगवान नृसिंह ने सभी शर्तों के अनुसार हिरण्यकशिपु का वध किया।
8. **प्रश्न:** नृसिंह भगवान ने किस स्थान पर हिरण्यकशिपु का वध किया?
**उत्तर:** देहली पर – ना घर के भीतर, ना बाहर।
**व्याख्या:** यह वध बिलकुल वरदान की शर्तों के अनुसार हुआ।
### अति कठिन प्रश्न (Very Difficult)
9. **प्रश्न:** हिरण्यकशिपु का विश्वास किस बात में था जिससे वह अहंकारी बना?
**उत्तर:** उसने ब्रह्मा से अमरता के लिए वरदान प्राप्त किया था।
**व्याख्या:** यह वरदान उसे मृत्यु से बचाता था, जिससे वह खुद को सर्वशक्तिमान मानने लगा।
10. **प्रश्न:** “ॐ नमो नारायणाय” जपते समय प्रह्लाद को क्या हुआ?
**उत्तर:** भगवान ने उसकी रक्षा की और वह जीवित रहा।
**व्याख्या:** उसकी आस्था ने उसे बचा लिया और भगवान स्वयं उसकी रक्षा के लिए प्रकट हुए।
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ईशावास्यमिदं सर्वम्
अध्याय का अवलोकन (Overview)
यह पाठ एक नाट्यरूप में प्रस्तुत कथा है, जिसमें हिरण्यकशिपु, उसका पुत्र प्रह्लाद, और भगवान नृसिंह के माध्यम से यह सन्देश दिया गया है कि ईश्वर सर्वत्र उपस्थित हैं। यह प्रसिद्ध श्लोक “ईशावास्यमिदं सर्वम्” की व्याख्या करता है और यह बताता है कि भगवान हर जगह हैं – चाहे वह स्तंभ हो, जल हो, पर्वत हो या किसी प्राणी का हृदय।
प्रमुख विषय
1. संवाद प्रारंभ – “ईश्वर कहाँ हैं?”
- बच्चों से संवाद के माध्यम से यह प्रश्न उठता है कि ईश्वर कहाँ हैं।
- शिक्षक (मानर्ये) बताते हैं कि ईश्वर हर जगह हैं – वनों में, नदियों में, आकाश में, खेल के मैदान में भी।
2. हिरण्यकशिपु का अभिमान
- हिरण्यकशिपु स्वयं को अमर, शक्तिशाली और पूज्य मानता है।
- वह चाहता है कि सब लोग केवल उसी की पूजा करें और अन्य देवताओं की नहीं।
- वह अपने पुत्र प्रह्लाद के विष्णु भक्ति से नाराज़ है।
3. प्रह्लाद की आस्था
- प्रह्लाद विष्णु का भक्त है और दृढ़ता से कहता है कि ईश्वर सर्वत्र हैं।
- वह अपने पिता को बताता है कि ईश्वर स्तंभ में भी हो सकते हैं।
4. नृसिंह अवतार की घटना
- जब हिरण्यकशिपु स्तंभ को तोड़ता है, तो भगवान नृसिंह उस स्तंभ से प्रकट होते हैं।
- भगवान नृसिंह हिरण्यकशिपु का वध करते हैं।
- भगवान नृसिंह का रूप न तो पूर्णतः मनुष्य है, न पशु – और न ही दिन है, न रात; इस प्रकार ब्रह्मा से प्राप्त वरदान का उल्लंघन नहीं होता।
5. ईश्वर की सर्वव्यापकता का सिद्धांत
- प्रह्लाद का कहना सत्य सिद्ध होता है – ईश्वर सदा और सर्वत्र उपस्थित हैं।
- अंत में यह बताया जाता है कि “ईशावास्यमिदं सर्वम्” का अर्थ ही यही है कि यह सम्पूर्ण जगत ईश्वर से व्याप्त है।
भाषाई अभ्यास
व्याकरणिक अभ्यास
- तृतीया विभक्ति प्रयोग (उदाहरण: खड्गेन् सतम्भं भञ्जयति)
- लट्-लकार (भविष्यत्काल) प्रयोग (जैसे पठिष्यति, पठिष्यथः, पठिष्यामः)
- संधि प्रयोग (जैसे राम + ईश = रामेश)
शब्द रूप और धातु रूप अभ्यास
- पुल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग, नपुंसकलिङ्ग शब्दों के रूप
- क्रिया रूप – पठ् धातु का भविष्यतकाल
प्रमुख शब्दावली (Important Keywords)
संस्कृत शब्द | English Meaning |
---|---|
ईशावास्यम् | Pervaded by God |
प्रह्लादः | Prahlada (devotee boy) |
हिरण्यकशिपुः | Hiranyakashipu (demon king) |
नृसिंहः | Lord Narasimha |
दैत्यराजः | Demon king |
स्तम्भः | Pillar |
अट्टहासः | Loud laughter |
नमः नारायणाय | Salutation to Lord Narayana |
भञ्जयति | Breaks |
गर्जनम् | Roaring sound |
मतृर्लोकः | Realm of death |
सर्वत्र | Everywhere |
अमरः | Immortal |
सरल शब्दार्थ (Simple Definitions of New Words)
शब्द | अर्थ (English) |
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ईश्वरः | God – who is everywhere |
स्तम्भः | Pillar – a large vertical post |
नमः नारायणाय | “Salutations to Narayana” – a mantra |
नृसिंहः | Avatar of Lord Vishnu – half-lion, half-man |
भञ्जयति | (He) breaks |
अट्टहासः | Loud and wild laughter |
दैत्यः | Demon |
गज्दनम् | Loud roaring like a lion |
अमरः | Immortal or deathless |
मतृर्लोकः | World of the dead (realm of death) |
अभ्यास प्रश्नावली (Practice Questions with Answers & Explanations)
सरल प्रश्न (Easy)
-
प्रश्न: प्रह्लादः कस्य भक्तः आसीत्?
उत्तर: विष्णोः भक्तः।
व्याख्या: प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता था और उसी को सर्वत्र मानता था। -
प्रश्न: हिरण्यकशिपुः के अनुसार कौन पूज्य होना चाहिए था?
उत्तर: हिरण्यकशिपुः स्वयं।
व्याख्या: वह चाहता था कि लोग केवल उसकी पूजा करें। -
प्रश्न: नृसिंहः कहाँ से प्रकट हुए?
उत्तर: स्तम्भात्।
व्याख्या: भगवान स्तम्भ (pillar) से प्रकट हुए, यह सिद्ध करने के लिए कि वे सर्वत्र हैं।
मध्यम प्रश्न (Medium)
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प्रश्न: हिरण्यकशिपुः को किसने मारा?
उत्तर: नृसिंहावतारेण विष्णुना।
व्याख्या: भगवान विष्णु नृसिंह रूप में आकर उसका वध करते हैं। -
प्रश्न: “ईशावास्यमिदं सर्वम्” का क्या अर्थ है?
उत्तर: यह सम्पूर्ण जगत ईश्वर से व्याप्त है।
व्याख्या: इस वाक्य के द्वारा यह शिक्षा दी जाती है कि ईश्वर हर जगह हैं।
कठिन प्रश्न (Difficult)
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प्रश्न: नृसिंह अवतार का स्वरूप कैसा था?
उत्तर: अर्ध-नर अर्ध-सिंह।
व्याख्या: यह अवतार ब्रह्मा के वरदान की शर्तों को तोड़े बिना प्रकट हुआ। -
प्रश्न: हिरण्यकशिपु को मारे जाने के समय कौन-कौन सी शर्तों का पालन हुआ?
उत्तर: न दिन, न रात; न अंदर, न बाहर; न हथियार से, न बिना हथियार के।
व्याख्या: भगवान नृसिंह ने सभी शर्तों के अनुसार हिरण्यकशिपु का वध किया। -
प्रश्न: नृसिंह भगवान ने किस स्थान पर हिरण्यकशिपु का वध किया?
उत्तर: देहली पर – ना घर के भीतर, ना बाहर।
व्याख्या: यह वध बिलकुल वरदान की शर्तों के अनुसार हुआ।
अति कठिन प्रश्न (Very Difficult)
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प्रश्न: हिरण्यकशिपु का विश्वास किस बात में था जिससे वह अहंकारी बना?
उत्तर: उसने ब्रह्मा से अमरता के लिए वरदान प्राप्त किया था।
व्याख्या: यह वरदान उसे मृत्यु से बचाता था, जिससे वह खुद को सर्वशक्तिमान मानने लगा। -
प्रश्न: “ॐ नमो नारायणाय” जपते समय प्रह्लाद को क्या हुआ?
उत्तर: भगवान ने उसकी रक्षा की और वह जीवित रहा।
व्याख्या: उसकी आस्था ने उसे बचा लिया और भगवान स्वयं उसकी रक्षा के लिए प्रकट हुए।